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*श्री वासुदेवशरण अग्रवाल के अनुसार प्राचीन काल में बहुधान्यक पर यौधेयगण का राज्य था। इनके सिक्के रोहतक के निकट के खाकराकोट नामक स्थान पर मिले हैं।
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*श्री वासुदेवशरण अग्रवाल के अनुसार प्राचीन काल में बहुधान्यक पर यौधेयगण का राज्य था। इनके सिक़्क़े रोहतक के निकट के खाकराकोट नामक स्थान पर मिले हैं।
 
*कुछ विद्वानों ने अपने मत में बहुधान्यक को वर्तमान [[लुधियाना]] ([[पंजाब]]) माना है।
 
*कुछ विद्वानों ने अपने मत में बहुधान्यक को वर्तमान [[लुधियाना]] ([[पंजाब]]) माना है।
 
*यह भी संभव है कि लुधियाना बहुधान्यक का ही अप्रभंश हो।
 
*यह भी संभव है कि लुधियाना बहुधान्यक का ही अप्रभंश हो।

14:38, 11 फ़रवरी 2013 का अवतरण

बहुधान्यक नामक स्थान का वर्णन महाभारत, सभापर्व[1] में हुआ है। इस वर्णन में इस स्थान उल्लेख 'रोहीतक' (वर्तमान रोहतक) के साथ है।[2]

  • श्री वासुदेवशरण अग्रवाल के अनुसार प्राचीन काल में बहुधान्यक पर यौधेयगण का राज्य था। इनके सिक़्क़े रोहतक के निकट के खाकराकोट नामक स्थान पर मिले हैं।
  • कुछ विद्वानों ने अपने मत में बहुधान्यक को वर्तमान लुधियाना (पंजाब) माना है।
  • यह भी संभव है कि लुधियाना बहुधान्यक का ही अप्रभंश हो।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सभापर्व 32, 4
  2. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 615 |

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