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यह लता वार्षिकी, कठिन श्वेत रोमों से आवृत और पाँच से छ: इंच व्यास के पत्तों वाली होती है। इसमें [[पुष्प]] के साथ अंडाकार फल लगते हैं। इसका कच्चा फल हरा, लेकिन पकने पर श्वेत, बृहदाकार होता है। यह [[वर्षा]] के प्रारंभ में बोया जाता है। शिशिर में फल पकता है। कुष्मांड लता के बीज चिपटे होते हैं। इसके एक भेद को 'क्षेत्रकुष्मांड' या 'कोंहड़ा' भी कहते हैं, जो कच्ची अवस्था में [[हरा रंग|हरा]] और पकने पर [[पीला रंग|पीला]] हो जाता है।<ref>{{cite web |url=http://khoj.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A1|title=कुष्मांड|accessmonthday=15 मार्च|accessyear=2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
 
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====आयुर्वेद का उल्लेख====
 
====आयुर्वेद का उल्लेख====
कुष्मांड खेतों में बोया जाता है या फिर घरों की छप्पर आदि पर लता के रूप में चढ़ाया जाता है। यह [[भारत]] में सर्वत्र उपजता है। [[आयुर्वेद]] में इसे लघु, स्निग्ध, मधुर, शीतवार्य, बात, पित्त, क्षय, अपस्मार, रक्तपित्त और उनमाद नाशक, बलदायक, मूत्रजनक, निद्राकर, तृष्णाशामक और बीज कृमिनाशक आदि कहा गया है। इसके सभी भाग- [[फल]], रस, बीज, त्वक्‌ पत्र, मूल, डंठल-तैल ओषधियों तथा अन्य कामों में प्रयुक्त होते हैं।
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कुष्मांड खेतों में बोया जाता है या फिर घरों की छप्पर आदि पर लता के रूप में चढ़ाया जाता है। यह [[भारत]] में सर्वत्र उपजता है। [[आयुर्वेद]] में इसे लघु, स्निग्ध, मधुर, शीतवार्य, बात, पित्त, क्षय, [[अपस्मार]], रक्तपित्त और उनमाद नाशक, बलदायक, मूत्रजनक, निद्राकर, तृष्णाशामक और बीज कृमिनाशक आदि कहा गया है। इसके सभी भाग- [[फल]], रस, बीज, त्वक्‌ पत्र, मूल, डंठल-तैल ओषधियों तथा अन्य कामों में प्रयुक्त होते हैं।
 
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इस लता के मुरब्बे, पाक, अवलेह, ठंढाई, घृत आदि बनते हैं। इसके फल में [[जल]] के अतिरिक्त स्टार्च, क्षार तत्व, [[प्रोटीन]], मायोसीन शर्करा, तिक्त राल आदि रहते हैं।
 
इस लता के मुरब्बे, पाक, अवलेह, ठंढाई, घृत आदि बनते हैं। इसके फल में [[जल]] के अतिरिक्त स्टार्च, क्षार तत्व, [[प्रोटीन]], मायोसीन शर्करा, तिक्त राल आदि रहते हैं।
 
==खाद्य अंश विश्लेषण==
 
==खाद्य अंश विश्लेषण==
 
कुष्मांड के फलों के खाद्य अंश के विश्लेषण से प्राप्त आंकड़े इस प्रकार हैं-
 
कुष्मांड के फलों के खाद्य अंश के विश्लेषण से प्राप्त आंकड़े इस प्रकार हैं-
#आर्द्रता - 94.8
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#प्रोटीन - 0.5
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#खनिज पदार्थ - 0.3
 
#खनिज पदार्थ - 0.3
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#विटामिन सी - 18 मि.ग्रा. या 100 ग्रा.
 
#विटामिन सी - 18 मि.ग्रा. या 100 ग्रा.
  

05:43, 23 जुलाई 2014 का अवतरण

कुष्मांड या 'कूष्मांड' एक लता का नाम का नाम है, जिसका फल 'पेठा', 'भतुआ', 'कोंहड़ा' आदि नामों से भी अभिहित किया जाता है। इस लता का लैटिन नाम 'बेनिनकेसा हिस्पिडा' [1] है।

संरचना

यह लता वार्षिकी, कठिन श्वेत रोमों से आवृत और पाँच से छ: इंच व्यास के पत्तों वाली होती है। इसमें पुष्प के साथ अंडाकार फल लगते हैं। इसका कच्चा फल हरा, लेकिन पकने पर श्वेत, बृहदाकार होता है। यह वर्षा के प्रारंभ में बोया जाता है। शिशिर में फल पकता है। कुष्मांड लता के बीज चिपटे होते हैं। इसके एक भेद को 'क्षेत्रकुष्मांड' या 'कोंहड़ा' भी कहते हैं, जो कच्ची अवस्था में हरा और पकने पर पीला हो जाता है।[2]

आयुर्वेद का उल्लेख

कुष्मांड खेतों में बोया जाता है या फिर घरों की छप्पर आदि पर लता के रूप में चढ़ाया जाता है। यह भारत में सर्वत्र उपजता है। आयुर्वेद में इसे लघु, स्निग्ध, मधुर, शीतवार्य, बात, पित्त, क्षय, अपस्मार, रक्तपित्त और उनमाद नाशक, बलदायक, मूत्रजनक, निद्राकर, तृष्णाशामक और बीज कृमिनाशक आदि कहा गया है। इसके सभी भाग- फल, रस, बीज, त्वक्‌ पत्र, मूल, डंठल-तैल ओषधियों तथा अन्य कामों में प्रयुक्त होते हैं।

तत्त्व संगठन

इस लता के मुरब्बे, पाक, अवलेह, ठंढाई, घृत आदि बनते हैं। इसके फल में जल के अतिरिक्त स्टार्च, क्षार तत्व, प्रोटीन, मायोसीन शर्करा, तिक्त राल आदि रहते हैं।

खाद्य अंश विश्लेषण

कुष्मांड के फलों के खाद्य अंश के विश्लेषण से प्राप्त आंकड़े इस प्रकार हैं-

  1. आर्द्रता - 94.8
  2. प्रोटीन - 0.5
  3. वसा (ईथर निष्कर्ष) - 0.1
  4. कार्बोहाइड्रेट - 4.3
  5. खनिज पदार्थ - 0.3
  6. कैल्सियम - 0.1
  7. फास्फोरस - 0.3
  8. लोहा - 0.6 मि.ग्रा./100 ग्रा.
  9. विटामिन सी - 18 मि.ग्रा. या 100 ग्रा.

कुष्मांड के बीजों का उपयोग खाद्य पदार्थों के रूप में किया जाता है। इसके ताजे बीज कृमिनाशक होते हैं। इसलिए इसके बीजों का उपयोग ओषधि के रूप में भी होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. Benincasa hispida
  2. कुष्मांड (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 15 मार्च, 2014।

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