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'''कोलकाता अथवा कलकत्ता बंदरगाह''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Kolkata Port'') का देश के प्रमुख बंदरगाहों में तीसरा स्थान है। कोलकाता देश का प्रारंभिक बड़ा [[बंदरगाह]] है। मुगल [[औरंगजेब|बादशाह औरंगजेब]] द्वारा ब्रिटिश उपनिवेशकों को [[पूर्वी भारत]] में व्यापार करने का अधिकार दिए जाने के समय से यह भारत का प्रमुख बंदरगाह रहा है। इस बंदरगाह के साथ [[कोलकाता|कोलकाता शहर]] का पुराना संबंध है। यह [[हुगली नदी]]  के बायें किनारे पर स्थित है। नदी के मुहाने से कोलकाता बंदरगाह  129 किलोमीटर दूर उत्तर की ओर है। कोलकाता बंदरगाह [[भारत]] का ही नहीं वरन् सम्पूर्ण दक्षिण एशिया का प्रमुख बंदरगाह रहा है। यह गंगा-ब्रह्मपुत्र घाटी का मुख्य सामुद्रिक द्वार है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारत का भूगोल|लेखक=डॉ. चतुर्भुज मामोरिया |अनुवादक=| आलोचक=| प्रकाशक=साहित्य भवन पब्लिकेशन्स, आगरा|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=363|url=|ISBN=}}</ref>  
 
'''कोलकाता अथवा कलकत्ता बंदरगाह''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Kolkata Port'') का देश के प्रमुख बंदरगाहों में तीसरा स्थान है। कोलकाता देश का प्रारंभिक बड़ा [[बंदरगाह]] है। मुगल [[औरंगजेब|बादशाह औरंगजेब]] द्वारा ब्रिटिश उपनिवेशकों को [[पूर्वी भारत]] में व्यापार करने का अधिकार दिए जाने के समय से यह भारत का प्रमुख बंदरगाह रहा है। इस बंदरगाह के साथ [[कोलकाता|कोलकाता शहर]] का पुराना संबंध है। यह [[हुगली नदी]]  के बायें किनारे पर स्थित है। नदी के मुहाने से कोलकाता बंदरगाह  129 किलोमीटर दूर उत्तर की ओर है। कोलकाता बंदरगाह [[भारत]] का ही नहीं वरन् सम्पूर्ण दक्षिण एशिया का प्रमुख बंदरगाह रहा है। यह गंगा-ब्रह्मपुत्र घाटी का मुख्य सामुद्रिक द्वार है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारत का भूगोल|लेखक=डॉ. चतुर्भुज मामोरिया |अनुवादक=| आलोचक=| प्रकाशक=साहित्य भवन पब्लिकेशन्स, आगरा|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=363|url=|ISBN=}}</ref>  
 
