"यमलोक में एक निर्भय अमानत 'दामिनी' -आदित्य चौधरी" के अवतरणों में अंतर
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"प्रभु ! लोकतंत्र में किसी सुव्यवस्था के लिए किसी भी सरकार को श्रेय देना निरर्थक ही माना जाता है क्योंकि सरकार जनता ने चुनी है तो श्रेय भी जनता को ही जाता है, इसी तरह किसी कुव्यवस्था के लिए भी सिर्फ़ किसी सरकार को दोषी मानना ग़लत ही है। ये तो जनता है जो अपने प्रतिनिधि चुनकर भेजती है। हर जगह जनता की पसंद बदलती जा रही है। फ़िल्मों में अब आदर्शवादी और सीधा-सादा हीरो पसंद नहीं किया जाता सबको 'दबंग' चाहिए। | "प्रभु ! लोकतंत्र में किसी सुव्यवस्था के लिए किसी भी सरकार को श्रेय देना निरर्थक ही माना जाता है क्योंकि सरकार जनता ने चुनी है तो श्रेय भी जनता को ही जाता है, इसी तरह किसी कुव्यवस्था के लिए भी सिर्फ़ किसी सरकार को दोषी मानना ग़लत ही है। ये तो जनता है जो अपने प्रतिनिधि चुनकर भेजती है। हर जगह जनता की पसंद बदलती जा रही है। फ़िल्मों में अब आदर्शवादी और सीधा-सादा हीरो पसंद नहीं किया जाता सबको 'दबंग' चाहिए। | ||
चुनावों में अच्छे लोग नकार दिए गए इसलिए वो राजनीति छोड़कर कुछ और करने लगे। आपको क्या लगता है अन्ना हजारे जैसे लोग चुनाव लड़ेंगे तो चुनाव जीतेंगे और प्रधानमंत्री बनेंगे ? कभी भी ऐसा नहीं हो सकता प्रभु ! कभी नहीं। | चुनावों में अच्छे लोग नकार दिए गए इसलिए वो राजनीति छोड़कर कुछ और करने लगे। आपको क्या लगता है अन्ना हजारे जैसे लोग चुनाव लड़ेंगे तो चुनाव जीतेंगे और प्रधानमंत्री बनेंगे ? कभी भी ऐसा नहीं हो सकता प्रभु ! कभी नहीं। | ||
− | हर जगह दोहरे मानक हैं और यह सबसे ज़्यादा तो हमारे घरों में चलता है। मांएँ और बहनें बड़ी शान से अपने बेटे और भाई के बारे में बात | + | हर जगह दोहरे मानक हैं और यह सबसे ज़्यादा तो हमारे घरों में चलता है। मांएँ और बहनें बड़ी शान से अपने बेटे और भाई के बारे में बात करती हैं कि देखो इसकी तो चार-चार गर्लफ्रॅन्ड हैं, इसके पीछे तो लड़कियाँ पड़ी रहती हैं। क्या वे अपनी बेटी के बारे में भी ऐसे ही बात कर सकती हैं, प्रश्न ही पैदा नहीं होता। हर मामले में यह दोहरा मानक देखा जा सकता है। यहाँ तक कि हमारे घरों में बेटों को बेटी की अपेक्षा बेहतर खाने-पहनने को मिलता है। |
− | यदि हमारे देश में प्रजातंत्र है तो हमारे देश की सरकार हमारे समाज का आइना ही होगी और सरकार में नेता यदि योग्य और आदर्शवादी नहीं हैं तो उसका कारण है कि हमारे गली-मुहल्ले में ही कितने आदर्शवादी रहते हैं ? ऐसी कितनी पत्नी हैं जो अपने पति से कहती हैं कि चाहे भूखे ही सो जाएंगे लेकिन घर में रिश्वत का एक पैसा नहीं आना चाहिए। | + | यदि हमारे देश में प्रजातंत्र है तो हमारे देश की सरकार हमारे समाज का आइना ही होगी और सरकार में नेता यदि योग्य और आदर्शवादी नहीं हैं तो उसका कारण है कि हमारे गली-मुहल्ले में ही कितने आदर्शवादी रहते हैं ? ऐसी कितनी पत्नी हैं जो अपने पति से कहती हैं कि चाहे भूखे ही सो जाएंगे लेकिन घर में रिश्वत का एक पैसा नहीं आना चाहिए। |
