|
|
पंक्ति 8: |
पंक्ति 8: |
| | | | | |
| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
− |
| |
− | {[[कबीरदास]] की भाषा थी?
| |
− | |type="()"}
| |
− | -[[ब्रज भाषा]]
| |
− | -[[कन्नौजी बोली]]
| |
− | +सधुक्कड़ी बोली
| |
− | -[[खड़ी बोली]]
| |
− |
| |
− | {'जनमेजय का नागयज्ञ' किसकी कृति हैं?
| |
− | |type="()"}
| |
− | -सेठ गोविन्द दास
| |
− | +[[जयशंकर प्रसाद]]
| |
− | -लक्ष्मी नारायण लाल
| |
− | -[[गोविन्द वल्लभ पन्त]]
| |
− | ||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|100px|right|जयशंकर प्रसाद]] प्रसाद जी की रचनाओं में जीवन का विशाल क्षेत्र समाहित हुआ है। प्रेम, सौन्दर्य, देश-प्रेम, रहस्यानुभूति, दर्शन, प्रकृति चित्रण और धर्म आदि विविध विषयों को अभिनव और आकर्षक भंगिमा के साथ आपने काव्यप्रेमियों के सम्मुख प्रस्तुत किया है। ये सभी विषय कवि की शैली और भाषा की असाधारणता के कारण अछूते रूप में सामने आये हैं।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयशंकर प्रसाद]]
| |
− |
| |
− | {'श्रद्धा' किस कृति की नायिका है?
| |
− | |type="()"}
| |
− | +[[कामायनी -जयशंकर प्रसाद|कामायनी]]
| |
− | -[[कुरुक्षेत्र -रामधारी सिंह दिनकर|कुरुक्षेत्र]]
| |
− | -[[रामायण]]
| |
− | -[[साकेत (महाकाव्य)|साकेत]]
| |
− | ||[[चित्र:Kamayani.jpg|100px|right|कामायनी]] 'कामायनी' की कथा पन्द्रह सर्गों में विभक्त है, जिनका नामकरण चिंता, आशा, श्रद्धा, काम, वासना, लज्जा आदि मनोविकारों के नाम पर हुआ है। 'कामायनी' आदि मानव की कथा तो है ही, पर इसके माध्यम से कवि ने अपने युग के महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर विचार भी किया है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कामायनी]]
| |
− |
| |
− | {[[हिन्दी]] [[नाटक|नाटकों]] के मंचन में 'यक्षगान' का प्रयोग किसने किया है?
| |
− | |type="()"}
| |
− | +[[गिरीश कर्नाड]]
| |
− | -इब्राहिम अल् क़ाज़ी
| |
− | -[[सत्यदेव दुबे]]
| |
− | -[[शिवराम कारंत]]
| |
− |
| |
− | {[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] के निबन्ध संग्रह का नाम है?
| |
− | |type="()"}
| |
− | +चिंतामणि
| |
− | -झरना
| |
− | -[[आँसू -जयशंकर प्रसाद|आँसू]]
| |
− | -[[कामायनी -जयशंकर प्रसाद|कामायनी]]
| |
| | | |
| {'[[आकाशदीप -जयशंकर प्रसाद|आकाशदीप]]' कहानी के लेखक हैं? | | {'[[आकाशदीप -जयशंकर प्रसाद|आकाशदीप]]' कहानी के लेखक हैं? |