"तख़्त बनते हैं -आदित्य चौधरी" के अवतरणों में अंतर

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गुनाहों को छुपाने का हुनर उनका निराला है
 
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ख़ून तेरा ही होता है हाथ भी तेरे सनते हैं
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तेरा ही ख़ून होता है हाथ तेरे ही सनते हैं
  
 
न जाने कौनसी खिड़की से तू खाते बनाता है
 
न जाने कौनसी खिड़की से तू खाते बनाता है
 
जो तेरी जेब के पैसे से उनके चॅक भुनते हैं
 
जो तेरी जेब के पैसे से उनके चॅक भुनते हैं
  
बना है तेरी ही छत से ही सुनहरा आसमां उनका
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मिलेगी छत चुनावों में, वहाँ तम्बू जो तनते हैं
 
मिलेगी छत चुनावों में, वहाँ तम्बू जो तनते हैं
  

13:14, 28 जनवरी 2014 का अवतरण

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तख़्त बनते हैं -आदित्य चौधरी

तेरे ताबूत की कीलों से उनके तख़्त बनते हैं
कुचल जा जाके सड़कों पे, तभी वो बात सुनते हैं

गुनाहों को छुपाने का हुनर उनका निराला है
तेरा ही ख़ून होता है हाथ तेरे ही सनते हैं

न जाने कौनसी खिड़की से तू खाते बनाता है
जो तेरी जेब के पैसे से उनके चॅक भुनते हैं

बना है तेरी ही छत से सुनहरा आसमां उनका
मिलेगी छत चुनावों में, वहाँ तम्बू जो तनते हैं

न जाने किस तरह भगवान ने इनको बनाया था
नहीं जनती है इनको मां, यही अब मां को जनते हैं


टीका टिप्पणी और संदर्भ