"प्रयोग:कविता बघेल 8" के अवतरणों में अंतर
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कविता बघेल (चर्चा | योगदान) |
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+ | <quiz display=simple> | ||
+ | {प्रागैतिहासिक भारतीय चित्रकला किस सतह पर बनाई गई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-5,प्रश्न-6 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -लकड़ी के पटों पर | ||
+ | -वृक्ष की छालों पर | ||
+ | -ताल-पत्रों पर | ||
+ | +चट्टानों पर | ||
+ | ||प्रागैतिहासिक काल के चित्र चट्टानों की दीवारों, गुफ़ाओं के फर्शों, गिट्टियों या छतों में बनाए गए हैं। अनेक चित्र प्रस्तर शिलाओं पर भी अंकित किए गए हैं। | ||
+ | {अल्टामीरा का गुफ़ा चित्र कहां स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-17,प्रश्न-6 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | +स्पेन | ||
+ | -फ्रांस | ||
+ | -इटली | ||
+ | -भारत | ||
+ | ||प्रागैतिहासिक मानव द्वारा अंकित सर्वप्रथम चित्र उत्तरी स्पेन में अल्टामीरा गुफ़ा की गीली दीवाए पर हाथ की अंगुलियों द्वारा बनाई गई फीते के समान टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं हैं। यह गुफ़ा सेंतेंदर से 31 किमी. दूर उत्तरी स्पेन में स्थित है। यहां की गुफ़ाएं सर्वोत्कृष्ट शिल्प का उदाहरण हैं। गुफ़ा की छत कहीं-कहीं 6-7 फीट ऊंची है, अत: पर अंकित चित्रों को देखने हेतु भूमि पर लेटना ठीक रहता है। यही कारण है कि इन्हें सर्वप्रथम 'मारिया सातुओला' नामक एक पांच वर्षीय बालिका ने देखी थी। | ||
+ | |||
+ | {राजस्थानी (जयपुर) शैली के भित्ति-चित्र बनाए जाते हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-37,प्रश्न-1 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -संगमरमर पर | ||
+ | +गीली सतह पर | ||
+ | -सूखी सतह पर | ||
+ | -ईंट की सतह पर | ||
+ | ||राजस्थानी जयपुर शैली को 'आराश' या 'राजस्थानी (जयपुर) फ्रेस्को बूनो' कहा जाता है। इस शैली में दीवार के गीले प्लास्टर पर ही पतले-पतले रंग लगाए जाते हैं जो प्लास्टर सूखने के साथ ही पक्के हो जाते हैं, इसे 'आर्द्रभित्ति-चित्रण' भी कहते हैं। | ||
+ | |||
+ | {इटली के गोथिक काल के चित्रकारों में प्रमुख कलाकार कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-39,प्रश्न-10 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -दूशियो | ||
+ | -एम्ब्रॉजियो लोरंजेट्टी | ||
+ | -जॉन वान आईक | ||
+ | +जिओत्तो | ||
+ | ||जिओत्तो इटली के गोथिक काल के चित्रकारों में प्रमुख कलाकार थे। | ||
+ | |||
+ | {राजा उम्मेद सिंह ने किस क्षेत्र शैली को मौलिकता प्रदान की? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-47,प्रश्न-6 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -बूंदी शैली को | ||
+ | -किशनगढ़ शैली को | ||
+ | -अलवर शैली को | ||
+ | +कोटा शैली को | ||
+ | ||राजा उम्मेद सिंह ने किस चित्रकला शैली को मौलिकता प्रदान की। राजा उम्मेद सिंह (1771-1820 ई.), के काल में कोटा शैली की बड़ी उन्नति हुई। राजा उम्मेद सिंह के शिकार के शौक के चलते चित्रकारों ने शिकार के चित्रण को काफी महत्त्व दिया। | ||
+ | |||
+ | {'आइने अकबरी' पुस्तक के लेखक कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-56,प्रश्न-6 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -केशव | ||
+ | -जगन्नाथ | ||
+ | -दसवन्त | ||
+ | +अबुल फजल | ||
+ | ||'आइने अकबरी' अकबर के दरबारी अबुल फजल द्वारा रचित (चित्रित) 'अकबरनामा' का ही एक भाग है। अकबरनामा तीन भागों में है जिसमें से तीसरे भाग को 'आइने अकबरी' कहते हैं। आइने अकबरी के भी अपने आप में पांच भाग हैं। मुगल साम्राज्य का भौगोलिक सर्वेक्षण तथा सभी प्रांतों विशेष तौर पर बंगाल के बारे में आंकड़ों पर आधारित विवरण प्रदान करता है। इस पुस्तक में शासन प्रणाली के नियमों का वर्णन किया गया है तथा इसमें अकबर द्वारा सभी सरकारी विभागों पर नियंत्रण के बारे में जानकरी मिलती है। | ||
+ | |||
