"अभिमान (फ़िल्म)" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''अभिमान''' फ़िल्म सन [[1973]] में बनी हुई है। यह फ़िल्म [[ऋषिकेश मुखर्जी]] की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मों में से एक है। फ़िल्म में मुख्य भूमिका [[अमिताभ बच्चन]], [[जया बच्चन]] और असरानी ने निभाई थी। इस फ़िल्म का [[संगीत]] प्रसिद्ध संगीतकार [[सचिन देव बर्मन]] ने तैयार किया था। 'अभिमान' फ़िल्म के सभी गीतों ने भारतीय दर्शकों पर अपनी गहरी छाप अंकित की थी। फ़िल्म के गीत आज भी लोगों की जुबान पर आते रहते हैं।
+
'''अभिमान''' फ़िल्म सन [[1973]] में बनी हुई फ़िल्म है। यह फ़िल्म [[ऋषिकेश मुखर्जी]] की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मों में से एक है। फ़िल्म में मुख्य भूमिका [[अमिताभ बच्चन]], [[जया बच्चन]] और असरानी ने निभाई थी। इस फ़िल्म का [[संगीत]] प्रसिद्ध संगीतकार [[सचिन देव बर्मन]] ने तैयार किया था। 'अभिमान' फ़िल्म के सभी गीतों ने भारतीय दर्शकों पर अपनी गहरी छाप अंकित की थी। फ़िल्म के गीत आज भी लोगों की जुबान पर आते रहते हैं।
 
==पटकथा==
 
==पटकथा==
राजू भर्तन की कहानी पर आधारित राजिंदर बेदी, नवेंदु घोष एवं ब्रजेश चटर्जी द्वारा लिखी इस पटकथा पर ऋषिकेश मुखर्जी के कुशल निर्देशन में बनी यह अत्यधिक लोकप्रिय हुई थी। पुरुष का अहम, उसका प्रेम, परिवार, भावनाओं से भी ऊपर होता है। पत्नी-पति से किसी भी क्षेत्र में प्रगति कर रही हो, यह बात पुरुष का अहम स्वीकार नहीं कर पाता। जीवन की इसी वास्तविकता को केंद्र बिन्दु बनाकर ऋषिकेश मुखर्जी ने इस संवेदनशील का निर्देशन किया था।
+
राजू भर्तन की कहानी पर आधारित राजिंदर बेदी, नवेंदु घोष एवं ब्रजेश चटर्जी द्वारा लिखी इस पटकथा पर ऋषिकेश मुखर्जी के कुशल निर्देशन में बनी यह फ़िल्म अत्यधिक लोकप्रिय हुई थी। पुरुष का अहम, उसका प्रेम, परिवार, भावनाओं से भी ऊपर होता है। पत्नी-पति से किसी भी क्षेत्र में प्रगति कर रही हो, यह बात पुरुष का अहम स्वीकार नहीं कर पाता। जीवन की इसी वास्तविकता को केंद्र बिन्दु बनाकर ऋषिकेश मुखर्जी ने इस संवेदनशील फ़िल्म का निर्देशन किया था।
==संगीत==
+
====संगीत====
मजरूह सुल्तानपुरी के लिखे गीत, सचिनदेव बर्मन के सिद्धहस्त संगीत से सजे तथा किशोर कुमार, लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी द्वारा गए सुमधुर गीतों ने की लोकप्रियता में चार चाँद लगा दिए थे।
+
[[मजरूह सुल्तानपुरी]] के लिखे गीत, सचिन देव बर्मन के सिद्धहस्त संगीत से सजे तथा [[किशोर कुमार]], [[लता मंगेशकर]] और [[मोहम्मद रफ़ी]] द्वारा गाये गए सुमधुर गीतों ने फ़िल्म की लोकप्रियता में चार चाँद लगा दिए थे।
 
==कथानक==
 
==कथानक==
फ़िल्म की कहानी में सुबीर एक गायक (अमिताभ बच्चन) है जो अपनी गायकी के कारण बहुत लोकप्रिय है और लड़कियां उसकी दीवानी हैं। इस दुनिया में उसकी एक मुहं बोली मौसी (दुर्गा खोटे)है, उसके अतिरिक्त उसका कोई अपना नहीं। शहर में चंदू (असरानी) के साथ वह रहता है, जो उसका हितैषी और उसका सचिव भी है। किसी विशेष कार्यवश सुबीर को मौसी के गाँव जाना पड़ता है जहाँ वह सदानंद (.के. हंगल) की बेटी उमा (जया बच्चन) का मधुर गीत सुन कर प्रभावित होता है, सादगी की प्रतिमूर्ति उमा से मौसी उसकी शादी करा देती है। शहर में आकर एक समारोह में दोनों साथ गाते हैं और यहीं पर सुबीर भविष्य में उमा के साथ गाने का निर्णय करता है।
+
फ़िल्म की कहानी में 'सुबीर' ([[अमिताभ बच्चन]]) एक गायक है, जो अपनी गायकी के कारण बहुत लोकप्रिय है और लड़कियाँ उसकी दीवानी हैं। इस दुनिया में उसकी एक मुँह बोली मौसी (दुर्गा खोटे) है, उसके अतिरिक्त उसका कोई अपना नहीं है। शहर में 'चंदू' (असरानी) के साथ वह रहता है, जो उसका हितैषी और उसका सचिव भी है। किसी विशेष कार्यवश सुबीर को मौसी के गाँव जाना पड़ता है, जहाँ वह 'सदानंद' ([[ए. के. हंगल]]) की बेटी 'उमा' ([[जया बच्चन]]) का मधुर गीत सुन कर प्रभावित होता है। सादगी की प्रतिमूर्ति उमा से मौसी उसका [[विवाह]] करा देती है। शहर में आकर एक समारोह में दोनों साथ-साथ गाते हैं और यहीं पर सुबीर भविष्य में उमा के साथ गाने का निर्णय करता है।
  
यहीं से कहानी नया मोड़ लेती है। उमा शास्त्रीय संगीत में निपुण है तथा अधिक प्रतिभाशाली होने के कारण उसकी लोकप्रियता तथा मांग सुबीर से अधिक बढ़ने लगती है, पुरुष का अहम् चोटिल होता है स्थिति यहाँ तक पहुँचती है कि जया अवसादग्रस्त हो अपने गाँव लौट आती है तथा अपने गर्भस्थ शिशु को भी खो देती है। अंतत सुखांत में नायक नायिका का मधुर मिलन होता है और दोनों के युगल गीत के साथ का समापन होता है।
+
यहीं से फ़िल्म की कहानी नया मोड़ लेती है। सुबीर की पत्नी 'उमा' [[शास्त्रीय संगीत]] में निपुण है तथा अधिक प्रतिभाशाली होने के कारण उसकी लोकप्रियता तथा माँग 'सुबीर' से अधिक बढ़ने लगती है। पुरुष का अहम चोटिल होता है। एक स्थिति यहाँ तक पहुँचती है कि 'जया' अवसादग्रस्त होकर अपने गाँव लौट आती है तथा अपने गर्भस्थ शिशु को भी खो देती है। अंतत सुखांत फ़िल्म में नायक नायिका का मधुर मिलन होता है और दोनों के युगल गीत के साथ फ़िल्म का समापन होता है।
 
==अभिनय==
 
==अभिनय==
फ़िल्म में जया का अभिनय तो संवेदनशील भोली लडकी, समर्पित व विरहग्रस्त गृहणी के रूप में प्रशंसनीय है ही, अमिताभ ने भी अपने किरदार को जीवंत बनाया है। असरानी का हास्य, दुर्गा खोटे, हंगल, डेविड सभी ने अपनी भूमिका से न्याय किया है। बिन्दु ने अपनी पूर्व भूमिकाओं से अलग भूमिका निभायी है। मनोहर कामत, ललिता कुमारी व मास्टर राजू की संक्षिप्त भूमिकायें यथायोग्य हैं।
+
फ़िल्म में [[जया बच्चन]] का अभिनय तो संवेदनशील भोली लड़की, समर्पित व विरहग्रस्त गृहणी के रूप में प्रशंसनीय है ही, अमिताभ बच्चन ने भी अपने किरदार को जीवंत बनाया है। असरानी का हास्य, दुर्गा खोटे, ए. के. हंगल, डेविड सभी ने अपनी भूमिका से न्याय किया है। बिन्दु ने अपनी पूर्व भूमिकाओं से अलग भूमिका निभायी है। मनोहर कामत, ललिता कुमारी व मास्टर राजू की संक्षिप्त भूमिकायें यथायोग्य हैं।
 
