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12:38, 12 अक्टूबर 2012 का अवतरण
रबाब एक वाद्य यंत्र है। सर्वप्रथम अहोबल के 'संगीत पारिजात' में रबाब का उल्लेख मिलता है।
- इसका पेट सांरगी से कुछ लंबा त्रिभुजाकार तथा डेढ गुना गहरा होता है।
- शास्त्रीय संगीत का वर्तमान सरोद इसी का परिष्कृत रूप है।
- इसमें तीन से सात तार तक होते है।
- रबाब अफगानिस्तान से पंजाब तक प्रचलित रहा है।
- अनेक उष्कृष्ट रबाबियों की परम्परा में एक प्रतिष्ठित लोक-वाद्य के रूप इसकी ख्याति रही है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- पुस्तक- संगीत विशारद, पृष्ठ- 577