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-लक्ष्मी नारायण लाल  
 
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-[[गोविन्द वल्लभ पन्त]]  
 
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||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|100px|right|जयशंकर प्रसाद]]प्रसाद जी की रचनाओं में जीवन का विशाल क्षेत्र समाहित हुआ है। प्रेम, सौन्दर्य, देश-प्रेम, रहस्यानुभूति, दर्शन, प्रकृति चित्रण और धर्म आदि विविध विषयों को अभिनव और आकर्षक भंगिमा के साथ आपने काव्यप्रेमियों के सम्मुख प्रस्तुत किया है। ये सभी विषय कवि की शैली और भाषा की असाधारणता के कारण अछूते रूप में सामने आये हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयशंकर प्रसाद]]  
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||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|100px|right|जयशंकर प्रसाद]] प्रसाद जी की रचनाओं में जीवन का विशाल क्षेत्र समाहित हुआ है। प्रेम, सौन्दर्य, देश-प्रेम, रहस्यानुभूति, दर्शन, प्रकृति चित्रण और धर्म आदि विविध विषयों को अभिनव और आकर्षक भंगिमा के साथ आपने काव्यप्रेमियों के सम्मुख प्रस्तुत किया है। ये सभी विषय कवि की शैली और भाषा की असाधारणता के कारण अछूते रूप में सामने आये हैं।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयशंकर प्रसाद]]  
  
 
{'श्रद्धा' किस कृति की नायिका है?  
 
{'श्रद्धा' किस कृति की नायिका है?  
 
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+[[कामायनी]]
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+[[कामायनी -जयशंकर प्रसाद|कामायनी]]
-[[कुरुक्षेत्र]]  
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-[[कुरुक्षेत्र -रामधारी सिंह दिनकर|कुरुक्षेत्र]]  
 
-[[रामायण]]  
 
-[[रामायण]]  
 
-[[साकेत (महाकाव्य)|साकेत]]
 
-[[साकेत (महाकाव्य)|साकेत]]
||[[चित्र:Kamayani.jpg|100px|right|कामायनी]]'कामायनी' की कथा पन्द्रह सगों में विभक्त है, जिनका नामकरण चिंता, आशा, श्रद्धा, काम, वासना, लज्जा आदि मनोविकारों के नाम पर हुआ है। 'कामायनी' आदि मानव की कथा तो है ही, पर इसके माध्यम से कवि ने अपने युग के महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर विचार भी किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कामायनी]]
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||[[चित्र:Kamayani.jpg|100px|right|कामायनी]] 'कामायनी' की कथा पन्द्रह सर्गों में विभक्त है, जिनका नामकरण चिंता, आशा, श्रद्धा, काम, वासना, लज्जा आदि मनोविकारों के नाम पर हुआ है। 'कामायनी' आदि मानव की कथा तो है ही, पर इसके माध्यम से कवि ने अपने युग के महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर विचार भी किया है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कामायनी]]
  
{[[हिन्दी]] नाटकों के मंचन में 'यक्षगान' का प्रयोग किसने किया है?  
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{[[हिन्दी]] [[नाटक|नाटकों]] के मंचन में 'यक्षगान' का प्रयोग किसने किया है?  
 
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+[[गिरीश कर्नाड]]  
 
+[[गिरीश कर्नाड]]  
 
-इब्राहिम अल् क़ाज़ी
 
-इब्राहिम अल् क़ाज़ी
 
-[[सत्यदेव दुबे]]  
 
-[[सत्यदेव दुबे]]  
-कारंत
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-[[शिवराम कारंत]]
  
 
{[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] के निबन्ध संग्रह का नाम है?
 
{[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] के निबन्ध संग्रह का नाम है?
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+चिंतामणि
 
+चिंतामणि
 
-झरना  
 
-झरना  
-[[आँसू]]  
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-[[आँसू -जयशंकर प्रसाद|आँसू]]  
-[[कामायनी]]
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-[[कामायनी -जयशंकर प्रसाद|कामायनी]]
  
{'आकाशदीप' कहानी के लेखक हैं?
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{'[[आकाशदीप -जयशंकर प्रसाद|आकाशदीप]]' कहानी के लेखक हैं?
 