+
====फ़िल्म के गीत====
फ़िल्म के सभी प्रमुख गीत
 
 
{|class="wikitable"
 
{|class="wikitable"
 
|-
 
|-
पंक्ति 17: पंक्ति 16:
 
|-
 
|-
 
|मीत ना मिला रे मन का
 
|मीत ना मिला रे मन का
|किशोर कुमार
+
|[[किशोर कुमार]]
 
|4:56
 
|4:56
 
|-
 
|-
 
|नदिया किनारे
 
|नदिया किनारे
|लता मंगेशकर
+
|[[लता मंगेशकर]]
 
|4:05
 
|4:05
 
|-
 
|-
 
|तेरी बिंदिया रे
 
|तेरी बिंदिया रे
|लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी
+
|लता मंगेशकर, [[मोहम्मद रफ़ी]]
 
|4:32
 
|4:32
 
|-
 
|-
 
|लूटे कोई मन का नगर
 
|लूटे कोई मन का नगर
|लता मंगेशकर, मनहर उधास
+
|लता मंगेशकर, मनहर उधास
 
|3:04
 
|3:04
 
|-  
 
|-  
पंक्ति 46: पंक्ति 45:
 
|}
 
|}
  
हलके -फुल्के हास्य से युक्त यह ऋषिकेश मुखर्जी की यह  सर्वकालिक कही जा सकती है|
+
हल्के-फुल्के हास्य से युक्त यह फ़िल्म [[ऋषिकेश मुखर्जी]] की सर्वकालिक फ़िल्म कही जा सकती है।
==रोचक बातें==
+
==रोचक तथ्य==
#इस  में जया को अपने श्रेष्ठ अभिनय के लिए प्रतिष्ठित ्फयेर पुरूस्कार मिला था।
+
#'अभिमान' फ़िल्म में [[जया बच्चन]] को अपने श्रेष्ठ अभिनय के लिए प्रतिष्ठित 'फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार' मिला था।
#बिंदु भी अपनी पूर्व छवि से अलग भूमिका कुशलता से निभाने के कारण अन्य भूमिकाओं में इस के बाद आयीं।
+
#अभिनेत्री बिन्दू ने भी अपनी पूर्व छवि से अलग हटकर अपनी भूमिका कुशलता से निभाई, जिस कारण अन्य भूमिकाओं में इस फ़िल्म के बाद आयीं।
#अमिताभ व जया इस के दौरान ही पति -पत्नी के रिश्ते में बंधे।
+
#अमिताभ बच्चन व जया बच्चन इस फ़िल्म के दौरान ही पति-पत्नी के रिश्ते में बंधे थे।
#जया ने इस के बाद बहुत लम्बे समय तक किसी में काम नहीं किया।
+
#जया बच्चन ने इस फ़िल्म के बाद बहुत लम्बे समय तक किसी और फ़िल्म में काम नहीं किया।
  
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

10:16, 13 दिसम्बर 2012 का अवतरण

अभिमान फ़िल्म सन 1973 में बनी हुई फ़िल्म है। यह फ़िल्म ऋषिकेश मुखर्जी की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मों में से एक है। फ़िल्म में मुख्य भूमिका अमिताभ बच्चन, जया बच्चन और असरानी ने निभाई थी। इस फ़िल्म का संगीत प्रसिद्ध संगीतकार सचिन देव बर्मन ने तैयार किया था। 'अभिमान' फ़िल्म के सभी गीतों ने भारतीय दर्शकों पर अपनी गहरी छाप अंकित की थी। फ़िल्म के गीत आज भी लोगों की जुबान पर आते रहते हैं।

पटकथा

राजू भर्तन की कहानी पर आधारित राजिंदर बेदी, नवेंदु घोष एवं ब्रजेश चटर्जी द्वारा लिखी इस पटकथा पर ऋषिकेश मुखर्जी के कुशल निर्देशन में बनी यह फ़िल्म अत्यधिक लोकप्रिय हुई थी। पुरुष का अहम, उसका प्रेम, परिवार, भावनाओं से भी ऊपर होता है। पत्नी-पति से किसी भी क्षेत्र में प्रगति कर रही हो, यह बात पुरुष का अहम स्वीकार नहीं कर पाता। जीवन की इसी वास्तविकता को केंद्र बिन्दु बनाकर ऋषिकेश मुखर्जी ने इस संवेदनशील फ़िल्म का निर्देशन किया था।