==इतिहास==
 
==इतिहास==
समय के साथ इस विशाल देश पर [[शासन]] करने का अधिकार [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] के हाथों से निकलकर ब्रिटिश शासकों के पास चला गया। [[1870]] में बंदरगाह आयोग की नियुक्ति के साथ कोलकाता बंदरगाह को सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत लाया गया। प्रारंभ में कोलकाता बंदरगाह की स्थापना ब्रिटिश उपनिवेशों की रक्षा और हितों को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। लेकिन [[1947]] में स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ ही बंदरगाह को राष्ट्रीय हित में अपना योगदान के लिए आमंत्रित किया गया। बंदरगाह ने द्वितीय विश्व युद्ध और देश के विभाजन के बाद अपनी राष्ट्रीय जिम्मेदारी संभाली। कोलकाता बंदरगाह जो किसी समय देश में सबसे महत्वपूर्ण बंदरगाह माना जाता था। यह अब भी प्रमुख बंदरगाह बना रहा और पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार कहलाया। [[बिहार]] और पूर्वी [[उत्तर प्रदेश]] सहित यह विशाल पूर्वी भारत में और [[हिमालय]] की सीमा पर स्थित दो राज्यों [[नेपाल]] और [[भूटान]] में व्यापार, [[वाणिज्य]] के क्षेत्र में मार्गदर्शक कारक बना रहा। मेजर पोर्ट ट्रस्ट अधिनियम.[[1963]]ए के लागू होने के साथ कोलकाता बंदरगाह के आयुक्तों ने [[जनवरी]] [[1975]] तक बंदरगाह का कर्यभार संभाला। कोलकाता बंदरगाह का इतिहास संघर्ष और सफलता की सतत कहानी है । निरंतर विकास के सुधार और उपलब्धियों की गाथा है। कोलकाता बंदरगाह विषमताओं और विरोधाभासों का बंदरगाह है।
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समय के साथ इस विशाल देश पर [[शासन]] करने का अधिकार [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] के हाथों से निकलकर ब्रिटिश शासकों के पास चला गया। [[1870]] में बंदरगाह आयोग की नियुक्ति के साथ कोलकाता बंदरगाह को सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत लाया गया। प्रारंभ में कोलकाता बंदरगाह की स्थापना ब्रिटिश उपनिवेशों की रक्षा और हितों को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। लेकिन [[1947]] में स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ ही बंदरगाह को राष्ट्रीय हित में अपना योगदान के लिए आमंत्रित किया गया। बंदरगाह ने द्वितीय विश्व युद्ध और देश के विभाजन के बाद अपनी राष्ट्रीय जिम्मेदारी संभाली। कोलकाता बंदरगाह जो किसी समय देश में सबसे महत्वपूर्ण बंदरगाह माना जाता था। यह अब भी प्रमुख बंदरगाह बना रहा और पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार कहलाया। [[बिहार]] और पूर्वी [[उत्तर प्रदेश]] सहित यह विशाल पूर्वी भारत में और [[हिमालय]] की सीमा पर स्थित दो राज्यों [[नेपाल]] और [[भूटान]] में व्यापार, [[वाणिज्य]] के क्षेत्र में मार्गदर्शक कारक बना रहा। मेजर पोर्ट ट्रस्ट अधिनियम [[1963]] ए के लागू होने के साथ कोलकाता बंदरगाह के आयुक्तों ने [[जनवरी]] [[1975]] तक बंदरगाह का कर्यभार संभाला। कोलकाता बंदरगाह का इतिहास संघर्ष और सफलता की सतत कहानी है । निरंतर विकास के सुधार और उपलब्धियों की गाथा है। कोलकाता बंदरगाह विषमताओं और विरोधाभासों का बंदरगाह है।
  
