"ढुंढार" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
(''''ढुंढार''', आमेर (जयपुर, राजस्थान) की रियासत का मध्...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
'''ढुंढार''', [[आमेर]] ([[जयपुर]], [[राजस्थान]]) की रियासत का मध्य युगीन तथा परवर्ती नाम है। इस रियासत की स्थापना कछवाहों ने [[ग्वालियर]] से निष्कासित होने के पश्चात जंगली मीनाओं की सहायता से की थी।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=384|url=}}</ref>
 
'''ढुंढार''', [[आमेर]] ([[जयपुर]], [[राजस्थान]]) की रियासत का मध्य युगीन तथा परवर्ती नाम है। इस रियासत की स्थापना कछवाहों ने [[ग्वालियर]] से निष्कासित होने के पश्चात जंगली मीनाओं की सहायता से की थी।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=384|url=}}</ref>
 
+
* 'ढुंढार' [[राजस्थान]] की राजधानी [[जयपुर]] का पुराना नाम था।
 
*ढुंढार का उल्लेख तत्कालीन [[साहित्य]] तथा लोक कथाओं में है-
 
*ढुंढार का उल्लेख तत्कालीन [[साहित्य]] तथा लोक कथाओं में है-
 
<blockquote>'मेवार ढुंढार मारवाड़ औ बुंदेलखंड, झारखंड बांधौधनी चाकरी इलाज की।'<ref>शिवराज, भूषण, छंद 111</ref></blockquote>
 
<blockquote>'मेवार ढुंढार मारवाड़ औ बुंदेलखंड, झारखंड बांधौधनी चाकरी इलाज की।'<ref>शिवराज, भूषण, छंद 111</ref></blockquote>

06:13, 16 मार्च 2015 का अवतरण

ढुंढार, आमेर (जयपुर, राजस्थान) की रियासत का मध्य युगीन तथा परवर्ती नाम है। इस रियासत की स्थापना कछवाहों ने ग्वालियर से निष्कासित होने के पश्चात जंगली मीनाओं की सहायता से की थी।[1]

'मेवार ढुंढार मारवाड़ औ बुंदेलखंड, झारखंड बांधौधनी चाकरी इलाज की।'[2]

  • कहा जाता है कि 1129 ई. के लगभग जब ग्वालियर से कछवाहों को परिहारों ने निष्काषित कर दिया तो उन्होंने आमेर के इलाके में मीनाओं की सहायता से ढुंढार रियासत की नींव डाली।
  • ढुंढार के स्थान पर बाद में आमेर की प्रसिद्ध रियासत बनी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 384 |
  2. शिवराज, भूषण, छंद 111

संबंधित लेख