"सब सिसु एहि मिस" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 31: पंक्ति 31:
 
{{poemopen}}
 
{{poemopen}}
 
<poem>
 
<poem>
;चौपाई
+
;दोहा
जहँ बैठें देखहिं सब नारी। जथाजोगु निज कुल अनुहारी॥
+
सब सिसु एहि मिस प्रेमबस परसि मनोहर गात।
पुर बालक कहि कहि मृदु बचना। सादर प्रभुहि देखावहिं रचना॥
+
तन पुलकहिं अति हरषु हियँ देखि देखि दोउ भ्रात॥ 224॥
 
</poem>
 
</poem>
 
{{poemclose}}
 
{{poemclose}}
 
;भावार्थ-
 
;भावार्थ-
जहाँ अपने-अपने कुल के अनुसार सब स्त्रियाँ यथायोग्य (जिसको जहाँ बैठना उचित है) बैठकर देखेंगी। नगर के बालक कोमल वचन कह-कहकर आदरपूर्वक प्रभु राम को (यज्ञशाला की) रचना दिखला रहे हैं।
+
सब बालक इसी बहाने प्रेम के वश में होकर राम के मनोहर अंगों को छूकर शरीर से पुलकित हो रहे हैं और दोनों भाइयों को देख-देखकर उनके हृदय में अत्यंत हर्ष हो रहा है॥ 224॥
  
{{लेख क्रम4| पिछला=जहँ बैठें देखहिं सब नारी |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=सब सिसु एहि मिस}}
+
{{लेख क्रम4| पिछला=जहँ बैठें देखहिं सब नारी |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=सिसु सब राम प्रेमबस जाने}}
 +
 
 +
'''दोहा'''- मात्रिक अर्द्धसम [[छंद]] है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
  
'''चौपाई'''- मात्रिक सम [[छन्द]] का भेद है। [[प्राकृत]] तथा [[अपभ्रंश]] के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित [[हिन्दी]] का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। [[तुलसीदास|गोस्वामी तुलसीदास]] ने [[रामचरितमानस]] में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
 
  
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

03:46, 17 जून 2016 के समय का अवतरण

सब सिसु एहि मिस
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

सब सिसु एहि मिस प्रेमबस परसि मनोहर गात।
तन पुलकहिं अति हरषु हियँ देखि देखि दोउ भ्रात॥ 224॥

भावार्थ-

सब बालक इसी बहाने प्रेम के वश में होकर राम के मनोहर अंगों को छूकर शरीर से पुलकित हो रहे हैं और दोनों भाइयों को देख-देखकर उनके हृदय में अत्यंत हर्ष हो रहा है॥ 224॥


पीछे जाएँ
सब सिसु एहि मिस
आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख