"अरणी" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
('{{शब्द संदर्भ नया |अर्थ=एक औषधोपयोगी और काफ़ी ऊँचा वृ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 13: पंक्ति 13:
 
}}
 
}}
 
==अग्नि उत्पन्न करने में सहायक==
 
==अग्नि उत्पन्न करने में सहायक==
अरणी की लकड़ी के तख्ते में एक छिछला छेद रहता है। इस छेद पर लकड़ी की छड़ी को मथनी की तरह वेग से नचाया जाता है। [[प्राचीन भारत]] में [[अग्नि]] उत्पन्न करने की इस विधि का प्रचलन था। छड़ी के टुकड़े को उत्तरा और तख्ते को अधरा कहा जाता था। इस विधि से अग्नि उत्पन्न करना भारत के अतिरिक्त [[लंका]], सुमात्रा, [[आस्ट्रेलिया]] और [[दक्षिण अफ्रीका|दक्षिणी अफ्रीका]] में भी प्रचलित था। उत्तरी अमेरीका के इंडियन तथा मध्य अमेरीका के निवासी भी यह विधि काम में लाते थे। एक वार चार्ल्स डार्विन ने टाहिटी (दक्षिणी [[प्रशांत महासागर]] का एक [[द्वीप]] जहाँ स्थानीय आदिवासी ही बसते हैं) में देखा कि वहाँ के निवासी इस प्रकार कुछ ही सेकंड में अग्नि उत्पन्न कर लेते हैं, यद्यपि स्वयं उसे इस काम में सफलता बहुत समय तक परिश्रम करने पर मिली। फारस के प्रसिद्ध ग्रंथ शाहनामा के अनुसार हुसेन ने एक भयंकर सर्पाकार राक्षसी से युद्ध किया और उसे मारने के लिए उन्होंने एक बड़ा पत्थर फेंका। वह पत्थर उस राक्षस को न लगकर एक चट्टान से टकराकर चूर हो गया और इस प्रकार सर्वप्रथम अग्नि उत्पन्न हुई।
+
अरणी की लकड़ी के तख्ते में एक छिछला छेद रहता है। इस छेद पर लकड़ी की छड़ी को मथनी की तरह वेग से नचाया जाता है। [[प्राचीन भारत]] में [[अग्नि]] उत्पन्न करने की इस विधि का प्रचलन था। छड़ी के टुकड़े को उत्तरा और तख्ते को अधरा कहा जाता था। इस विधि से अग्नि उत्पन्न करना भारत के अतिरिक्त [[लंका]], सुमात्रा, [[आस्ट्रेलिया]] और [[दक्षिण अफ्रीका|दक्षिणी अफ्रीका]] में भी प्रचलित था। उत्तरी अमेरीका के इंडियन तथा मध्य अमेरीका के निवासी भी यह विधि काम में लाते थे। एक वार चार्ल्स डार्विन ने टाहिटी (दक्षिणी [[प्रशांत महासागर]] का एक [[द्वीप]] जहाँ स्थानीय आदिवासी ही बसते हैं) में देखा कि वहाँ के निवासी इस प्रकार कुछ ही सेकंड में अग्नि उत्पन्न कर लेते हैं, यद्यपि स्वयं उसे इस काम में सफलता बहुत समय तक परिश्रम करने पर मिली। [[फ़ारस]] के प्रसिद्ध ग्रंथ [[शाहनामा]] के अनुसार हुसेन ने एक भयंकर सर्पाकार राक्षसी से युद्ध किया और उसे मारने के लिए उन्होंने एक बड़ा पत्थर फेंका। वह पत्थर उस राक्षस को न लगकर एक चट्टान से टकराकर चूर हो गया और इस प्रकार सर्वप्रथम अग्नि उत्पन्न हुई।
  
  
 
__INDEX__
 
__INDEX__

10:02, 6 अगस्त 2014 के समय का अवतरण

अग्नि उत्पन्न करने में सहायक

अरणी की लकड़ी के तख्ते में एक छिछला छेद रहता है। इस छेद पर लकड़ी की छड़ी को मथनी की तरह वेग से नचाया जाता है। प्राचीन भारत में अग्नि उत्पन्न करने की इस विधि का प्रचलन था। छड़ी के टुकड़े को उत्तरा और तख्ते को अधरा कहा जाता था। इस विधि से अग्नि उत्पन्न करना भारत के अतिरिक्त लंका, सुमात्रा, आस्ट्रेलिया और दक्षिणी अफ्रीका में भी प्रचलित था। उत्तरी अमेरीका के इंडियन तथा मध्य अमेरीका के निवासी भी यह विधि काम में लाते थे। एक वार चार्ल्स डार्विन ने टाहिटी (दक्षिणी प्रशांत महासागर का एक द्वीप जहाँ स्थानीय आदिवासी ही बसते हैं) में देखा कि वहाँ के निवासी इस प्रकार कुछ ही सेकंड में अग्नि उत्पन्न कर लेते हैं, यद्यपि स्वयं उसे इस काम में सफलता बहुत समय तक परिश्रम करने पर मिली। फ़ारस के प्रसिद्ध ग्रंथ शाहनामा के अनुसार हुसेन ने एक भयंकर सर्पाकार राक्षसी से युद्ध किया और उसे मारने के लिए उन्होंने एक बड़ा पत्थर फेंका। वह पत्थर उस राक्षस को न लगकर एक चट्टान से टकराकर चूर हो गया और इस प्रकार सर्वप्रथम अग्नि उत्पन्न हुई।