− | जिस समय मेरे लिए राजपथ पर प्रदर्शन हो रहा था उस समय राजधानी में ही दबंग फ़िल्म सौ करोड़ की कमाई करने के लिए हाउसफ़ुल ले रही थी। जब कि अख़बारों और टीवी पर तो यह समाचार आना चाहिए कि सिनेमा हॉल ख़ाली रहे... कोई फ़िल्में देखने पहुँचा ही नहीं। जब तक हमारा अपना आँगन साफ़ नहीं होगा तब तक राजपथ से कोई उम्मीद करना नासमझी ही है। मुझे अपने लिए इंसाफ़ तब तक नहीं चाहिए प्रभु ! जब तक कि उन सभी लड़कियों को भी न्याय नहीं मिलता जिनके लिए कोई प्रदर्शन और आंदोलन नहीं हुए क्योंकि उन लड़कियों में से कोई सुदूर राज्य में किसी गांव की है, कोई दलित, कोई आदिवासी और कोई अल्पसंख्यक है। | + | जिस समय मेरे लिए राजपथ पर प्रदर्शन हो रहा था, उस समय राजधानी में ही दबंग फ़िल्म सौ करोड़ की कमाई करने के लिए हाउसफ़ुल ले रही थी। जब कि अख़बारों और टीवी पर तो यह समाचार आना चाहिए कि सिनेमा हॉल ख़ाली रहे... कोई फ़िल्में देखने पहुँचा ही नहीं। जब तक हमारा अपना आँगन साफ़ नहीं होगा तब तक राजपथ से कोई उम्मीद करना नासमझी ही है। मुझे अपने लिए इंसाफ़ तब तक नहीं चाहिए प्रभु ! जब तक कि उन सभी लड़कियों को भी न्याय नहीं मिलता जिनके लिए कोई प्रदर्शन और आंदोलन नहीं हुए क्योंकि उन लड़कियों में से कोई सुदूर राज्य में किसी गांव की है, कोई दलित, कोई आदिवासी और कोई अल्पसंख्यक है। |
− | जहाँ तक सवाल अपराधियों को सज़ा देने का है तो यह सभी जानते हैं कि फांसी की सज़ा से हत्याएं कम नहीं होती तो बलात्कार कैसे कम हो जाएंगें ? दिल्ली में सन 2012 में | + | जहाँ तक सवाल अपराधियों को सज़ा देने का है तो यह सभी जानते हैं कि फांसी की सज़ा से हत्याएं कम नहीं होती तो बलात्कार कैसे कम हो जाएंगें ? दिल्ली में सन 2012 में बलात्कार के 650 केस रजिस्टर हुए। याने पूरे वर्ष रोज़ाना दो बलात्कार हुए। आप भी जानते हैं कि बलात्कार तो इससे बहुत ज़्यादा हुए लेकिन जो लिखे गए वे इतने हैं। यूरोप के हालात तो और भी बदतर हैं, न्यूयॉर्क में रोज़ाना औसतन 7 बलात्कार के केस दर्ज होते हैं और लंदन में 9। गांवों के हालात तो ऐसे हैं कहते हुए भी डर लगता है। लड़कियों को छेड़े जाने की तो बात करना भी बेकार है। |
ज़रा सोचिए जिस शहर में रोज़ाना ही कई बलात्कार हो रहे हों और यह संख्या प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हो वहाँ आप इस सड़ी-गली व्यवस्था में किस-किस को न्याय और सुरक्षा देंगें ?" | ज़रा सोचिए जिस शहर में रोज़ाना ही कई बलात्कार हो रहे हों और यह संख्या प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हो वहाँ आप इस सड़ी-गली व्यवस्था में किस-किस को न्याय और सुरक्षा देंगें ?" | ||
"तो फिर तुम चाहती क्या हो बिटिया... तुम्हारी दृष्टि में क्या होना चाहिए ?..." | "तो फिर तुम चाहती क्या हो बिटिया... तुम्हारी दृष्टि में क्या होना चाहिए ?..." |
01:47, 1 जनवरी 2013 का अवतरण
यमलोक में एक निर्भय अमानत 'दामिनी' -आदित्य चौधरी यमलोक में यमराज अपने सिंहासन पर विराजमान हैं। चित्रगुप्त अपने बही खाते से अपरिमित ब्रह्माण्ड में व्याप्त 84 लाख योनियों का असंख्य-असंख्य युगों, चतुर्युगों और मंवंतरों का लेखा-जोखा देख रहे हैं। किसने क्या कर्म किए और वे कैसे थे, किसे स्वर्ग दें किसे नर्क, किसे मोक्ष मिले और किसे पशु योनि। यह सब चल ही रहा था कि सचिव ने घोषणा की-
यदि इस प्रकार की व्यवस्था हो सके तो सुधार संभव है वरना तो सब बेकार की बातें हैं।..." |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ यह व्यवस्था बड़े शहरों के लिए ही होगी इस कड़े में यह व्यवस्था होती है कि जैसे ही इस कड़े पर दवाब बढ़ता है या इसे खोला जाता है इसकी सूचना निकटतम पुलिस तंत्र को मिल जाती है और पुलिस वहाँ पहुंच जाती है। इसके बटन को दबाने से ही पुलिस को बुलाया जा सकता है।
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