एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "०"।

"शुक्रवार व्रत की आरती" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
 
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
 
{{seealso|रविवार व्रत की आरती|बुधवार व्रत की आरती}}
 
{{seealso|रविवार व्रत की आरती|बुधवार व्रत की आरती}}
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
{{आरती स्तुति स्त्रोत}}
+
{{आरती स्तुति स्तोत्र}}
[[Category:आरती_स्तुति_स्त्रोत]]
+
[[Category:आरती स्तुति स्तोत्र]]
[[Category:हिन्दू धर्म कोश]]
+
[[Category:हिन्दू धर्म]] [[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]  
 
__INDEX__
 
__INDEX__

12:15, 21 मार्च 2014 के समय का अवतरण

आरती लक्ष्मण बाल जती की। असुर संहारन प्राणपति की॥
जगमग ज्योति अवधपुरी की। शेषाचल पर आप विराजे॥
घंटाताल पखावज बाजै। कोटि देव सब आरती साजै॥
क्रीटमुकुट कर धनुष विराजै। तीन लोक जाकी शोभा राजै॥
कंचन थार कपूर सुहाई। आरती करत सुमित्रा माई॥
प्रेम मगन होय आरती गावैं। बसि बैकुण्ठ बहुरि नहीं आवैं॥
भक्त हेतु हरि लाड़ लड़ावैं। जब घनश्याम परम पद पावैं॥

इन्हें भी देखें: रविवार व्रत की आरती एवं बुधवार व्रत की आरती

संबंधित लेख