+ | {पहाड़ी पेंटिंगें किस समय विकसित थीं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-71,प्रश्न-6 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -बिलम्बित 17 से प्रारम्भिक 18 वीं शताब्दी | ||
+ | -प्रारम्भिक 15 से विलम्बित 17 वीं शताब्दी | ||
+ | -विलम्बित 18 और प्रारम्भिक 19 वीं शताब्दी | ||
+ | +प्रारम्भिक 18 से विलम्बित 19 वीं शताब्दी | ||
+ | ||पहाड़ी चित्रों का निर्माण 18 वीं शताब्दी से (1700 ई. से 1900 ई. तक) प्रारंभ हुआ। आर्चर महोदय के अनुसार, 17वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक पश्चिम्मी-हिमालय के क्षेत्र प्रकार की कला विकसित नहीं हुई थी। | ||
+ | |||
+ | {राजा रवि वर्मा की मृत्यु किस वर्ष हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-90,प्रश्न-6 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | +1906 | ||
+ | -1918 | ||
+ | -1941 | ||
+ | -1921 | ||
+ | ||राजा रवि वर्मा का जन्म 29 अप्रैल, 1848 को केरल के एक छोटे कस्बे किलिमनूर (त्रावणकोर) में हुआ था। वे अपने विस्मय पेंटिंग के लिए जाने जाते हैं जो मुख्यत: रामायण एवं महाभारत महाकाव्यों के इर्द-गिर्द घूमता है। इनकी मृत्यु 2 अक्टूबर, 1906 को हुई थी। | ||
+ | |||
+ | {प्रथम चरण की बाइजेन्टाइन-कला यहां पाई जाती है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-102,प्रश्न-7 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | +कांस्टेन्टीनोपल में | ||
+ | -मास्को में | ||
+ | -रैवेन्ना में | ||
+ | -इस्ताम्बुल में | ||
+ | ||प्रथम चरण की बाइजेन्टाइन-कला कान्स्टेन्टीनेपल में पाई जाती है। बाइजेंटिम नामक नगर को ही सम्राट कांस्टेन्टाइन ने जीतकर इसका नाम कान्स्टेन्टीनोपल (कुस्तुंतुनिया) रख दिया। प्रथम चरण की बाइजेन्टाइन कला में रोम, रैवेन्न तथा सैलोनिका प्रमुख थे। | ||
+ | |||
+ | {यूरोप की कला के पुनर्जागरण काल का प्रमुख कलाकार कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-104,प्रश्न-6 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -मैसेचियो | ||
+ | +लियोनार्दो द विंसी | ||
+ | -पाओलो उचेल्लो | ||
+ | -टिटियन | ||
+ | ||पुनर्जागरण काल के प्रमुख कलाकारों में दिए गए विकल्पों में मैसेचियो तथा पाओलो उचेल्लो दोनों शामिल हैं। उ.प्र. माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड ने अपने प्रारंभिक उत्तर कुंजी में इसका उत्तर (b) माना था किंतु पतिवर्तित उत्तर-कुंजी में इसे गलत बताया है। चूंकि विकल्प में दो उत्तर सही हैं। अत: दोनों उत्तर सही हैं। | ||
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+ | {प्रागैतिहासिक चित्र क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-5,प्रश्न-7 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -ग्रंथ चित्र | ||
+ | +गुहा चित्र | ||
+ | -कागज पर बने चित्र | ||
+ | -वस्त्र पर बने चित्र | ||
+ | ||प्रागैतिहासिक चित्र गुहा चित्र है। पाषाण युग के मनुष्यों ने अपने चारो ओर के वातावरण की स्मृति को बनाए रखने के लिए तथा अपनी विजय का इतिहास व्यक्त करने की भावना के वशीभूत होकर इन चित्राकृतियों का निर्माण किया। | ||
+ | |||
+ | {प्रागैतिहासिक काल के चित्र कहां स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-17,प्रश्न-7 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | +अल्टामीरा | ||
+ | -बर्लिन | ||
+ | -हॉलैंड | ||
+ | -रोमीरा | ||
+ | ||प्रागैतिहासिक मानव द्वारा अंकित सर्वप्रथम चित्र उत्तरी स्पेन में अल्टामीरा गुफ़ा की गीली दीवाए पर हाथ की अंगुलियों द्वारा बनाई गई फीते के समान टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं हैं। यह गुफ़ा सेंतेंदर से 31 किमी. दूर उत्तरी स्पेन में स्थित है। यहां की गुफ़ाएं सर्वोत्कृष्ट शिल्प का उदाहरण हैं। गुफ़ा की छत कहीं-कहीं 6-7 फीट ऊंची है, अत: पर अंकित चित्रों को देखने हेतु भूमि पर लेटना ठीक रहता है। यही कारण है कि इन्हें सर्वप्रथम 'मारिया सातुओला' नामक एक पांच वर्षीय बालिका ने देखी थी। | ||
+ | |||
