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<center>[[भारतकोश सम्पादकीय 3 जून 2013|घूँघट से मरघट तक]]</center>
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<center>[[भारतकोश सम्पादकीय 9 जुलाई 2013|कल आज और कल]]</center>
 
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छोटे पहलवान: "एक किलो मैदा में कितनी कचौड़ी निकाल रहे हो ?"
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अक्सर [[नारद|नारद जी]] ही अपने अनूठे प्रश्नों के लिए प्रसिद्ध हैं, तो नारद जी ने भगवान [[कृष्ण]] से पूछा-
हलवाई: "एक किलो में ! अठारह निकाल रहा हूँ... क्यों क्या हो गया ?" हलवाई ने ऐसे व्यंग्यपूर्ण मुद्रा में आश्चर्य व्यक्त किया जैसे जहाज़ चलाते हुए पायलॅट से कोई साधारण यात्री कॉकपिट में जाकर हवाई जहाज़ चलाने के बारे में सवाल कर रहा हो।"
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"अब [[द्वापर युग|द्वापर]] के बाद [[कलि युग|कलियुग]] आएगा वह कैसा [[युग]] होगा प्रभु!
छोटे पहलवान: "अठारह ? ये क्या कर रहे हो यार ? एक किलो मैदा में अठारह कचौड़ी ?" छोटे पहलवान ने आश्चर्य व्यक्त किया और हलवाई को कचौड़ियों का गणित स्कूल के हैडमास्टर की तरह विस्तार से समझाया। [[भारतकोश सम्पादकीय 3 जून 2013|...पूरा पढ़ें]]
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कृष्ण बोले "देवर्षि नारद! [[सत युग|सतयुग]], सत्य का युग था। [[त्रेता युग|त्रेता]] मर्यादा का युग था। द्वापर कर्म का युग है और कलियुग न्याय का युग होगा।"
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नारद: "सर्वश्रेष्ठ युग कौन सा होता है प्रभु?" [[भारतकोश सम्पादकीय 9 जुलाई 2013|...पूरा पढ़ें]]
 
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| [[भारतकोश सम्पादकीय 3 मई 2013|सभ्य जानवर]]  ·
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14:21, 9 जुलाई 2013 का अवतरण

भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी
Sundial.jpg
कल आज और कल

अक्सर नारद जी ही अपने अनूठे प्रश्नों के लिए प्रसिद्ध हैं, तो नारद जी ने भगवान कृष्ण से पूछा-
"अब द्वापर के बाद कलियुग आएगा वह कैसा युग होगा प्रभु!
कृष्ण बोले "देवर्षि नारद! सतयुग, सत्य का युग था। त्रेता मर्यादा का युग था। द्वापर कर्म का युग है और कलियुग न्याय का युग होगा।"
नारद: "सर्वश्रेष्ठ युग कौन सा होता है प्रभु?" ...पूरा पढ़ें

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