 
कोलकाता बंदरगाह [[भारत]] का एकमात्र नदी बंदरगाह है। यह नदी के रेतीले तट से 232 किमी दूरी पर धारा की प्रतिकूल दशा में स्थित है। भारत के प्रमुख बंदरगाहों के बीच यह नि:संदेह सबसे लंबा नौपरिवहन मार्ग है। यह दुनिया के सबसे लंबे नौपरिवहन मार्गों में से भी एक है। किडरपोर के एक छोर पर यह सबसे निम्न तल वाला है तो दूसरे छोर पर रेतीला है। भारत और दुनियाभर के बंदरगाहों के बीच यह सबसे गहरे तल; अधिक से अधिक 50 मीटर वाला है। [[1877]] में [[बंगाल]] के उपराज्यपाल द्वारा इसे यूरोप के बाहर के सबसे अच्छे और सुविधा जनक बंदरगाहों में से एकष्ष् के रूप में वर्णित किया गया था। 232 किलोमीटर लंबे नौपरिवहन मार्ग पर अपने विशाल और विविधतापूर्ण तटों की उपलब्धता के कारण अभी भी देश के विभिन्न बंदरगाहों के बीच इसकी ख्याति बरकरार है। इसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है। इसलिए यह हर निर्धारित लक्ष्य को पार करने में सक्षम रहा है और बंदरगाह संबंधी हर गतिविधि में कीर्तिमान स्थापित करने में सफल रहा है। सर्वोत्तम कार्यप्रणाली के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और दक्षता के कारण ही इसने यह उपलब्धियां हासिल की हैं। हाल ही में कोलकाता बंदरगाह को देश में सबसे कामयाब बंदरगाह के रूप में चुना गया है| [[समुद्र]] से 126 मील दूर होने के बावजूद कोलकाता बंदरगाह को इस महाद्वीपीय देश में प्रवेश के पूर्वी द्वार के रूप में उत्तम विकल्प माना गया है। कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट भारत के अग्रणी और सर्वोत्तम बंदरगाहों में से एक है। इसकी विशाल तटक्षेत्रीय सीमा में भारतीय राज्यों; संपूर्ण पूर्वी और उत्तर पूर्वी क्षेत्र का लगभग आधा भाग और [[हिमालय]] की सीमा से लगे दो पड़ोसी देश,  [[नेपाल]] और [[भूटान]] समाहित हैं। इसके दो डॉक सिस्टम हैं, [[कोलकाता]] में तेल घाट के साथ बजबज पर कोलकाता पोर्ट सिस्टम और हल्दिया में हल्दिया डॉक कॉम्प्लैक्स, ये आकर्षक प्रस्तावों के साथ-साथ बहुत-सी सुविधाओं के संयोजन स्थल हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.kolkataporttrust.gov.in/contprintcont.php?lid=769&layout=1&lang=2&level=1&sublinkid=877 |title=कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का संक्षिप्त इतिहास |accessmonthday=5 नवम्बर |accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=kolkataporttrust.gov.in |language=हिंदी }}</ref>
 
कोलकाता बंदरगाह [[भारत]] का एकमात्र नदी बंदरगाह है। यह नदी के रेतीले तट से 232 किमी दूरी पर धारा की प्रतिकूल दशा में स्थित है। भारत के प्रमुख बंदरगाहों के बीच यह नि:संदेह सबसे लंबा नौपरिवहन मार्ग है। यह दुनिया के सबसे लंबे नौपरिवहन मार्गों में से भी एक है। किडरपोर के एक छोर पर यह सबसे निम्न तल वाला है तो दूसरे छोर पर रेतीला है। भारत और दुनियाभर के बंदरगाहों के बीच यह सबसे गहरे तल; अधिक से अधिक 50 मीटर वाला है। [[1877]] में [[बंगाल]] के उपराज्यपाल द्वारा इसे यूरोप के बाहर के सबसे अच्छे और सुविधा जनक बंदरगाहों में से एकष्ष् के रूप में वर्णित किया गया था। 232 किलोमीटर लंबे नौपरिवहन मार्ग पर अपने विशाल और विविधतापूर्ण तटों की उपलब्धता के कारण अभी भी देश के विभिन्न बंदरगाहों के बीच इसकी ख्याति बरकरार है। इसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है। इसलिए यह हर निर्धारित लक्ष्य को पार करने में सक्षम रहा है और बंदरगाह संबंधी हर गतिविधि में कीर्तिमान स्थापित करने में सफल रहा है। सर्वोत्तम कार्यप्रणाली के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और दक्षता के कारण ही इसने यह उपलब्धियां हासिल की हैं। हाल ही में कोलकाता बंदरगाह को देश में सबसे कामयाब बंदरगाह के रूप में चुना गया है| [[समुद्र]] से 126 मील दूर होने के बावजूद कोलकाता बंदरगाह को इस महाद्वीपीय देश में प्रवेश के पूर्वी द्वार के रूप में उत्तम विकल्प माना गया है। कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट भारत के अग्रणी और सर्वोत्तम बंदरगाहों में से एक है। इसकी विशाल तटक्षेत्रीय सीमा में भारतीय राज्यों; संपूर्ण पूर्वी और उत्तर पूर्वी क्षेत्र का लगभग आधा भाग और [[हिमालय]] की सीमा से लगे दो पड़ोसी देश,  [[नेपाल]] और [[भूटान]] समाहित हैं। इसके दो डॉक सिस्टम हैं, [[कोलकाता]] में तेल घाट के साथ बजबज पर कोलकाता पोर्ट सिस्टम और हल्दिया में हल्दिया डॉक कॉम्प्लैक्स, ये आकर्षक प्रस्तावों के साथ-साथ बहुत-सी सुविधाओं के संयोजन स्थल हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.kolkataporttrust.gov.in/contprintcont.php?lid=769&layout=1&lang=2&level=1&sublinkid=877 |title=कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का संक्षिप्त इतिहास |accessmonthday=5 नवम्बर |accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=kolkataporttrust.gov.in |language=हिंदी }}</ref>