+ | {जयपुरी फ्रेसको चित्रण निम्न में से वर्तमान में किस केंद्र पर सिखाया जाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-37,प्रश्न-2 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | +वनस्थली | ||
+ | -मद्रास | ||
+ | -बंबई | ||
+ | -वाराणसी | ||
+ | ||जयपुरी फ्रेस्को कला चित्रण वर्तमान में वनस्थली केंद्र पर सिखाया जाता है। वनस्थली विश्वविद्यालय महिलाओं की शिक्षा के लिए एक बेहतरीन विश्वविद्यालय है। | ||
+ | |||
+ | {गोथिक कला के विकास में प्रमुख कारण कौन-से थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-39,प्रश्न-11 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -नगरीकरण, व्यापारिक विकास एवं शक्ति-संपन्न राजसत्ता | ||
+ | -जनमानस की आकांक्षाएं, नगरीकरण, धर्म गुरुओं | ||
+ | +कलाकारों के समूह, धर्म, नवीन चेतना | ||
+ | -नवीन कला धाराएं, नवीन विचार, धर्म | ||
+ | ||गोथिक कला के विकास में प्रमुख कारण कलाकारों के समूह, धर्म तथा नवीन चेतना था। | ||
+ | अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य | ||
+ | .गोथिक शैली का आरंभ 12 वीं शती में फ्रांस में हुआ। | ||
+ | .सामाज के प्रत्येक व्यक्ति ने गोथिक कला में सहयोग दिया तथा सुंदर से सुंदर शैली के चर्चों (पूजा घरों) का निर्माण हुआ। | ||
+ | |||
+ | {महान कला प्रेमी राजा हम्मेद सिंह (1771-1820 ई.) के समय में किस शैली में कार्य हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-47,प्रश्न-7 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -बूंदी | ||
+ | +कोटा | ||
+ | -कांगड़ा | ||
+ | -मुगल | ||
+ | ||राजा उम्मेद सिंह ने किस चित्रकला शैली को मौलिकता प्रदान की। राजा उम्मेद सिंह (1771-1820 ई.), के काल में कोटा शैली की बड़ी उन्नति हुई। राजा उम्मेद सिंह के शिकार के शौक के चलते चित्रकारों ने शिकार के चित्रण को काफी महत्त्व दिया। | ||
+ | |||
+ | {'आइने अकबरी' का मुख्य चित्रकार कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-56,प्रश्न-7 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -केशू दास | ||
+ | +अबुल फजल | ||
+ | -समशाद | ||
+ | -मोलाराम | ||
+ | ||'आइने अकबरी' अकबर के दरबारी अबुल फजल द्वारा रचित (चित्रित) 'अकबरनामा' का ही एक भाग है। अकबरनामा तीन भागों में है जिसमें से तीसरे भाग को 'आइने अकबरी' कहते हैं। आइने अकबरी के भी अपने आप में पांच भाग हैं। मुगल साम्राज्य का भौगोलिक सर्वेक्षण तथा सभी प्रांतों विशेष तौर पर बंगाल के बारे में आंकड़ों पर आधारित विवरण प्रदान करता है। इस पुस्तक में शासन प्रणाली के नियमों का वर्णन किया गया है तथा इसमें अकबर द्वारा सभी सरकारी विभागों पर नियंत्रण के बारे में जानकरी मिलती है। | ||
+ | |||
+ | {पहाड़ी चित्रकला मुख्यतया किस क्षेत्र की है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-71,प्रश्न-7 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -राजस्थान की पहाड़ियों की | ||
+ | -कश्मीर की पहाड़ियों की | ||
+ | +पंजाब की पहाड़ियों की | ||
+ | -उत्तर प्रदेश की पहड़ियों की | ||
+ | ||पहाड़ी (कांगड़ा) चित्रकला को डॉ. आर. ए. अग्रवाल ने मुख्यत: चार क्षेत्रों में विभक्त किया है- (1) कश्मीर राज्य (सिंधु तथा चिनाव की बीच का क्षेत्र), (2) जम्मू (चिनाव एवं रावी के मध्य के क्षेत्र), (3) जाति (रावी एवं सतलज के मध्य का क्षेत्र)-इसी में कांगड़ा, गुलेर, चम्बा, मंडी, नूरपुर व कुल्लू रियासतें थीं, (4) विलासपुर, टिहरी व गढ़वाल राज्य (सतलज के दक्षिण-पूर्व तथा गंगा-जमुना के मध्य)। | ||
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+ | {राजा रवि वर्मा जाने जाते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-90,प्रश्न-7 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -वॉश पेंटिंग के लिए | ||
+ | -टेम्परा पेंटिंग के लिए | ||
+ | -जल रंग पेंटिंग के लिए | ||
+ | +तैल रंग पेंटिंग के लिए | ||
+ | ||राजा रवि वर्मा तैल रंग की पेंटिंग के लिए जाने जाते थे। इन्होंने भारतीय जीवन और परंपरा को इस नई कला के द्वारा प्रतिष्ठा दिलाई। इस प्रकार तैल रंगों का आधुनिक चित्रकला में प्रयोग करने का श्रेय सर्वप्रथम राजा रवि वर्मा को जाता है। | ||