संगीत

मजरूह सुल्तानपुरी के लिखे गीत, सचिन देव बर्मन के सिद्धहस्त संगीत से सजे तथा किशोर कुमार, लता मंगेशकर और मोहम्मद रफ़ी द्वारा गाये गए सुमधुर गीतों ने फ़िल्म की लोकप्रियता में चार चाँद लगा दिए थे।

कथानक

फ़िल्म की कहानी में 'सुबीर' (अमिताभ बच्चन) एक गायक है, जो अपनी गायकी के कारण बहुत लोकप्रिय है और लड़कियाँ उसकी दीवानी हैं। इस दुनिया में उसकी एक मुँह बोली मौसी (दुर्गा खोटे) है, उसके अतिरिक्त उसका कोई अपना नहीं है। शहर में 'चंदू' (असरानी) के साथ वह रहता है, जो उसका हितैषी और उसका सचिव भी है। किसी विशेष कार्यवश सुबीर को मौसी के गाँव जाना पड़ता है, जहाँ वह 'सदानंद' (ए. के. हंगल) की बेटी 'उमा' (जया बच्चन) का मधुर गीत सुन कर प्रभावित होता है। सादगी की प्रतिमूर्ति उमा से मौसी उसका विवाह करा देती है। शहर में आकर एक समारोह में दोनों साथ-साथ गाते हैं और यहीं पर सुबीर भविष्य में उमा के साथ गाने का निर्णय करता है।

यहीं से फ़िल्म की कहानी नया मोड़ लेती है। सुबीर की पत्नी 'उमा' शास्त्रीय संगीत में निपुण है तथा अधिक प्रतिभाशाली होने के कारण उसकी लोकप्रियता तथा माँग 'सुबीर' से अधिक बढ़ने लगती है। पुरुष का अहम चोटिल होता है। एक स्थिति यहाँ तक पहुँचती है कि 'जया' अवसादग्रस्त होकर अपने गाँव लौट आती है तथा अपने गर्भस्थ शिशु को भी खो देती है। अंतत सुखांत फ़िल्म में नायक नायिका का मधुर मिलन होता है और दोनों के युगल गीत के साथ फ़िल्म का समापन होता है।

अभिनय

फ़िल्म में जया बच्चन का अभिनय तो संवेदनशील भोली लड़की, समर्पित व विरहग्रस्त गृहणी के रूप में प्रशंसनीय है ही, अमिताभ बच्चन ने भी अपने किरदार को जीवंत बनाया है। असरानी का हास्य, दुर्गा खोटे, ए. के. हंगल, डेविड सभी ने अपनी भूमिका से न्याय किया है। बिन्दु ने अपनी पूर्व भूमिकाओं से अलग भूमिका निभायी है। मनोहर कामत, ललिता कुमारी व मास्टर राजू की संक्षिप्त भूमिकायें यथायोग्य हैं।

फ़िल्म के गीत

गीत गायक समय
मीत ना मिला रे मन का किशोर कुमार 4:56
नदिया किनारे लता मंगेशकर 4:05
तेरी बिंदिया रे लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी 4:32
लूटे कोई मन का नगर लता मंगेशकर, मनहर उधास 3:04
अब तो है तुमसे हर ख़ुशी अपनी लता मंगेशकर 4:25
पिया बिना पिया बिना लता मंगेशकर 4:12
तेरे मेरे मिलन की ये रैना किशोर कुमार, लता मंगेशकर 5:49

हल्के-फुल्के हास्य से युक्त यह फ़िल्म ऋषिकेश मुखर्जी की सर्वकालिक फ़िल्म कही जा सकती है।

रोचक तथ्य

  1. 'अभिमान' फ़िल्म में जया बच्चन को अपने श्रेष्ठ अभिनय के लिए प्रतिष्ठित 'फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार' मिला था।
  2. अभिनेत्री बिन्दू ने भी अपनी पूर्व छवि से अलग हटकर अपनी भूमिका कुशलता से निभाई, जिस कारण अन्य भूमिकाओं में इस फ़िल्म के बाद आयीं।
  3. अमिताभ बच्चन व जया बच्चन इस फ़िल्म के दौरान ही पति-पत्नी के रिश्ते में बंधे थे।
  4. जया बच्चन ने इस फ़िल्म के बाद बहुत लम्बे समय तक किसी और फ़िल्म में काम नहीं किया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख