"च" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
('right|150px '''च''' देवनागरी लिपि का चौदवां अक्ष...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:च.jpg|right|150px]]
+
{{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय
 
+
|चित्र=च.jpg
'''च''' [[देवनागरी लिपि]] का चौदवां [[अक्षर]] है। यह एक [[व्यंजन (व्याकरण)|व्यंजन]] है।
+
|चित्र का नाम=
 +
|विवरण='''च''' [[देवनागरी वर्णमाला]] में चवर्ग का प्रथम [[व्यंजन (व्याकरण)|व्यंजन]] है।
 +
|शीर्षक 1=भाषाविज्ञान की दृष्टि से
 +
|पाठ 1= यह [[तालव्य व्यंजन|तालव्य]], स्पर्श–संघर्षों, अघोष तथा अल्पप्राण वर्ण है।
 +
|शीर्षक 2= व्याकरण
 +
|पाठ 2= [ चण् / (धातु) चि + ड ] [[पुल्लिंग]]- शिव, महादेव, चंद्रमा, कछुआ, चोर।
 +
|शीर्षक 3=विशेष
 +
|पाठ 3=‘च’ से पहले आने वाले व्यंजनों में ञ्, र् और श् जो सन्युक्त रूप बनाते हैं, वे ध्यान देने योग्य हैं- ञ्च, ‘र्च’ श्च (पञ्च, सञ्चय; अर्चन, खर्चा; पश्च, आश्चर्य)।
 +
|शीर्षक 4=
 +
|पाठ 4= 
 +
|शीर्षक 5=
 +
|पाठ 5= 
 +
|शीर्षक 6=
 +
|पाठ 6=
 +
|शीर्षक 7=
 +
|पाठ 7=
 +
|शीर्षक 8=
 +
|पाठ 8=
 +
|शीर्षक 9=
 +
|पाठ 9=
 +
|शीर्षक 10=
 +
|पाठ 10=
 +
|संबंधित लेख=[[छ]], [[ज]], [[झ]], [[ञ]]
 +
|अन्य जानकारी= प्राय: ‘च’ वर्ण हिंदी-शब्दों के आदि और मध्य में आता है (चपल, प्राचीन, नाच, च्युत, वाच्य) परंतु अंत में उसका प्रयोग बहुत कम होता है, प्राय: [[तत्सम]] शब्दों में ही।
 +
|बाहरी कड़ियाँ=
 +
|अद्यतन=
 +
}}
 +
'''च''' [[देवनागरी वर्णमाला]] में चवर्ग का प्रथम [[व्यंजन (व्याकरण)|व्यंजन]] है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह [[तालव्य व्यंजन|तालव्य]], स्पर्श–संघर्षों, अघोष तथा अल्पप्राण वर्ण है।
 +
;विशेष-
 +
* ‘च्’ वर्ण अपने बाद आने वाले व्यंजन से मिलने के लिए अपनी खड़ी रेखा छोड़कर सन्युक्त रूप बनाता है, जैसे—च्च, च्छ, च्य, च्व। [(उच्च, कच्चा, अच्छ,च्यवन, प्राच्य, च्वाइस (अ)]।
 +
* ‘च’ से पहले आने वाले व्यंजनों में ञ्, र् और श् जो सन्युक्त रूप बनाते हैं, वे ध्यान देने योग्य हैं- ञ्च, ‘र्च’ श्च (पञ्च, सञ्चय; अर्चन, खर्चा; पश्च, आश्चर्य)।
 +
* ‘ञ्च’ के ‘ञ्’ के स्थान पर अनुस्वार के समान बिंदी लगाकर लिखना भी मुद्रण आदि की सुविधा के लिए, प्रचलित है (पञ्च/पंच, सञ्चय/संचय)।
 +
* प्राय: ‘च’ वर्ण हिंदी-शब्दों के आदि और मध्य में आता है (चपल, प्राचीन, नाच, च्युत, वाच्य) परंतु अंत में उसका प्रयोग बहुत कम होता है, प्राय: [[तत्सम]] शब्दों में ही।
 +
* [ चण् / (धातु) चि + ड ] [[पुल्लिंग]]- शिव, महादेव, चंद्रमा, कछुआ, चोर।<ref>पुस्तक- हिन्दी शब्द कोश खण्ड-1 | पृष्ठ संख्या- 829</ref>
 +
==च की बारहखड़ी==
 +
{| class="bharattable-green"
 +
|-
 +
| च
 +
| चा
 +
| चि
 +
| ची
 +
| चु
 +
| चू
 +
| चे
 +
| चै
 +
| चो
 +
| चौ
 +
| चं
 +
| चः
 +
|}
 
