"यूँ तो कुछ भी नया नहीं -आदित्य चौधरी" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
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सुन के आवाज़ अपने दिल के टूट जाने की ! | सुन के आवाज़ अपने दिल के टूट जाने की ! | ||
− | मैं भी हैरान हूँ, | + | मैं भी हैरान हूँ इस, क़िस्म के वीराने में !! |
ग़मे दौराँ की भी क़ीमत लगाई जाती है ! | ग़मे दौराँ की भी क़ीमत लगाई जाती है ! | ||
− | तन्हा जीने की भी, | + | तन्हा जीने की भी इक, शर्त है ज़माने में !! |
कोई मक़्सद ही नहीं मुझको मिला जीने का ! | कोई मक़्सद ही नहीं मुझको मिला जीने का ! |
07:05, 7 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण
यूँ तो कुछ भी नया नहीं -आदित्य चौधरी
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