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         '''[[रसखान|सैय्यद इब्राहीम 'रसखान']]''' का [[हिन्दी साहित्य]] में [[कृष्ण]] भक्त तथा [[रीतिकाल|रीतिकालीन]] कवियों में महत्त्वपूर्ण स्थान है। रसखान को 'रस की खान(क़ान)' कहा जाता है। इनके [[काव्य]] में भक्ति, [[श्रृंगार रस]] दोनों प्रधानता से मिलते हैं। उन्होंने अपने काव्य की सीमित परिधि में इन असीमित लीलाओं का बहुत सूक्ष्म वर्णन किया है। [[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]] ने जिन [[मुस्लिम]] हरिभक्तों के लिये कहा था, '''इन मुसलमान हरिजनन पर कोटिन हिन्दू वारिए''' उनमें "रसखान" का नाम सर्वोपरि है। रसखान की कविताओं के दो संग्रह प्रकाशित हुए हैं- 'सुजान रसखान' और 'प्रेमवाटिका'। 'सुजान रसखान' में 139 सवैये और कवित्त है। 'प्रेमवाटिका' में 52 दोहे हैं, जिनमें प्रेम का बड़ा अनूठा निरूपण किया गया है। [[रसखान|... और पढ़ें]]
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         '''[[गणतंत्र दिवस]]''' [[भारत]] में [[26 जनवरी]] को मनाया जाता है और यह भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है। 26 जनवरी, 1950 को [[भारत का संविधान|भारतीय संविधान]] लागू होने के बाद सरकार के संसदीय रूप के साथ एक संप्रभुताशाली समाजवादी लोक‍तांत्रिक गणतंत्र के रूप में भारत देश सामने आया। सबसे पहली बार 21 तोपों की सलामी के साथ भारतीय [[तिरंगा|राष्‍ट्रीय ध्‍वज]] को [[राजेन्द्र प्रसाद|डॉ. राजेन्द्र प्रसाद]] ने फहराकर 26 जनवरी, 1950 को भारतीय गणतंत्र के ऐतिहासिक जन्‍म की घो‍षणा की थी। यह आयोजन हमें देश के सभी शहीदों के नि:स्‍वार्थ बलिदान की याद दिलाता है, जिन्‍होंने आज़ादी के संघर्ष में अपने जीवन बलिदान कर दिए और विदेशी आक्रमणों के विरुद्ध अनेक लड़ाइयाँ जीती। [[गणतंत्र दिवस|... और पढ़ें]]
 
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14:04, 18 जनवरी 2014 का अवतरण

एक आलेख
गणतंत्र दिवस के विभिन्न दृश्य

        गणतंत्र दिवस भारत में 26 जनवरी को मनाया जाता है और यह भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है। 26 जनवरी, 1950 को भारतीय संविधान लागू होने के बाद सरकार के संसदीय रूप के साथ एक संप्रभुताशाली समाजवादी लोक‍तांत्रिक गणतंत्र के रूप में भारत देश सामने आया। सबसे पहली बार 21 तोपों की सलामी के साथ भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने फहराकर 26 जनवरी, 1950 को भारतीय गणतंत्र के ऐतिहासिक जन्‍म की घो‍षणा की थी। यह आयोजन हमें देश के सभी शहीदों के नि:स्‍वार्थ बलिदान की याद दिलाता है, जिन्‍होंने आज़ादी के संघर्ष में अपने जीवन बलिदान कर दिए और विदेशी आक्रमणों के विरुद्ध अनेक लड़ाइयाँ जीती। ... और पढ़ें


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