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[[भारतकोश सम्पादकीय 10 जून 2012|लक्ष्य और साधना]]
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[[भारतकोश सम्पादकीय 17 जून 2012|चमचारथी]]
           [[महात्मा गांधी]] और [[भगत सिंह|सरदार भगत सिंह]] का एक ही लक्ष्य था, लेकिन तरीक़े अलग थे। क्या था ये लक्ष्य ? अंग्रेज़ों को भारत से भगाना ? नहीं ऐसा नहीं था। उनका लक्ष्य था, भारत को आज़ाद कराना... स्वतंत्रता। इन दोनों बातों में बड़ा फ़र्क़ है। एक सकारात्मक है और एक नकारात्मक। अंग्रेज़ों को भगाना नकारात्मक है और स्वतंत्रता पाना सकारात्मक। लक्ष्य वही है जो सकारात्मक हो। [[भारतकोश सम्पादकीय 10 जून 2012|पूरा पढ़ें]]
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           सुबह उठे टहलने गए तो देखा चूना पड़ा था। सुबह-सुबह बिजली भी नहीं गई तो पक्का ही हो गया कि राजधानी से कोई वी.आई.पी. आने वाला है। ज़िला केन्द्र होने के कारण अधिकारियों ने वही सब करना शुरू कर दिया जो ऐसे मौक़े पर किया जाता है और विभिन्न लेखक और पत्रकार उसे अपने-अपने तरीक़े से लिखते हैं। एक अख़बार ने लिखा 'हड़कम्प मचा' दूसरे ने लिखा 'आपाधापी शुरू' तीसरे ने 'सरगर्मी चालू' चौथे ने 'मारा-मारी शुरू'... , और अधिकारी गण भी, बैठक, आदेश, निर्देश, समाचार, पत्राचार, अत्याचार के साथ-साथ भ्रष्टाचार में भी लग गए। [[भारतकोश सम्पादकीय 17 जून 2012|पूरा पढ़ें]]
 
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| [[भारतकोश सम्पादकीय 2 जून 2012|लेकिन एक रिटेक और लेते हैं]] ·
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14:17, 17 जून 2012 का अवतरण

साप्ताहिक सम्पादकीय-आदित्य चौधरी
Helecopter-01.jpg

चमचारथी
          सुबह उठे टहलने गए तो देखा चूना पड़ा था। सुबह-सुबह बिजली भी नहीं गई तो पक्का ही हो गया कि राजधानी से कोई वी.आई.पी. आने वाला है। ज़िला केन्द्र होने के कारण अधिकारियों ने वही सब करना शुरू कर दिया जो ऐसे मौक़े पर किया जाता है और विभिन्न लेखक और पत्रकार उसे अपने-अपने तरीक़े से लिखते हैं। एक अख़बार ने लिखा 'हड़कम्प मचा' दूसरे ने लिखा 'आपाधापी शुरू' तीसरे ने 'सरगर्मी चालू' चौथे ने 'मारा-मारी शुरू'... , और अधिकारी गण भी, बैठक, आदेश, निर्देश, समाचार, पत्राचार, अत्याचार के साथ-साथ भ्रष्टाचार में भी लग गए। पूरा पढ़ें

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