"अलवर" के अवतरणों में अंतर
फ़ौज़िया ख़ान (चर्चा | योगदान) |
फ़ौज़िया ख़ान (चर्चा | योगदान) (→पर्यटन) |
||
पंक्ति 68: | पंक्ति 68: | ||
==पर्यटन== | ==पर्यटन== | ||
{{main|अलवर पर्यटन}} | {{main|अलवर पर्यटन}} | ||
− | |||
अलवर का राजस्थान के पर्यटन स्थलों में बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। अलवर ऐतिहासिक इमारतों से भरा पड़ा है। नयनाभिराम सिलिसर्थ झील के किनारे स्थित महल में एक संग्रहालय है, जिसमें हिंदी, संस्कृत और फ़ारसी पांडुलिपियाँ तथा राजस्थानी व मुग़ल लघु चित्रों का संग्रह रखा गया है। अलवर के दर्शनीय स्थान- | अलवर का राजस्थान के पर्यटन स्थलों में बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। अलवर ऐतिहासिक इमारतों से भरा पड़ा है। नयनाभिराम सिलिसर्थ झील के किनारे स्थित महल में एक संग्रहालय है, जिसमें हिंदी, संस्कृत और फ़ारसी पांडुलिपियाँ तथा राजस्थानी व मुग़ल लघु चित्रों का संग्रह रखा गया है। अलवर के दर्शनीय स्थान- | ||
− | + | [[चित्र: Neemrana-Fort-Palace-Alwar-1.jpg|[[नीमराना फ़ोर्ट पैलेस]], अलवर<br /> Neemrana Fort Palace, Alwar|thumb|left]] | |
'''[[सिटी पैलेस अलवर|सिटी पैलेस]] :-''' सिटी पैलैस परिसर अलवर के पूर्वी छोर की शान है। सिटी पैलैस के ऊपर अरावली की पहाड़ियाँ हैं, जिन पर बाला क़िला बना है। | '''[[सिटी पैलेस अलवर|सिटी पैलेस]] :-''' सिटी पैलैस परिसर अलवर के पूर्वी छोर की शान है। सिटी पैलैस के ऊपर अरावली की पहाड़ियाँ हैं, जिन पर बाला क़िला बना है। | ||
पंक्ति 78: | पंक्ति 77: | ||
'''[[मोती डुंगरी अलवर|मोती डुंगरी]] :-''' मोती डुंगरी का निर्माण वर्ष 1882 ई॰ में हुआ था। मोती डुंगरी को वर्ष 1928 ई॰ तक अलवर के शाही परिवारों का आवास रहा था। | '''[[मोती डुंगरी अलवर|मोती डुंगरी]] :-''' मोती डुंगरी का निर्माण वर्ष 1882 ई॰ में हुआ था। मोती डुंगरी को वर्ष 1928 ई॰ तक अलवर के शाही परिवारों का आवास रहा था। | ||
− | |||
'''[[सरिस्का अलवर|सरिस्का]] :-''' राजस्थान के अलवर ज़िले में अरावली की पहाड़ियों पर 800 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला सरिस्का मुख्य रूप से वन्य जीव अभ्यारण्य और टाइगर रिजर्व के लिए प्रसिद्ध है। अलवर के सरिस्का की गिनती भारत के जाने माने वन्य जीव अभ्यारण्यों में की जाती है। | '''[[सरिस्का अलवर|सरिस्का]] :-''' राजस्थान के अलवर ज़िले में अरावली की पहाड़ियों पर 800 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला सरिस्का मुख्य रूप से वन्य जीव अभ्यारण्य और टाइगर रिजर्व के लिए प्रसिद्ध है। अलवर के सरिस्का की गिनती भारत के जाने माने वन्य जीव अभ्यारण्यों में की जाती है। | ||
− | + | [[चित्र:Siliserh-Lake-Alwar.jpg|सिलीसेढ़ झील, अलवर<br /> Siliserh Lake, Alwar|thumb]] | |
====<u>झील</u>==== | ====<u>झील</u>==== | ||
'''राजसमन्द झील :-''' 7 किमी. लम्बी व 3 किमी. चौडी यह झील 55 फीट गहरी हैं। राजसमन्द झील की पाल, नौचौकी व इस ख़ूबसूरत झील के पाल पर बनी छतरियों की छतों, स्तम्भों तथा तोरण द्वार पर की गयी मूर्तिकला व नक्काशी देखकर स्वतः ही देलवाडा के [[जैन]] मंदिरों की याद आ जाती है। | '''राजसमन्द झील :-''' 7 किमी. लम्बी व 3 किमी. चौडी यह झील 55 फीट गहरी हैं। राजसमन्द झील की पाल, नौचौकी व इस ख़ूबसूरत झील के पाल पर बनी छतरियों की छतों, स्तम्भों तथा तोरण द्वार पर की गयी मूर्तिकला व नक्काशी देखकर स्वतः ही देलवाडा के [[जैन]] मंदिरों की याद आ जाती है। | ||