07:09, 8 नवम्बर 2016 का अवतरण

कोलकाता अथवा कलकत्ता बंदरगाह (अंग्रेज़ी:Kolkata Port) का देश के प्रमुख बंदरगाहों में तीसरा स्थान है। कोलकाता देश का प्रारंभिक बड़ा बंदरगाह है। मुगल बादशाह औरंगजेब द्वारा ब्रिटिश उपनिवेशकों को पूर्वी भारत में व्यापार करने का अधिकार दिए जाने के समय से यह भारत का प्रमुख बंदरगाह रहा है। इस बंदरगाह के साथ कोलकाता शहर का पुराना संबंध है। यह हुगली नदी के बायें किनारे पर स्थित है। नदी के मुहाने से कोलकाता बंदरगाह 129 किलोमीटर दूर उत्तर की ओर है। कोलकाता बंदरगाह भारत का ही नहीं वरन् सम्पूर्ण दक्षिण एशिया का प्रमुख बंदरगाह रहा है। यह गंगा-ब्रह्मपुत्र घाटी का मुख्य सामुद्रिक द्वार है।[1]

इतिहास

समय के साथ इस विशाल देश पर शासन करने का अधिकार ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों से निकलकर ब्रिटिश शासकों के पास चला गया। 1870 में बंदरगाह आयोग की नियुक्ति के साथ कोलकाता बंदरगाह को सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत लाया गया। प्रारंभ में कोलकाता बंदरगाह की स्थापना ब्रिटिश उपनिवेशों की रक्षा और हितों को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। लेकिन 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ ही बंदरगाह को राष्ट्रीय हित में अपना योगदान के लिए आमंत्रित किया गया। बंदरगाह ने द्वितीय विश्व युद्ध और देश के विभाजन के बाद अपनी राष्ट्रीय जिम्मेदारी संभाली। कोलकाता बंदरगाह जो किसी समय देश में सबसे महत्वपूर्ण बंदरगाह माना जाता था। यह अब भी प्रमुख बंदरगाह बना रहा और पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार कहलाया। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित यह विशाल पूर्वी भारत में और हिमालय की सीमा पर स्थित दो राज्यों नेपाल और भूटान में व्यापार, वाणिज्य के क्षेत्र में मार्गदर्शक कारक बना रहा। मेजर पोर्ट ट्रस्ट अधिनियम 1963 ए के लागू होने के साथ कोलकाता बंदरगाह के आयुक्तों ने जनवरी 1975 तक बंदरगाह का कर्यभार संभाला। कोलकाता बंदरगाह का इतिहास संघर्ष और सफलता की सतत कहानी है । निरंतर विकास के सुधार और उपलब्धियों की गाथा है। कोलकाता बंदरगाह विषमताओं और विरोधाभासों का बंदरगाह है।