==च अक्षर वाले शब्द==
 
==च अक्षर वाले शब्द==
 
* चम्मच
 
* चम्मच

14:13, 15 दिसम्बर 2016 के समय का अवतरण

च.jpg
विवरण देवनागरी वर्णमाला में चवर्ग का प्रथम व्यंजन है।
भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह तालव्य, स्पर्श–संघर्षों, अघोष तथा अल्पप्राण वर्ण है।
व्याकरण [ चण् / (धातु) चि + ड ] पुल्लिंग- शिव, महादेव, चंद्रमा, कछुआ, चोर।
विशेष ‘च’ से पहले आने वाले व्यंजनों में ञ्, र् और श् जो सन्युक्त रूप बनाते हैं, वे ध्यान देने योग्य हैं- ञ्च, ‘र्च’ श्च (पञ्च, सञ्चय; अर्चन, खर्चा; पश्च, आश्चर्य)।
संबंधित लेख , , ,
अन्य जानकारी प्राय: ‘च’ वर्ण हिंदी-शब्दों के आदि और मध्य में आता है (चपल, प्राचीन, नाच, च्युत, वाच्य) परंतु अंत में उसका प्रयोग बहुत कम होता है, प्राय: तत्सम शब्दों में ही।

देवनागरी वर्णमाला में चवर्ग का प्रथम व्यंजन है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह तालव्य, स्पर्श–संघर्षों, अघोष तथा अल्पप्राण वर्ण है।

विशेष-
  • ‘च्’ वर्ण अपने बाद आने वाले व्यंजन से मिलने के लिए अपनी खड़ी रेखा छोड़कर सन्युक्त रूप बनाता है, जैसे—च्च, च्छ, च्य, च्व। [(उच्च, कच्चा, अच्छ,च्यवन, प्राच्य, च्वाइस (अ)]।
  • ‘च’ से पहले आने वाले व्यंजनों में ञ्, र् और श् जो सन्युक्त रूप बनाते हैं, वे ध्यान देने योग्य हैं- ञ्च, ‘र्च’ श्च (पञ्च, सञ्चय; अर्चन, खर्चा; पश्च, आश्चर्य)।
  • ‘ञ्च’ के ‘ञ्’ के स्थान पर अनुस्वार के समान बिंदी लगाकर लिखना भी मुद्रण आदि की सुविधा के लिए, प्रचलित है (पञ्च/पंच, सञ्चय/संचय)।
  • प्राय: ‘च’ वर्ण हिंदी-शब्दों के आदि और मध्य में आता है (चपल, प्राचीन, नाच, च्युत, वाच्य) परंतु अंत में उसका प्रयोग बहुत कम होता है, प्राय: तत्सम शब्दों में ही।
  • [ चण् / (धातु) चि + ड ] पुल्लिंग- शिव, महादेव, चंद्रमा, कछुआ, चोर।[1]

च की बारहखड़ी

चा चि ची चु चू चे चै चो चौ चं चः

च अक्षर वाले शब्द



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पुस्तक- हिन्दी शब्द कोश खण्ड-1 | पृष्ठ संख्या- 829

संबंधित लेख