"साँचा:साप्ताहिक सम्पादकीय" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
| style="background:transparent;"|
 
| style="background:transparent;"|
 
{| style="background:transparent; width:100%"
 
{| style="background:transparent; width:100%"
|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 15 जनवरी 2014|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
+
|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 15 जनवरी 2015|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
 
|-
 
|-
 
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
 
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}

14:25, 3 मार्च 2015 का अवतरण

भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी
भूली-बिसरी कड़ियों का भारत
Aryabhata.jpg

        आइए अशोक के काल याने तीसरी चौथी शताब्दी ईसा पूर्व चलते हैं, देखें क्या चल रहा है! महर्षि पाणिनि विश्व प्रसिद्ध संस्कृत व्याकरण के ग्रंथ अष्टाध्यायी को पूरा करने में निमग्न हैं। ये उस तरफ़ कौन बैठा है ? ये तो महर्षि पिंगल हैं पाणिनि के छोटे भाई, इनकी गणित में रुचि है, संख्याओं से खेलते रहते हैं और शून्य की खोज करके ग्रंथों की रचना कर रहे हैं। साथ ही कंप्यूटर में प्रयुक्त होने वाले बाइनरी सिस्टम को भी खोज कर अपने भुर्जपत्रों में सहेज रहे हैं।… पूरा पढ़ें

पिछले सभी लेख ‘ब्रज’ एक अद्‌भुत संस्कृति · टोंटा गॅन्ग का सी.ई.ओ. · जनतंत्र की जाति