कोलकाता बंदरगाह भारत का एकमात्र नदी बंदरगाह है। यह नदी के रेतीले तट से 232 किमी दूरी पर धारा की प्रतिकूल दशा में स्थित है। भारत के प्रमुख बंदरगाहों के बीच यह नि:संदेह सबसे लंबा नौपरिवहन मार्ग है। यह दुनिया के सबसे लंबे नौपरिवहन मार्गों में से भी एक है। किडरपोर के एक छोर पर यह सबसे निम्न तल वाला है तो दूसरे छोर पर रेतीला है। भारत और दुनियाभर के बंदरगाहों के बीच यह सबसे गहरे तल; अधिक से अधिक 50 मीटर वाला है। 1877 में बंगाल के उपराज्यपाल द्वारा इसे यूरोप के बाहर के सबसे अच्छे और सुविधा जनक बंदरगाहों में से एकष्ष् के रूप में वर्णित किया गया था। 232 किलोमीटर लंबे नौपरिवहन मार्ग पर अपने विशाल और विविधतापूर्ण तटों की उपलब्धता के कारण अभी भी देश के विभिन्न बंदरगाहों के बीच इसकी ख्याति बरकरार है। इसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है। इसलिए यह हर निर्धारित लक्ष्य को पार करने में सक्षम रहा है और बंदरगाह संबंधी हर गतिविधि में कीर्तिमान स्थापित करने में सफल रहा है। सर्वोत्तम कार्यप्रणाली के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और दक्षता के कारण ही इसने यह उपलब्धियां हासिल की हैं। हाल ही में कोलकाता बंदरगाह को देश में सबसे कामयाब बंदरगाह के रूप में चुना गया है| समुद्र से 126 मील दूर होने के बावजूद कोलकाता बंदरगाह को इस महाद्वीपीय देश में प्रवेश के पूर्वी द्वार के रूप में उत्तम विकल्प माना गया है। कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट भारत के अग्रणी और सर्वोत्तम बंदरगाहों में से एक है। इसकी विशाल तटक्षेत्रीय सीमा में भारतीय राज्यों; संपूर्ण पूर्वी और उत्तर पूर्वी क्षेत्र का लगभग आधा भाग और हिमालय की सीमा से लगे दो पड़ोसी देश, नेपाल और भूटान समाहित हैं। इसके दो डॉक सिस्टम हैं, कोलकाता में तेल घाट के साथ बजबज पर कोलकाता पोर्ट सिस्टम और हल्दिया में हल्दिया डॉक कॉम्प्लैक्स, ये आकर्षक प्रस्तावों के साथ-साथ बहुत-सी सुविधाओं के संयोजन स्थल हैं।[2]

पृष्ठदेश

कोलकाता बंदरगाह का पृष्ठदेश धनी है। इसके पृष्ठदेश में पूर्वांचल से सातों राज्य तथा पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, उड़ीसा और पूर्वी मध्य प्रदेश सम्मिलित हैं। इन सभी भागों से यह पूर्वी, उत्तर-पूर्वी, मध्य और पूर्वी सीमांत रेलमार्गों, राष्ट्रीय राजमार्गों, नदियों और नहरों द्वारा हुआ है। अत: सभी प्रकार की पैदावर एवं उत्पादन सहज में ही कोलकाता लाया जा सकता है और विदेशों से प्राप्त माल को भिन्न-भिन्न भागों में पहुंचाया जा सकता है। कोलकाता बंदरगाह वायुमार्गों द्वारा सम्पूर्ण विश्व से जुड़ा हुआ। कोलकाता बंदरगाह के पृष्ठ प्रदेश में अनेक प्रकार के कृषिगत एवं औद्यौगिक कच्चा माल, सब्जियाँ, फल, जूट, चाय, प्लाई, लकड़ी एवं निर्मित वस्तुओं का भारी मात्रा में उत्पादन होता है। साथ ही भारत के प्रधान औद्यौगिक प्रदेश इसके पृष्ठप्रदेश में स्थित हैं, अत: वहां धातु शोधन उद्योग, भारी हल्के व कीमती इंजीनियरी एवं रासायनिक सामान, इलेक्ट्रोनिक व विद्युत् स्थित हैं। अत: यहां से सभी प्रकार की आयात-निर्यात सेवा उपलब्ध है।

