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+ | '''ए''' [[देवनागरी वर्णमाला]] का आठवाँ [[स्वर (व्याकरण)|स्वर]] है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह दीर्घ, अग्र, अवृत्तमुखी, अर्धसंवृत, और सन्युक्त स्वर है तथा घोष ध्वनि है। इसके उच्चारण में कंठ और तालू का प्रयोग होने से यह ‘कंठतालव्य’ वर्ण है। | ||
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14:29, 15 दिसम्बर 2016 के समय का अवतरण
ए
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विवरण | ए देवनागरी वर्णमाला का आठवाँ स्वर है। |
भाषाविज्ञान की दृष्टि से | दीर्घ, अग्र, अवृत्तमुखी, अर्धसंवृत, और सन्युक्त स्वर है तथा घोष ध्वनि है। इसके उच्चारण में कंठ और तालू का प्रयोग होने से यह ‘कंठतालव्य’ वर्ण है। |
अनुनासिक रूप | ‘एँ’ |
मात्रा | 'े’ (जैसे- के, चे, टे, ते, पे) |
व्याकरण | [ संस्कृत ए+ विच् ] पुल्लिंग- विष्णु। अव्ययीभाव समास- स्मरण, ईर्ष्या, दया, आह्वान, तिरस्कार अथवा धिक्कार का सूचक शब्द। |
संबंधित लेख | अ, आ, इ, ई, ओ, औ, ऊ, ऋ, ऐ, अं, अ: |
ए देवनागरी वर्णमाला का आठवाँ स्वर है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से यह दीर्घ, अग्र, अवृत्तमुखी, अर्धसंवृत, और सन्युक्त स्वर है तथा घोष ध्वनि है। इसके उच्चारण में कंठ और तालू का प्रयोग होने से यह ‘कंठतालव्य’ वर्ण है।
- विशेष-
- ए का अनुनासिक रूप ‘एँ’ है।
- ए की मात्रा व्यंजन की शिरोरेखा के ऊपर लगती है। (जैसे- के, ने, से इत्यादि में)।
- [ संस्कृत ए+ विच् ] पुल्लिंग- विष्णु। अव्यय- स्मरण, ईर्ष्या, दया, आह्वान, तिरस्कार अथवा धिक्कार का सूचक शब्द।
- [ फ़ारसी अव्ययीभाव समास- बुलाने का या सम्बोधनात्मक शब्द। जैसे- ए लड़के! इधर आ।
- अव्यय- एक विस्मयसूचक शब्द। जैसे- ए! तुम भी कवि हो।
- सर्वनाम- ‘यह’ या ‘ये’। उदाहरण- ए नैना रिझवार –बिहारी।
- अँग्रेज़ी वर्णमाला का पहला वर्ण जो ‘अ’ या ‘आ’ की ध्वनि देता है परंतु कहीं ‘ए’ भी।[1]
ए अक्षर वाले शब्द
ए की मात्रा े का प्रयोग
क + े = के |
ख + े = खे |
ग + े = गे |
घ + े = घे |
ड़ + े = ड़े |
च + े = चे |
छ + े = छे |
ज + े = जे |
झ + े = झे |
ञ + े = ञे |
ट + े = टे |
ठ + े = ठे |
ड + े = डे |
ढ + े = ढे |
ण + े = णे |
त + े = ते |
थ + े = थे |
द + े = दे |
ध + े = धे |
न + े = ने |
प + े = पे |
फ + े = फे |
ब + े = बे |
भ + े = भे |
म + े = मे |
य + े = ये |
र + े = रे |
ल + े = ले |
व + े = वे |
श + े = शे |
ष + े = षे |
स + े = से |
ह + े = हे |
क्ष + े = क्षे |
त्र + े = त्रे |
ज्ञ + े = ज्ञे |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पुस्तक- हिन्दी शब्द कोश खण्ड-1 | पृष्ठ संख्या- 456
संबंधित लेख