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+ | यह कविता मैंने अपनी शादी के पच्चीस बरस होने पर लिखी थी। (हे भगवान ! अब तो बत्तीस हो गए... पूरे बत्तीस...) | ||
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+ | एक दशक बीता | ||
+ | दूजा भी बीता | ||
+ | और तीसरा आधा | ||
+ | पच्चीस बरस हो आए | ||
+ | ऐसे गुज़री-वैसे गुज़री | ||
+ | कैसे गुज़री ? | ||
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+ | है हिसाब क्या ! | ||
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+ | जीवन का संग्राम लड़ा है | ||
+ | मैंने तुमने | ||
+ | साथ रही हो | ||
+ | तुम तो मेरे | ||
+ | साथ ही रहना | ||
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+ | याद दिलाऊँ तुमको क्या-क्या | ||
+ | एक पाँच का सिक्का | ||
+ | टुकड़ा इक भुट्टे का | ||
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+ | एक छुअन और एक | ||
+ | गंध है पास तुम्हारे | ||
+ | यादों में है साथ तुम्हारे | ||
+ | मैं भी तो हूँ साथ | ||
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+ | मगर मैं कहाँ हूँ तुमसा | ||
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+ | लेकिन मुझको याद | ||
+ | गुलाबी चुन्नी | ||
+ | वो बादल | ||
+ | वो बिजली | ||
+ | वो बूंदें | ||
+ | वो सिहरन | ||
+ | और तुम्हारा साथ | ||
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+ | नहीं भूला हूँ कुछ भी | ||
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+ | कैसे-कैसे जतन हमारे | ||
+ | बच्चों को पाला था कैसे | ||
+ | जागे कैसे भागे कैसे | ||
+ | सारी-सारी रात | ||
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+ | एक युग बीत गया है | ||
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+ | युग तो बीता ही करते हैं | ||
+ | नहीं बीतता प्यार | ||
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+ | जब तक मैं हूँ | ||
+ | जब तक तुम हो | ||
+ | जब तक है संसार | ||
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+ | नहीं बीतेगा कुछ भी... | ||
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07:29, 27 सितम्बर 2012 का अवतरण
नहीं बीतता प्यार
-आदित्य चौधरी
यह कविता मैंने अपनी शादी के पच्चीस बरस होने पर लिखी थी। (हे भगवान ! अब तो बत्तीस हो गए... पूरे बत्तीस...) एक दशक बीता
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