भौगोलिक स्थिति

हुगली नदी में कोलकाता से समुद्र तट तक अनेक मोड़ हैं तथा कई स्थानों पर नदी में बालू भर जाने से जल की गहराई बहुत कम हो गई है, इससे बड़े जहाज़ नहीं निकल पाते। इनमें से भी गंगासागर के आसपास केवल 7 से 9 मीटर तक ही जल गहरा रहता है। अत: बंदरगाह में जहाज़ आने के पूर्व इस बात की परीक्षा कर ली जाती है कि यहां जल पर्याप्त गहरा है। अन्यथा जहाज़ों को हुगली नदी के गहरे जल में खड़ा रहना पड़ता है।

पोताश्रय

हुगली नदी में निरन्तर मिट्टी भरते रहने के कारण 64 किलोमीटर दूर खुली खाड़ी में डायमण्ड पोताश्रय का निर्माण किया गया है। यहां जल की पर्याप्त गहराई के कारण 10,000टन से अधिक भार वाले जहाज़ पहुंचकर यहां विश्राम करते हैं। ज्वार के समय से जहाज़ खिदिरपुर तक जाते हैं जो कोलकाता का मुख्य पोताश्रय है। हुगली के मुहाने से कोलकाता तक जहाज़ों के आने में लगभग 6 घण्टे का समय लगता है। हुगली तट पर उत्तर में सिरामपुर से लेकर दक्षिण में बजबज तक अनेक स्थानों पर जेटीयां, गोदाम एवं व्यवसायिक केन्द्र स्थित हैं। अब पोतश्रय की सुविधा बढ़ाना सबसे बड़ी समस्या है। सन् 1954 में एक नयी योजना बनायी गयी जिसके अनुसार डायमण्ड पोताश्रय एवं खिदिरपुर के बीच एक 48 किलोमीटर लम्बी सीधी जहाज़ी नहर बनाने पर विचार हुआ था, परंतु इस योजना में व्यय होने और निकटवर्ति गांवो की विशेष हानि होने से यह योजना समाप्त कर दी गई है। अब हुगली को ही अधिक गहरा बनाये रखा जाता है। खिदिपुर सबसे अधिक महत्वपूर्ण पोताश्रय है जहां दो बंदरगाह हैं। इनके जल 9 मीटर (30 फीट) गहरा रहता है। यहां मशीनों से सामान उतारने की सुविधा है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस डॉक दूसरा महत्वपूर्ण पोताश्रय है। यहां सामान उतारने - चढ़ाने के 10 बर्थ हैं और पेट्रोल एकत्रित करने के लिए एक और बर्थ है। पूरे बंदरगाह में 5 शुष्क डॉक भी हैं जिनमें से 3 खिदिरपुर और 2 नेताजी सुभाष डॉक में स्थित हैं बजबज में पेट्रोलियम के गोदाम की व्य्वस्था है। अन्य स्थानों पर विविध प्रकार के अनेक गोदाम बने हुए है।

निर्यात एवं आयात

कोलकाता बंदरगाह से निर्यात की प्रमुख वस्तुएं जूट का तैयार माल, रस्से, कोयला, चाय, शक्कर, लोहे का सामान, तिलहल, चमड़ा, लाख, अभ्रक, सनई व मैंगनीज हैं। आयात की मुख्य वस्तुएं ऊनी, सूती, रेशमी वस्त्र, मशीनें, शक्कर, मोटरकारें, कांच का सामान, शराब, नमक, कागज, पेट्रोलियम, रबड़, रासायनिक पदार्थ और गेहूं हैं। कोलकाता बंदरगाह का देश के प्रमुख बंदरगाहों में तीसरा स्थान है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारत का भूगोल |लेखक: डॉ. चतुर्भुज मामोरिया |प्रकाशक: साहित्य भवन पब्लिकेशन्स, आगरा |पृष्ठ संख्या: 363 |
  2. कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का संक्षिप्त इतिहास (हिंदी) kolkataporttrust.gov.in। अभिगमन तिथि: 5 नवम्बर, 2016।

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