+ | |||
+ | {सेंट बसील का गिर्जा कहां है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-102,प्रश्न-8 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -रोम में | ||
+ | +मॉस्को में | ||
+ | -कांस्टेन्टीनोपल में | ||
+ | -वियना में | ||
+ | ||सेंट बसील का गिर्जा रेड स्क्वायर, मॉर्को (रूस) में स्थित है। | ||
+ | |||
+ | {पुनर्जागरण कला किस देश के केंद्रों में फली-फूली? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-105,प्रश्न-7 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | +इटली | ||
+ | -फ्रांस | ||
+ | -इंगैंड | ||
+ | -जर्मनी | ||
+ | ||पुनर्जागरण काल के प्रमुख कलाकारों में दिए गए विकल्पों में मैसेचियो तथा पाओलो उचेल्लो दोनों शामिल हैं। उ.प्र. माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड ने अपने प्रारंभिक उत्तर कुंजी में इसका उत्तर (b) माना था किंतु पतिवर्तित उत्तर-कुंजी में इसे गलत बताया है। चूंकि विकल्प में दो उत्तर सही हैं। अत: दोनों उत्तर सही हैं। | ||
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+ | {प्रागैतिहासिक चित्रों के विषय क्या हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-6,प्रश्न-8 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -पशु | ||
+ | -मानव | ||
+ | -पक्षी | ||
+ | +पशु-मानव-पक्षी | ||
+ | ||प्रागैतिहासिक काल के चित्रों का विषय आखेट, युद्ध करते हुए तथा विजय के अवसर पर नृत्य करते हुए चित्रण करना ही तत्कालीन मानव का मुख्य रुचिकर विषय रहा है। स्त्री-पुरुष, पशु-पक्षी आदि के चित्र भी आदियुगीन मानव की विषयवस्तु रहे हैं। इस काल में जादू-टोने के रूप में अमूर्त भावन को भी विकसित किया गया। | ||
+ | |||
+ | {स्पेन की किस गुफ़ा में अंगुलियों से बनाई गई रेखाएं हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-17,प्रश्न-8 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -लास्को | ||
+ | -त्राय फ्रेरर्स | ||
+ | +अल्टामीरा | ||
+ | -ल कम्बारेली | ||
+ | ||प्रागैतिहासिक मानव द्वारा अंकित सर्वप्रथम चित्र उत्तरी स्पेन में अल्टामीरा गुफ़ा की गीली दीवाए पर हाथ की अंगुलियों द्वारा बनाई गई फीते के समान टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं हैं। यह गुफ़ा सेंतेंदर से 31 किमी. दूर उत्तरी स्पेन में स्थित है। यहां की गुफ़ाएं सर्वोत्कृष्ट शिल्प का उदाहरण हैं। गुफ़ा की छत कहीं-कहीं 6-7 फीट ऊंची है, अत: पर अंकित चित्रों को देखने हेतु भूमि पर लेटना ठीक रहता है। यही कारण है कि इन्हें सर्वप्रथम 'मारिया सातुओला' नामक एक पांच वर्षीय बालिका ने देखी थी। | ||
+ | |||
+ | {जयलपुरी फ्रेस्को में निहित दीप्त रूप (चमचमाती सतह) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा विकल्प सही है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-37,प्रश्न-3 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -क्योंकि ये चमकदार पत्थर की सरह पर बनाए जाते हैं। | ||
+ | -क्योंकि इन पर वार्निश की जाती है। | ||
+ | +क्योंकि ये अकीक पत्थर से घोटाई करके चमकाए जाते हैं। | ||
+ | -क्योंकि ये धूप में चमकते हैं। | ||
+ | ||जयपुरी फ्रेस्को में निहित दीप्त रूप के लिए उन्हें अकीक पत्थर से घोटाई करके चमकाया जाता था। हालांकि जयपुरी फ्रेस्को मार्बल तथा चमकदार टाइल्स पर भी बनाए जाते है, जिन्हें घोटाई की जरूरत नहीं होती थी। | ||
+ | |||
+ | {किस काल में आंतरिक एवं ब्राह्म सज्जा एक साथ करने का विचार किया गया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-39,प्रश्न-13 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -आधुनिक काल | ||
+ | -रोमनस्क काल | ||
+ | -बाइजेन्टाइन काल | ||
+ | +गोथिक काल | ||
+ | ||गोथिक काल में आंतरिक एवं बाह्य सज्जा एक साथ करने का विचार किया गया। इस काल के भवन प्राय: लंबे-पतले खंभों और नुकीले मेहराबों से बने होते थे। खंभों पर मूर्तियां उत्कीर्ण हैं। | ||
+ | |||
+ | {'कोटा शैली' के उत्कृष्ट भित्ति-चित्र देखने को मिलते हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-48,प्रश्न-8 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | +झाला जी की हवेली में | ||
+ | -आचार्य की हवेली में | ||
+ | -सिटी पैलेस में | ||
+ | -माधव निवास में | ||
+ | ||'कोटा शैली' के उत्कृष्ट भित्ति-चित्र' झाला जी की हवेली' में देखने को मिलते हैं। इसके अतिरिक्त कोटा शैली के भित्ति-चित्र 'राजमहल' तथा 'देवता जी' की हवेली में भी देखने को मिलते हैं। | ||
+ | अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य | ||
+ | .राजस्थान शैली के लघु चित्र कागज की मोटी तह (वसली) पर बनाए जाते थे। | ||
+ | .कोटा शैली के पुष्टि मार्ग कथा प्रसंगों को अधिकांश 'रघुनाथ' तथा गोविंद नामक कलाकारों ने चिन्हित किया। | ||
+ | |||
+ | {अकबर ने किस राज्य पर अपनी विजय के स्मारक के रूप में बुलंद दरवाजा बनवाया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-57,प्रश्न-8 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | +गुजरात | ||
+ | -बंगाल | ||
+ | -उड़ीसा | ||
+ | -दिल्ली | ||
+ | ||अकबर ने गुजरात विजय (1572-1573 ई.) के उपरांत 1601 ई. में फतेहपुर सीकरी में 'बुलंद दरवाजा' बनवाया था। इसकी ऊंचाई 134 फीट है। यह 42 फीट ऊंचे चबूतरे पर स्थित है। यह फतेहपुर सीकरी की जामा मस्जिद की दक्षिण दीवार में निर्मित है तथा भारत का सबसे ऊंचा और वैभवशाली प्रवेश द्वारा भी है। | ||
+ | |||
+ | {प्रकृति चित्रण को किस शैली के चित्रों में महत्त्व मिला? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-72,प्रश्न-8 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | +पहाड़ी | ||
+ | -राजस्थानी | ||
+ | -मुगल | ||
+ | -आधुनिक | ||
+ | ||प्रकृति चित्रण को पहाड़ी चित्र शैली में अत्यधिक महत्त्व प्रदान किया गया। पहाड़ी शैली के अंतर्गत 'बारहमासा' का अंकन किया गया है, जिसमें चैत्र माह से लेकर फाल्गुन माह तक की प्रकृति की शोभा को केंद्रित करके चित्रण किया गया है। | ||
+ | अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य | ||
+ | .पहाड़ी शैली में बसंत माह की शोभा का भी चित्रण प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त पर्वतों, नदी, काले बादल, नीले-आकाश, वन-उपवन, उद्यान तथा वाटिकाओं का मनोहारी अंकन प्राप्त होता है। | ||
+ | |||
+ | {'तैल चित्रण विधि' से चित्र बनाने वाले विख्यात भारतीय चित्रकार थे- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-90,प्रश्न-8 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -नंदलाल बोस | ||
+ | +राजा रवि वर्मा | ||
+ | -अमृता शेरगिल | ||
+ | -अबरीन्द्रनाथ टैगोर | ||
+ | ||राजा रवि वर्मा तैल रंग की पेंटिंग के लिए जाने जाते थे। इन्होंने भारतीय जीवन और परंपरा को इस नई कला के द्वारा प्रतिष्ठा दिलाई। इस प्रकार तैल रंगों का आधुनिक चित्रकला में प्रयोग करने का श्रेय सर्वप्रथम राजा रवि वर्मा को जाता है। | ||
+ | |||
+ | {बाइजेंटाइन-कला की श्रेष्ठ दूसरी बड़ी इमारत है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-102,प्रश्न-9 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -डेन का गिर्जा | ||
+ | -रोम का सेंट मारिया मेजिओरी गिर्जा | ||
+ | -पूर्व यूरोप के केटाकौम्ब | ||
+ | +हेगिया सोफिया गिर्जा | ||
+ | ||बाइजेन्टाइन-कला की अन्य प्रसिद्ध इमारतें निम्न हैं- गेला प्लेसीडिया सान विताले, सांतासोफिया, एंटमार्क, टोरसेल्लो तथा चर्च ऑफ़ द होली एपोसिल्स आदि। जस्टीनियन ने बहुत सारी इमारतें का निर्माण किया, लेकिन हेगिया सोफिया गिर्जाघर का कार्य उसके महानतम् कार्यों (कलाओं) में से एक है। इस चर्च में मणीकुट्टम शैली से निर्माण कार्य किया गया है बाइजेन्टाइन कला की पहली श्रेष्ठ इमारत रैवेन्न का सान विताले नामक चर्च है। | ||
+ | |||
+ | {उच्च पुनर्जागरण काल के चित्रकार का नाम बताइए- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-105,प्रश्न-8 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -ज्योत्तो | ||
+ | -फ्रा एंजेलिको | ||
+ | -बोत्तिचेल्ली | ||
+ | +राफेल | ||
+ | ||पुनर्जागरण काल के प्रमुख कलाकारों में दिए गए विकल्पों में मैसेचियो तथा पाओलो उचेल्लो दोनों शामिल हैं। उ.प्र. माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड ने अपने प्रारंभिक उत्तर कुंजी में इसका उत्तर (b) माना था किंतु पतिवर्तित उत्तर-कुंजी में इसे गलत बताया है। चूंकि विकल्प में दो उत्तर सही हैं। अत: दोनों उत्तर सही हैं। | ||
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+ | |||
+ | {प्रागैतिहासि काल के चित्रों में सबसे अधिक चित्र किस प्रकार के मिले हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-6,प्रश्न-9 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -पशुओं के चित्र | ||
+ | +आखेट के चित्र | ||
+ | -मनुष्यों के चित्र | ||
+ | -औजारों के चित्र | ||
+ | ||प्रागैतिहासिक काल के चित्रों में सबसे अधिक आखेट के चित्र मिले हैं। आदिम मनुष्य ने सांभर, महिष, गैंडा, हाथी, बारहसिंगा, घोड़ा, खरगोश, सुअर जैसे पशुओं का स्वाभाविकता के साथ अंकन किया है। यह पशु उसने अपने आखेट में देखे थे तथा उसने पन पशुओं की गति और शक्ति पर विजय प्राप्त की थी, इस कारण उसके प्रमुख चित्रण विषय के रूप में पशु जीवन का स्वभाविक था। | ||
+ | |||
+ | {उत्तरी स्पेन में स्थित प्रागैतिहासिक क्षेत्र है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-17,प्रश्न-9 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -सारागोसा | ||
+ | +अल्टामीरा | ||
+ | -ओविएडो | ||
+ | -सेबास्टियन | ||
+ | ||उत्तरी स्पेन में कैंटेब्रिया से पिरेन तक तथा पेरिगार्ड एवं वेजन नदी की घाटियों में लगभग 100 चित्र गुफ़ाओं की शृंखला मिली है। उनमें अल्टामीरा, बसांडो, कुवा कास्टिलो, ला पेसीगा, हॉरनॉस डेला पेना, पिंडाल एवं पेना द काउडेमॉ नामक गुफ़ाएं शैलचित्रों के लिए विशेष उल्लेखनीय हैं। | ||
+ | |||
+ | {यूरोपीय फ्रेस्को चित्रों की तकनीक का प्रभाव भारत की किस शैली पर पड़ा है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-37,प्रश्न-4 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -बंगाल शैली | ||
+ | +जयपुर फ्रेस्को शैली | ||
+ | -मुगल शैली | ||
+ | -पाल शैली | ||
+ | ||यूरोपीय फ्रेस्को चित्रों में दो तकनीक प्रयोग की जाती थी-1. फ्रेस्को बूनो, 2.फ्रेस्को सेक्को। फ्रेस्को बूनो इटली में प्रयोग की जाती थी। इटैलियन फ्रेस्को पेटिंग की तकनीक जयपुरी फ्रेस्को के समान है क्योंकि दोनों ही तकनीक में चित्र गीली सतह पर प्लास्टर करके बनाए जाते थे। जिसे 'फ्रेस्को बूनो' कहते हैं। | ||
+ | |||
+ | {नुकीले मेहराव वाले भवनों का निर्माण किस युग में हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-39,प्रश्न-14 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | +गोथिक | ||
+ | -रोमनस्क | ||
+ | -रोमन | ||
+ | -यूनान | ||
+ | ||गोथिक काल में आंतरिक एवं बाह्य सज्जा एक साथ करने का विचार किया गया। इस काल के भवन प्राय: लंबे-पतले खंभों और नुकीले मेहराबों से बने होते थे। खंभों पर मूर्तियां उत्कीर्ण हैं। | ||
+ | |||
+ | {राजस्थान की कोटा शैली के विषयों में सर्वोत्कृष्ट है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-48,प्रश्न-9 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | +पशु | ||
+ | -प्रतिकृति | ||
+ | -रागमाला | ||
+ | -नायिका | ||
+ | ||राजस्थान की कोटा शैली के विषयों में सर्वोत्कृष्ट 'शिकार के दृश्य' हैं जिसमें कलाकारों ने दुर्गम वनों के अद्भुत दृश्यों को चित्रित किया है, साथ ही पशुओं के चित्रण को प्रमुखता दी गई है। इन पशुओं में शेर, चीता, सूअर तथा अन्य जानवर प्रमुख हैं। 'हाथियों की लड़ाई' का चित्र कोटा शैली का एक महत्त्वपूर्ण चित्र है। कोटा शैली में हल्के हरे, पीले और नीले रंग का बहुतायत प्रयोग हुआ है। | ||
+ | |||
+ | {बुलंद दरवाजा की ऊंचाई है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-57,प्रश्न-9 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -150 फीट | ||
+ | -234 फीट | ||
+ | +134 फीट | ||
+ | -124 फीट | ||
+ | ||अकबर ने गुजरात विजय (1572-1573 ई.) के उपरांत 1601 ई. में फतेहपुर सीकरी में 'बुलंद दरवाजा' बनवाया था। इसकी ऊंचाई 134 फीट है। यह 42 फीट ऊंचे चबूतरे पर स्थित है। यह फतेहपुर सीकरी की जामा मस्जिद की दक्षिण दीवार में निर्मित है तथा भारत का सबसे ऊंचा और वैभवशाली प्रवेश द्वारा भी है। | ||
+ | |||
+ | {पहाड़ी चित्रों में किस रंगों का प्रयोग किया गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-72,प्रश्न-9 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | +गहरे | ||
+ | -हल्के | ||
+ | -काले | ||
+ | -सफेद | ||
+ | ||गुलेर क्षेत्र में प्रसूत होकर चारों ओर फैली पहाड़ी शैली में बने चित्रों का विषय रामायण, महाभारत, राजदरबार, व्यक्ति चित्र आदि रहा है। पहाड़ी शैली के चित्रों में गहरे रंगों का प्रयोग किया गया है। | ||
+ | अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य | ||
+ | .पहाड़ी शैली का जन्म 1760 ई. में गुलेर में हुआ था। | ||
+ | .पहाड़ी शैली पर मुगल एवं राजपूत शैली का प्रभाव स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है। | ||
+ | .पहाड़ी शैली में बने चित्रों की मुद्राओं पर प्रेम और अनुराग की स्पष्ट अभिव्यक्ति है। | ||
+ | .इस शैली के चित्रों की रेखाओं का गतिमान प्रवाह है। | ||
+ | |||
+ | {तैल विधा में कार्य करने वाले प्रथम भारतीय चित्रकार हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-90,प्रश्न-9 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | ||राजा रवि वर्मा तैल रंग की पेंटिंग के लिए जाने जाते थे। इन्होंने भारतीय जीवन और परंपरा को इस नई कला के द्वारा प्रतिष्ठा दिलाई। इस प्रकार तैल रंगों का आधुनिक चित्रकला में प्रयोग करने का श्रेय सर्वप्रथम राजा रवि वर्मा को जाता है। | ||
+ | |||
+ | {बाइजेन्टाइन-कला में पीला रंग प्रतीक है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-102,प्रश्न-10 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -सूर्य का | ||
+ | -पीले फूल का | ||
+ | -आग का | ||
+ | +स्वर्ग का | ||
+ | ||भारतीय सौंदर्भ-दर्शन के रंगों के प्रतीकात्मक प्रयोग पर पूरा जोर दिया गया हैं। सफेद रंग शांति और सात्विकता का प्रतीक है। लाल शौर्य और वीरता का, काला बुराइयों एवं मानसिक वृत्तियों का। इसी तरह प्राचीन ईसाई एवं मध्यकालीन बाइजेंटाइन ईसाई कला में पीला रंग स्वर्ग का प्रतीक है। अंगूर की बेल 'पुनर्जीवन' की और मछली, 'पवित्रता' की। अत: प्रतीकों और चिन्हों को कला की भाषा में विशेषकर प्राचीन और मध्यकालीन युगों में जोर दिया गया है। इधर हाल में 'मॉर्डन आर्ट' में भी यदा-कदा इस प्रकार के प्रतीकों की पुनरावृत्ति शुरू हुई है। | ||
+ | |||
+ | {माइकेल एंजेलो किसके समय में हुआ था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-105,प्रश्न-9 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -फासिज्म | ||
+ | -घनचित्रण शैली | ||
+ | +पुनर्जागरण | ||
+ | -आभास चित्रण | ||
+ | ||माइकेल एंजेलो पुनर्जागरण या चरम पुनरुत्थानवादी (High Renais-sance) चित्रकार था। | ||
+ | |||
+ | |||
+ | |||
+ | |||
+ | |||
+ | |||
+ | |||
+ | {गोथिक शैली के स्थापत्य का जन्म इससे हुआ- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-39,प्रश्न-15 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -नाट्रेडम गिर्जा से | ||
+ | +सेंट डेनिस गिर्जा से | ||
+ | -एमिएंस गिर्जा से | ||
+ | -रीम्स गिर्जा से | ||
+ | ||गोथिक शैली के स्थापत्य का आरंभ 12वीं शताब्दी में पेरिस के बाहर निर्मित सेंट डेनिस चर्च से हुआ। | ||
+ | |||
+ | {कोटा स्कूल की प्रमुख विशेषता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-48,प्रश्न-10 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -राजकीय दृश्य | ||
+ | -युद्ध दृश्य | ||
+ | +शिकार दृश्य | ||
+ | -पोर्ट्रेचर दृश्य | ||
+ | ||राजस्थान की कोटा शैली के विषयों में सर्वोत्कृष्ट 'शिकार के दृश्य' हैं जिसमें कलाकारों ने दुर्गम वनों के अद्भुत दृश्यों को चित्रित किया है, साथ ही पशुओं के चित्रण को प्रमुखता दी गई है। इन पशुओं में शेर, चीता, सूअर तथा अन्य जानवर प्रमुख हैं। 'हाथियों की लड़ाई' का चित्र कोटा शैली का एक महत्त्वपूर्ण चित्र है। कोटा शैली में हल्के हरे, पीले और नीले रंग का बहुतायत प्रयोग हुआ है। | ||