'''सिलीसेढ़ झील :-''' सिलीसेढ़ झील एक प्राकृतिक झील है। सिलीसेढ़ झील सुंदर है तथा पर्यटन का मुख्य स्थल है। | '''सिलीसेढ़ झील :-''' सिलीसेढ़ झील एक प्राकृतिक झील है। सिलीसेढ़ झील सुंदर है तथा पर्यटन का मुख्य स्थल है। | ||
+ | |||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
[http://www.alwar.nic.in/homepage.htm अधिकारिक वेबसाइट]<br /> | [http://www.alwar.nic.in/homepage.htm अधिकारिक वेबसाइट]<br /> |
07:40, 8 जुलाई 2010 का अवतरण
अलवर | अलवर पर्यटन | अलवर ज़िला |
अलवर
| |
विवरण | अलवर पूर्वोत्तर राजस्थान राज्य के पश्चिमोत्तर भारत में स्थित है। |
राज्य | राजस्थान |
ज़िला | अलवर ज़िला |
स्थापना | राजा शाल्व महाभारतकाल |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 27° 41' - पूर्व -76° 6' |
मार्ग स्थिति | यह शहर सड़क द्वारा आगरा से 150 किमी., दिल्ली से 164 किमी., सरिस्का से 42 किमी., भरतपुर से 94 किमी., डीग से 61 किमी. और जयपुर से 143 किमी. दुरी पर स्थित है। |
प्रसिद्धि | अरावली पर्वत श्रेणियों की तलहटी में बसा अलवर पूर्वी राजस्थान में 'काश्मीर' नाम से जाना जाता है। अलवर की कलाकंद मिठाई प्रसिद्ध है। |
कब जाएँ | अक्टूबर से मार्च |
निकट्टम हवाई अड्डा जयपुर और दिल्ली में स्थित है। | |
अलवर जंक्शन | |
जनरल बस अड्डा | |
क्या देखें | सिटी पैलेस, बाला क़िला, फतहगंज का मक़बरा, मोती डुंगरी, सरिस्का, राजसमन्द झील, सिलीसेढ़ झील |
कहाँ ठहरें | अलवर प्रवास |
एस.टी.डी. कोड | 0144 |
स्थिति
अलवर शहर, पूर्वोत्तर राजस्थान राज्य के पश्चिमोत्तर भारत में स्थित है। अलवर का क्षेत्र दक्षिण से उत्तर में लगभग 13 किमी. तथा पूर्व में लगभग 110 किमी तक फैला हुआ हैं। अलवर का प्राचीन नाम शाल्वपुर था। चारदीवारी और खाई से घिरे इस शहर में एक पर्वतश्रेणी की पृष्ठभूमि के सामने शंक्वाकार पहाड़ पर स्थित 'बाला क़िला' इसकी विशिष्टता है। 1775 में इसे अलवर रजवाड़े की राजधानी बनाया गया था। अरावली पर्वत श्रेणियों की तलहटी में बसा अलवर पूर्वी राजस्थान में 'काश्मीर' नाम से जाना जाता है तथा पर्यटकों के लिए सदैव आकर्षण का केंद्र रहा है। दिल्ली के निकट होने के कारण यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र मे शामिल है। दिल्ली से क़रीब 100 मील दूर बसा राजस्थान का 'सिंहद्धार' अलवर ज़िला अपनी प्राकृतिक सुषमा के कारण अन्य ज़िलों से अपना अलग अस्तित्व बनाए हुए है। अलवर अरावली की पहाडियों के मध्य में बसा है। अलवर की सीमायें
- उत्तर एवं पूर्वोत्तर में हरियाणा गाँव के गुडगाँव ज़िले।
- पूर्व में राजस्थान का भरतपुर ज़िला।
- पश्चिम में जयपुर।
- दक्षिण में यह दौसा ज़िलों से लगती हैं।
- पश्चिमोत्तर में हरियाणा राज्य का महेन्द्रगढ़ ज़िला इससे लगा हुआ है। अलवर ज़िले का मध्य भाग अरावली पहाडियों से घिरा हुआ हैं। अलवर जयपुर से 150 किमी दूर स्थित है।
इतिहास
किंवदंती के अनुसार महाभारतकालीन राजा शाल्व ने इसे बसाया था। अलवर शायद शाल्वपुर का अपभ्रंश है। महाभारत के अनुसार शाल्व ने जो मार्तिकावतक का राजा था तथा सौभ नामक अद्भुत विमान का स्वामी था, द्वारका पर आक्रमण किया था। मार्तिकावतक नगर की स्थिति अलवर के निकट ही मानी जा सकती है।