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-[[भगवतीचरण वर्मा]]  
 
-[[भगवतीचरण वर्मा]]  
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+[[जयशंकर प्रसाद]]
 
+[[जयशंकर प्रसाद]]
 
-[[अमृत राय]]
 
-[[अमृत राय]]
||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|100px|right|जयशंकर प्रसाद]]जयशंकर प्रसाद की शिक्षा घर पर ही आरम्भ हुई। [[संस्कृत]], [[हिन्दी]], फ़ारसी, [[उर्दू]] के लिए शिक्षक नियुक्त थे। इनमें रसमय सिद्ध प्रमुख थे। प्राचीन संस्कृत ग्रन्थों के लिए दीनबन्धु ब्रह्मचारी शिक्षक थे। कुछ समय के बाद स्थानीय क्वीन्स कॉलेज में प्रसाद का नाम लिख दिया गया, पर यहाँ पर वे आठवीं कक्षा तक ही पढ़ सके।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयशंकर प्रसाद]]  
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||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|100px|right|जयशंकर प्रसाद]] जयशंकर प्रसाद की शिक्षा घर पर ही आरम्भ हुई। [[संस्कृत]], [[हिन्दी]], फ़ारसी, [[उर्दू]] के लिए शिक्षक नियुक्त थे। इनमें रसमय सिद्ध प्रमुख थे। प्राचीन संस्कृत ग्रन्थों के लिए दीनबन्धु ब्रह्मचारी शिक्षक थे। कुछ समय के बाद स्थानीय क्वीन्स कॉलेज में प्रसाद का नाम लिख दिया गया, पर यहाँ पर वे आठवीं कक्षा तक ही पढ़ सके।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयशंकर प्रसाद]]  
  
 
{'[[रामचरितमानस]]' में कितने काण्ड हैं?
 
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+[[तुलसीदास]]
 
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-गिरिधर
 
-गिरिधर
||[[चित्र:Tulsidas-2.jpg|तुलसीदास|100px|right]]तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ट कवियों में एक माना जाता है। तुलसीदासजी को महर्षि [[वाल्मीकि]] का भी अवतार माना जाता है जो मूल आदिकाव्य [[रामायण]] के रचयिता थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तुलसीदास]]  
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||[[चित्र:Tulsidas-2.jpg|तुलसीदास|100px|right]] तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ट कवियों में एक माना जाता है। तुलसीदासजी को महर्षि [[वाल्मीकि]] का भी अवतार माना जाता है जो मूल आदिकाव्य [[रामायण]] के रचयिता थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तुलसीदास]]  
 
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1 कबीरदास की भाषा थी?

ब्रज भाषा
कन्नौजी बोली
सधुक्कड़ी बोली
खड़ी बोली

2 'जनमेजय का नागयज्ञ' किसकी कृति हैं?

सेठ गोविन्द दास
जयशंकर प्रसाद
लक्ष्मी नारायण लाल
गोविन्द वल्लभ पन्त

3 'श्रद्धा' किस कृति की नायिका है?

कामायनी
कुरुक्षेत्र
रामायण
साकेत

4 हिन्दी नाटकों के मंचन में 'यक्षगान' का प्रयोग किसने किया है?

गिरीश कर्नाड
इब्राहिम अल् क़ाज़ी
सत्यदेव दुबे
शिवराम कारंत

5 आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के निबन्ध संग्रह का नाम है?

चिंतामणि
झरना
आँसू
कामायनी

7 'रामचरितमानस' में कितने काण्ड हैं?

4
5
8
7

9 शृंगार रस का स्थायी भाव है?

रति
हास
शोक
निर्वेद

10 जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता हैं?

सूरदास
मीराबाई
तुलसीदास
गिरिधर

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