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लो हक़ की बात की तो उखड़ने लगे हैं आप,
 
लो हक़ की बात की तो उखड़ने लगे हैं आप,
शी! होंठ सिल के बैठ गए ,लीजिए हुजूर।<ref>ये ग़ज़ल 1975 में ’धर्मयुग’ के होली-अंक में प्रकाशित हुई थीं।</ref>
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शी! होंठ सिल के बैठ गए, लीजिए हुजूर।<ref>ये ग़ज़ल 1975 में ’धर्मयुग’ के होली-अंक में प्रकाशित हुई थीं।</ref>
  
 
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13:29, 29 दिसम्बर 2012 के समय का अवतरण

होली की ठिठोली -दुष्यंत कुमार
दुष्यंत कुमार
कवि दुष्यंत कुमार
जन्म 1 सितम्बर, 1933
जन्म स्थान बिजनौर, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 30 दिसम्बर, 1975
मुख्य रचनाएँ अब तो पथ यही है, उसे क्या कहूँ, गीत का जन्म, प्रेरणा के नाम आदि।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
दुष्यंत कुमार की रचनाएँ

पत्थर नहीं हैं आप तो पसीजिए हुज़ूर।
संपादकी का हक़ तो अदा कीजिए हुज़ूर।

        अब ज़िंदगी के साथ ज़माना बदल गया,
        पारिश्रमिक भी थोड़ा बदल दीजिए हुज़ूर।

कल मयक़दे में चेक दिखाया था आपका,
वे हँस के बोले इससे ज़हर पीजिए हुज़ूर।

        शायर को सौ रुपए तो मिलें जब ग़ज़ल छपे,
        हम ज़िन्दा रहें ऐसी जुगत कीजिए हुज़ूर।

लो हक़ की बात की तो उखड़ने लगे हैं आप,
शी! होंठ सिल के बैठ गए, लीजिए हुजूर।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ये ग़ज़ल 1975 में ’धर्मयुग’ के होली-अंक में प्रकाशित हुई थीं।

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