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*अपने साम्राज्य विस्तार के कारण वह स्वयं को चीन सम्राट के बराबर मानने लगा था। इसलिए उसने यह मांग की कि चीन का सम्राट अपने यहां की राजकुमारी के साथ उसका विवाह कर दे। | *अपने साम्राज्य विस्तार के कारण वह स्वयं को चीन सम्राट के बराबर मानने लगा था। इसलिए उसने यह मांग की कि चीन का सम्राट अपने यहां की राजकुमारी के साथ उसका विवाह कर दे। | ||
*जब चीनी सम्राट ने उसकी बात नहीं मानी तो उसने एक बड़ी सेना भेजकर चीन पर आक्रमण कर दिया। यह सेना पराजित हो गई और कदफिसस को बाध्य होकर [[चीन]] से संधि करनी पड़ी तथा उसने प्रतिवर्ष कर देना भी स्वीकार किया। | *जब चीनी सम्राट ने उसकी बात नहीं मानी तो उसने एक बड़ी सेना भेजकर चीन पर आक्रमण कर दिया। यह सेना पराजित हो गई और कदफिसस को बाध्य होकर [[चीन]] से संधि करनी पड़ी तथा उसने प्रतिवर्ष कर देना भी स्वीकार किया। | ||
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10:52, 28 अगस्त 2014 के समय का अवतरण
कदफिसस का साम्राज्य पूरब में बनारस तथा दक्षिण में नर्मदा तक फैला था। कुषाण साम्राज्य का सारे उत्तर में विस्तार करने वाले कदफिसस का राजकाल 117 ई. के आसपास समाप्त हुआ।
- मालवा तथा पश्चिमी भारत क्षत्रभ भी उसके अधीन थे।
- अपने साम्राज्य विस्तार के कारण वह स्वयं को चीन सम्राट के बराबर मानने लगा था। इसलिए उसने यह मांग की कि चीन का सम्राट अपने यहां की राजकुमारी के साथ उसका विवाह कर दे।
- जब चीनी सम्राट ने उसकी बात नहीं मानी तो उसने एक बड़ी सेना भेजकर चीन पर आक्रमण कर दिया। यह सेना पराजित हो गई और कदफिसस को बाध्य होकर चीन से संधि करनी पड़ी तथा उसने प्रतिवर्ष कर देना भी स्वीकार किया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख