"ऐ" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
सपना वर्मा (चर्चा | योगदान) |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय | |
+ | |चित्र=ऐ.jpg | ||
+ | |चित्र का नाम= | ||
+ | |विवरण='''ऐ''' [[देवनागरी वर्णमाला]] का नवाँ [[स्वर (व्याकरण)|स्वर]] है। | ||
+ | |शीर्षक 1=भाषाविज्ञान की दृष्टि से | ||
+ | |पाठ 1= यह दीर्घ, अग्र, अवृत्तमुखी, अर्धसंवृत, स्वर है और घोष ध्वनि है। इसके उच्चारण-स्थान कंठ और तालू होने से यह ‘कंठ्य-तालव्य’ है। | ||
+ | |शीर्षक 2=अनुनासिक रूप | ||
+ | |पाठ 2= ‘ऐँ’ ([[मुद्रण]] आदि की सुविधा के लिए ‘ऐं’ भी लिखा जाता है।) | ||
+ | |शीर्षक 3=मात्रा | ||
+ | |पाठ 3='ै’ (जैसे- कै, चै, टै, तै, पै) | ||
+ | |शीर्षक 4=व्याकरण | ||
+ | |पाठ 4= [ [[संस्कृत]] आ (धातु) इ + विच् ] [[पुल्लिंग]]- शिव, महादेव। अव्यय- स्मरण, बुलावा तथा सम्बोधन-बोधक शब्द। | ||
+ | |शीर्षक 5= | ||
+ | |पाठ 5= | ||
+ | |शीर्षक 6= | ||
+ | |पाठ 6= | ||
+ | |शीर्षक 7= | ||
+ | |पाठ 7= | ||
+ | |शीर्षक 8= | ||
+ | |पाठ 8= | ||
+ | |शीर्षक 9= | ||
+ | |पाठ 9= | ||
+ | |शीर्षक 10= | ||
+ | |पाठ 10= | ||
+ | |संबंधित लेख=[[अ]], [[आ]], [[ई]], [[ओ]], [[औ]], [[ऊ]], [[ऋ]], [[ए]], [[अं]], [[अ:]] | ||
+ | |अन्य जानकारी= | ||
+ | |बाहरी कड़ियाँ= | ||
+ | |अद्यतन= | ||
+ | }} | ||
+ | '''ऐ''' [[देवनागरी वर्णमाला]] का नवाँ [[स्वर (व्याकरण)|स्वर]] है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह दीर्घ, अग्र, अवृत्तमुखी, अर्धसंवृत, स्वर है और घोष ध्वनि है। इसके उच्चारण-स्थान कंठ और तालू होने से यह ‘कंठ्य-तालव्य’ है। | ||
+ | ;विशेष- | ||
+ | # ‘ऐ’ का अनुनासिक रूप ‘ऐँ’ है जिसे [[मुद्रण]] आदि की सुविधा के लिए ‘ऐं’ भी लिखा जाता है। | ||
+ | # ‘ऐ’ की मात्रा 'ै' व्यंजन की शिरोरेखा के ऊपर लगती है। (जैसे- कै, गै, मै, चै, टै, पै, वै)। | ||
+ | # [ [[संस्कृत]] आ (धातु) इ + विच् ] [[पुल्लिंग]]- शिव, महादेव। अव्यय- स्मरण, बुलावा तथा सम्बोधन-बोधक शब्द। | ||
+ | # अव्यय- 1. विस्मय का सूचक एक शब्द। अरे। 2. सम्बोधन सूचक एक शब्द। हे। | ||
+ | # [[सर्वनाम]], [[विशेषण]]- 1. यह। जैसे- ऐई। 2. इस। जैसे- ऐ से काम नहीं चलेगा। | ||
+ | # ‘ऐ परि’ = इतने पर भी। फिर भी। उदाहरण- वारियै कोरिक प्रान सुजान हौं ऐ परि मरियैगो मसोसनि। -[[घनानंद]] | ||
− | |||
==ऐ अक्षर वाले शब्द== | ==ऐ अक्षर वाले शब्द== | ||
* ऐनक | * ऐनक | ||
− | * | + | * ऐसे |
* ऐतिहासिक | * ऐतिहासिक | ||
* [[ऐक्ष्वाकी]] | * [[ऐक्ष्वाकी]] | ||
* ऐरा गेरा | * ऐरा गेरा | ||
+ | ==ऐ की मात्रा ै का प्रयोग== | ||
+ | {| class="bharattable-pink" | ||
+ | |- | ||
+ | | क + ै = कै | ||
+ | |- | ||
+ | | ख + ै = खै | ||
+ | |- | ||
+ | | ग + ै = गै | ||
+ | |- | ||
+ | | घ + ै = घै | ||
+ | |- | ||
+ | | ड़ + ै = ड़ै | ||
+ | |- | ||
+ | | च + ै = चै | ||
+ | |- | ||
+ | | छ + ै = छै | ||
+ | |- | ||
+ | | ज + ै = जै | ||
+ | |- | ||
+ | | झ + ै = झै | ||
+ | |- | ||
+ | | ञ + ै = ञै | ||
+ | |- | ||
+ | | ट + ै = टै | ||
+ | |- | ||
+ | | ठ + ै = ठै | ||
+ | |- | ||
+ | | ड + ै = डै | ||
+ | |- | ||
+ | | ढ + ै = ढै | ||
+ | |- | ||
+ | | ण + ै = णै | ||
+ | |- | ||
+ | | त + ै = तै | ||
+ | |- | ||
+ | | थ + ै = थै | ||
+ | |- | ||
+ | | द + ै = दै | ||
+ | |- | ||
+ | | ध + ै = धै | ||
+ | |- | ||
+ | | न + ै = नै | ||
+ | |- | ||
+ | | प + ै = पै | ||
+ | |- | ||
+ | | फ + ै = फै | ||
+ | |- | ||
+ | | ब + ै = बै | ||
+ | |- | ||
+ | | भ + ै = भै | ||
+ | |- | ||
+ | | म + ै = मै | ||
+ | |- | ||
+ | | य + ै = यै | ||
+ | |- | ||
+ | | र + ै = रै | ||
+ | |- | ||
+ | | ल + ै = लै | ||
+ | |- | ||
+ | | व + ै = वै | ||
+ | |- | ||
+ | | श + ै = शै | ||
+ | |- | ||
+ | | ष + ै = षै | ||
+ | |- | ||
+ | | स + ै = सै | ||
+ | |- | ||
+ | | ह + ै = है | ||
+ | |- | ||
+ | | क्ष + ै = क्षै | ||
+ | |- | ||
+ | | त्र + ै = त्रै | ||
+ | |- | ||
+ | | ज्ञ + ै = ज्ञै | ||
+ | |} | ||
11:49, 27 नवम्बर 2016 का अवतरण
ऐ
| |
विवरण | ऐ देवनागरी वर्णमाला का नवाँ स्वर है। |
भाषाविज्ञान की दृष्टि से | यह दीर्घ, अग्र, अवृत्तमुखी, अर्धसंवृत, स्वर है और घोष ध्वनि है। इसके उच्चारण-स्थान कंठ और तालू होने से यह ‘कंठ्य-तालव्य’ है। |
अनुनासिक रूप | ‘ऐँ’ (मुद्रण आदि की सुविधा के लिए ‘ऐं’ भी लिखा जाता है।) |
मात्रा | 'ै’ (जैसे- कै, चै, टै, तै, पै) |
व्याकरण | [ संस्कृत आ (धातु) इ + विच् ] पुल्लिंग- शिव, महादेव। अव्यय- स्मरण, बुलावा तथा सम्बोधन-बोधक शब्द। |
संबंधित लेख | अ, आ, ई, ओ, औ, ऊ, ऋ, ए, अं, अ: |
ऐ देवनागरी वर्णमाला का नवाँ स्वर है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह दीर्घ, अग्र, अवृत्तमुखी, अर्धसंवृत, स्वर है और घोष ध्वनि है। इसके उच्चारण-स्थान कंठ और तालू होने से यह ‘कंठ्य-तालव्य’ है।
- विशेष-
- ‘ऐ’ का अनुनासिक रूप ‘ऐँ’ है जिसे मुद्रण आदि की सुविधा के लिए ‘ऐं’ भी लिखा जाता है।
- ‘ऐ’ की मात्रा 'ै' व्यंजन की शिरोरेखा के ऊपर लगती है। (जैसे- कै, गै, मै, चै, टै, पै, वै)।
- [ संस्कृत आ (धातु) इ + विच् ] पुल्लिंग- शिव, महादेव। अव्यय- स्मरण, बुलावा तथा सम्बोधन-बोधक शब्द।
- अव्यय- 1. विस्मय का सूचक एक शब्द। अरे। 2. सम्बोधन सूचक एक शब्द। हे।
- सर्वनाम, विशेषण- 1. यह। जैसे- ऐई। 2. इस। जैसे- ऐ से काम नहीं चलेगा।
- ‘ऐ परि’ = इतने पर भी। फिर भी। उदाहरण- वारियै कोरिक प्रान सुजान हौं ऐ परि मरियैगो मसोसनि। -घनानंद
ऐ अक्षर वाले शब्द
- ऐनक
- ऐसे
- ऐतिहासिक
- ऐक्ष्वाकी
- ऐरा गेरा
ऐ की मात्रा ै का प्रयोग
क + ै = कै |
ख + ै = खै |
ग + ै = गै |
घ + ै = घै |
ड़ + ै = ड़ै |
च + ै = चै |
छ + ै = छै |
ज + ै = जै |
झ + ै = झै |
ञ + ै = ञै |
ट + ै = टै |
ठ + ै = ठै |
ड + ै = डै |
ढ + ै = ढै |
ण + ै = णै |
त + ै = तै |
थ + ै = थै |
द + ै = दै |
ध + ै = धै |
न + ै = नै |
प + ै = पै |
फ + ै = फै |
ब + ै = बै |
भ + ै = भै |
म + ै = मै |
य + ै = यै |
र + ै = रै |
ल + ै = लै |
व + ै = वै |
श + ै = शै |
ष + ै = षै |
स + ै = सै |
ह + ै = है |
क्ष + ै = क्षै |
त्र + ै = त्रै |
ज्ञ + ै = ज्ञै |
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख