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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
− | {इनमें किस इतिहासकार ने सर्वप्रथम रीतिकालीन कवियों के सर्वाधिक परिचयात्मक विवरण दिए हैं?
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− | - [[विश्वनाथ प्रसाद मिश्र|डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र]]
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− | - [[डॉ. नगेन्द्र]]
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− | - डॉ.रामशंकर शुक्ल 'रसाल'
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− | + मिश्रबन्धु
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− | {'हिन्दी साहित्य का अतीत: भाग- एक' के लेखक का नाम है?
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− | |type="()"}
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− | - [[महावीर प्रसाद द्विवेदी|आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी]]
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− | + [[विश्वनाथ प्रसाद मिश्र|डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र]]
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− | - डॉ. माताप्रसाद गुप्त
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− | - [[विद्यानिवास मिश्र|डॉ. विद्यानिवास मिश्र]]
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− | {प्रेम लक्षणा भक्ति को किस भक्ति शाखा ने अपनी साधना का मुख्य आधार बनाया है?
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− | |type="()"}
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− | -रामभक्ति शाखा
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− | -[[ज्ञानाश्रयी शाखा]]
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− | +कृष्णभक्ति शाखा
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− | -प्रेममार्गी शाखा
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− | {मनुष्यत्व की सामान्य भावना को आगे करके निम्न श्रेणी की जनता में आत्म-गौरव का भाव जगाने वाले सर्वश्रेष्ठ कवि थे?
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− | |type="()"}
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− | -[[तुलसीदास]]
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− | +[[कबीर]]
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− | -[[जायसी]]
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− | -[[सूरदास]]
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− | ||महात्मा कबीरदास के जन्म के समय में [[भारत]] की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दशा शोचनीय थी। एक तरफ [[मुसलमान]] शासकों की धर्मान्धता से जनता परेशान थी और दूसरी तरफ [[हिन्दू धर्म]] के कर्मकांड, विधान और पाखंड से धर्म का ह्रास हो रहा था। जनता में भक्ति-भावनाओं का सर्वथा अभाव था। पंडितों के पाखंडपूर्ण वचन समाज में फैले थे। ऐसे संघर्ष के समय में, कबीरदास का प्रार्दुभाव हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कबीरदास]]
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− | {'[[हंस जवाहिर]]' रचना किस सूफ़ी कवि द्वारा रची गई थी?
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− | -[[मंझन]]
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− | -[[कुतुबन]]
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− | -[[उसमान]]
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− | +[[क़ासिमशाह]]
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| {'देखन जौ पाऊँ तौ पठाऊँ जमलोक हाथ, दूजौ न लगाऊँ, वार करौ एक करको।' ये पंक्तियाँ किस कवि द्वारा सृजित हैं? | | {'देखन जौ पाऊँ तौ पठाऊँ जमलोक हाथ, दूजौ न लगाऊँ, वार करौ एक करको।' ये पंक्तियाँ किस कवि द्वारा सृजित हैं? |