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[[चित्र:Yamuna-Mathura-2.jpg|right|100px|border|link=भारतकोश सम्पादकीय 25 जनवरी 2013]]
<center>[[भारतकोश सम्पादकीय 31 दिसम्बर 2012|यमलोक में एक निर्भय अमानत 'दामिनी']]</center>
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<center>[[भारतकोश सम्पादकीय 25 जनवरी 2013|अहम का वहम]]</center>
 
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            मान लीजिए कोई लड़की यदि बलात्कार का विरोध नहीं करती है... वह नियति मान कर अपनी जान की रक्षा के लिए चुपचाप बिना किसी विरोध के बलात्कार में सहमति दे देती है, जिससे कि कम से कम मार खाने से तो बच जाय और वहाँ पुलिस आ जाती है तो उस लड़की को निश्चित ही वैश्यावृत्ति के जुर्म में गिरफ़्तार किया जाएगा... क्या वह लड़की यह साबित कर पाएगी कि वह वैश्या नहीं है ? [[भारतकोश सम्पादकीय 31 दिसम्बर 2012|...पूरा पढ़ें]]
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              हमारे आस-पास अक्सर ऐसे लोग मिल जाते हैं जिनमें कोई न कोई विशेष प्रतिभा होती है लेकिन वे सफल नहीं होते और भाग्य को दोष देते मिलते हैं। जबकि वे यह नहीं जान पाते कि उनकी सफलता का रास्ता रोकने के लिए अहंकार हर समय उनके मस्तिष्क पर शासन करता है। प्रतिभा को निखारने के लिए अपने ऊपर से ध्यान हटाना पड़ता है। उसके बाद ही हमारा ध्यान प्रतिभा को निखारने में लगता है। कोई जन्म से 'रहमान' या 'गुलज़ार' नहीं होता [[भारतकोश सम्पादकीय 25 जनवरी 2013|...पूरा पढ़ें]]
 
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| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले लेख]] →
 
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| [[भारतकोश सम्पादकीय 30 अक्टूबर 2012|उसके सुख का दु:ख]] ·
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| [[भारतकोश सम्पादकीय 31 दिसम्बर 2012|यमलोक में एक निर्भय अमानत 'दामिनी']] ·
| [[भारतकोश सम्पादकीय 22 सितम्बर 2012|चौकोर फ़ुटबॉल]] ·
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| [[भारतकोश सम्पादकीय 30 अक्टूबर 2012|उसके सुख का दु:ख]]
| [[भारतकोश सम्पादकीय 4 सितम्बर 2012|शाप और प्रतिज्ञा]]  
 
 
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12:56, 25 जनवरी 2013 का अवतरण

भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी
Yamuna-Mathura-2.jpg
अहम का वहम

              हमारे आस-पास अक्सर ऐसे लोग मिल जाते हैं जिनमें कोई न कोई विशेष प्रतिभा होती है लेकिन वे सफल नहीं होते और भाग्य को दोष देते मिलते हैं। जबकि वे यह नहीं जान पाते कि उनकी सफलता का रास्ता रोकने के लिए अहंकार हर समय उनके मस्तिष्क पर शासन करता है। प्रतिभा को निखारने के लिए अपने ऊपर से ध्यान हटाना पड़ता है। उसके बाद ही हमारा ध्यान प्रतिभा को निखारने में लगता है। कोई जन्म से 'रहमान' या 'गुलज़ार' नहीं होता ...पूरा पढ़ें

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