भारतीय संस्कृति का परचम फहराने वाले स्वामी विवेकानन्द अलवर में पहली बार वर्ष 1891 ई॰ में आए। अलवर आने के बाद अलवर के चिकित्सालय में कार्यरत बंगाली चिकित्सक से उनकी मुलाकत हुई और चिकित्सक ने बाद में उन्हें वर्तमान में मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में स्थित एक कोठरीनुमा कमरे में ठहरने के लिए जगह दी। यहाँ प्रवास के दौरान उनके कम्पनी बाग में उस मिट्टी के टीले पर प्रवचन होते थे जहाँ वर्तमान में शिवाजी की मूर्ति है। इसी दौरान उनकी शहर के कई लोगों से पहचान हो गई थी। इसके बाद वे पैदल चलकर सरिस्का गए। स्वामी विवेकानंद अलवर में दो बार आए थे। पहली बार वे 28 फरवरी 1891 में अलवर आए और पूरे एक महीने तक यहाँ रहे तथा दूसरी बार में 1897 ई॰ में अलवर आए थे। यह यात्रा उन्होंने अमेरिका से वापस लौटने के बाद की थी।
कृषि और खनिज
अलवर एक कृषि विपणन और यातायात केंद्र है। यहाँ वस्त्र निर्माण, तिलहन तथा आटा मिलें एवं पेंट, वार्निश व मिट्टी के बर्तन बनाने के उद्योग स्थित हैं।
शिक्षण संस्थान
अलवर में राजस्थान विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय भी हैं।
यातायात और परिवहन
रेलमार्ग
उत्तर-पश्चिमी रेलवे के दिल्ली-अहमदाबाद रेलमार्ग पर स्थित अलवर दिल्ली और जयपुर के लगभग मध्य में पडता है। राष्ट्रीय राजमार्ग नम्बर-8 अलवर ज़िले से होकर ही गुजरता है। सरिस्का से 37 किमी. दूर अलवर के नजदीकी रेलवे स्टेशन है। अलवर देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से अनेक रेलगाड़ियों के माध्यम से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग
सरिस्का दिल्ली-अलवर-जयपुर हाइवे पर स्थित है। जयपुर से सरिस्का जाने के लिए डीलक्स और नॉन डीलक्स बसों की व्यवस्था है। इसके अलावा दिल्ली और राजस्थान के अन्य शहरों से नियमित हैं। अलवर जयपुर से 143 किमी. और दिल्ली से 164 किमी. दूरी पर स्थित है।
जनसंख्या
अलवर की कुल जनसंख्या (2001 की गणना के अनुसार) 2,60,245 है। अलवर के कुल ज़िले की जनसंख्या 29,90,862 है।
पर्यटन
अलवर का राजस्थान के पर्यटन स्थलों में बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। अलवर ऐतिहासिक इमारतों से भरा पड़ा है। नयनाभिराम सिलिसर्थ झील के किनारे स्थित महल में एक संग्रहालय है, जिसमें हिंदी, संस्कृत और फ़ारसी पांडुलिपियाँ तथा राजस्थानी व मुग़ल लघु चित्रों का संग्रह रखा गया है। अलवर के दर्शनीय स्थान-
सिटी पैलेस :- सिटी पैलैस परिसर अलवर के पूर्वी छोर की शान है। सिटी पैलैस के ऊपर अरावली की पहाड़ियाँ हैं, जिन पर बाला क़िला बना है।
बाला क़िला :- बाला क़िले की दीवार पूरी पहाडी पर फैली हुई है जो हरे-भरे मैदानों से गुजरती है। पूरे अलवर शहर में यह सबसे पुरानी इमारत है।
फतहगंज का मक़बरा :- अलवर में फतहगंज का मक़बरा 5 मंजिला है। ख़ूबसूरती के मामले में यह हुमायूँ के मक़बरे से भी सुन्दर है।
मोती डुंगरी :- मोती डुंगरी का निर्माण वर्ष 1882 ई॰ में हुआ था। मोती डुंगरी को वर्ष 1928 ई॰ तक अलवर के शाही परिवारों का आवास रहा था। सरिस्का :- राजस्थान के अलवर ज़िले में अरावली की पहाड़ियों पर 800 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला सरिस्का मुख्य रूप से वन्य जीव अभ्यारण्य और टाइगर रिजर्व के लिए प्रसिद्ध है। अलवर के सरिस्का की गिनती भारत के जाने माने वन्य जीव अभ्यारण्यों में की जाती है।
झील
राजसमन्द झील :- 7 किमी. लम्बी व 3 किमी. चौडी यह झील 55 फीट गहरी हैं। राजसमन्द झील की पाल, नौचौकी व इस ख़ूबसूरत झील के पाल पर बनी छतरियों की छतों, स्तम्भों तथा तोरण द्वार पर की गयी मूर्तिकला व नक्काशी देखकर स्वतः ही देलवाडा के जैन मंदिरों की याद आ जाती है।
सिलीसेढ़ झील :- सिलीसेढ़ झील एक प्राकृतिक झील है। सिलीसेढ़ झील सुंदर है तथा पर्यटन का मुख्य स्थल है।
बाहरी कड़ियाँ
अधिकारिक वेबसाइट
Gazetteer of Ulwur