+ | |||
+ | {मुगल शैली की उत्पत्ति किन दो शैलियों के सम्मिलन से हुई- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-57,प्रश्न-10 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -बंगाली एवं पहाड़ी | ||
+ | -कांगड़ा एवं दक्खिनी | ||
+ | +राजस्थानी एवं ईरानी | ||
+ | -ईरानी एवं बंगाली | ||
+ | ||मुगल शैली भारतीय (राजस्थानी) एवं पर्शियन (ईरानी) शैली के सम्मिश्रण से उत्पन्न हुई। चूंकि मुगलों का प्रभाव सबसे पहले उत्तरी भारत के क्षेत्रों पर हुआ जहां पर पहले से ही राजस्थानी चित्रकला प्रचलन में थी और मुगलों ने ईरानी शैली के चित्रकारों को पहले से प्रश्रय दिया था। ऐसे में इन दोनों शैलियों के मिश्रण से इंडो-पर्शियन शैली आगे चलकर मुगल शैली के रूप में विकसित हुई। | ||
+ | |||
+ | {'मौला राम' कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-72,प्रश्न-10 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -मुगल चित्रकार | ||
+ | -राजपूत चित्रकार | ||
+ | +पहाड़ी चित्रकार | ||
+ | -नेपाली चित्रकार | ||
+ | ||मौला राम एक पहाड़ी चित्रकार थे। उनके द्वारा चित्रित प्रसिद्ध चित्र 'गोवर्धन धारण' है। | ||
+ | अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य | ||
+ | .प्रदीप शाह (1717-1772 ई.) के समय गढ़वाल चित्रशैली की उन्नत परंपरा का आरंभ हुआ। | ||
+ | .सुदर्शन शाह (1815-1850 ई.) के समय में गढ़वाली चित्र शैली के कलाकारों को प्रश्रय मिला। | ||
+ | |||
+ | {भारतीय की आधुनिक चित्रकला में तैल रंगों का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-90,प्रश्न-10 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -रबींद्रनाथ टैगोर | ||
+ | +राजा रवि वर्मा | ||
+ | -बेन्द्रे | ||
+ | -के.के. हेब्बर | ||
+ | ||राजा रवि वर्मा तैल रंग की पेंटिंग के लिए जाने जाते थे। इन्होंने भारतीय जीवन और परंपरा को इस नई कला के द्वारा प्रतिष्ठा दिलाई। इस प्रकार तैल रंगों का आधुनिक चित्रकला में प्रयोग करने का श्रेय सर्वप्रथम राजा रवि वर्मा को जाता है। | ||
+ | |||
+ | {बाइजेंटाइन-कला में छतों और दीवारों को किस विधि से अलंकृत किया गया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-102,प्रश्न-11 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | +मणिकुट्टिम | ||
+ | -वॉश | ||
+ | -फ्रेस्को-बूनो | ||
+ | -फ्रेस्को-सेक्को | ||
+ | ||बाइजेंटाइन-कलाकारों ने रैवेन्ना के सान विताले के महामंदिर में पच्चीकारी के साथ ही दीवारों में स्थान-स्थान पर रंगीन कांच की खिड़कियां, मेहराब, गुंबद अर्द्धवृत्ताकार गर्भगृह आदि के साथ-साथ छतों को विभिन्न प्रकार के मणिकुट्टिम चित्रों के द्वारा अलंकृत किया है। | ||
+ | |||
+ | {सिस्टीन चैपेल चित्र किसका बनाया हुआ है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-105,प्रश्न-10 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -राफेल | ||
+ | +माइकेल एंजेलो | ||
+ | -लियोनार्दो | ||
+ | -कांसटेबल | ||
+ | ||सिस्टीन चैपेल की छत (Sistine Ctapel celling) का चित्र माइकेल एंजेलो द्वारा 1508-12 ई. के मध्य बनाया गया। छत के बीच में उत्पत्ति की किताब (Book of Genesis) के 9 चित्रों को चित्रित किया है जिसमें आदम की उत्पत्ति (The Creanion of adam) सबसे अधिक प्रसिद्ध है। यहां भित्तिचित्र भी है जो माइकेल एंजेलो द्वारा चित्रित है। | ||
+ | अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य | ||
+ | .सिस्टीन चैपल, अपोस्टोलिक पैलेस (वेटिकन सिटी में पोप का आधिकारिक निवास) में एक बड़ा तथा प्रसिद्ध चैपल है। | ||
+ | |||
+ | {प्रागैतिहासिक चित्र प्रधानतया किस विषय से संबंधित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-6,प्रश्न-10 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -धर्म संबंधी | ||
+ | +आखेट | ||
+ | -युद्ध संबंधी | ||
+ | -प्रकृति संबंधी | ||
+ | ||प्रागैतिहासिक काल के चित्रों में सबसे अधिक आखेट के चित्र मिले हैं। आदिम मनुष्य ने सांभर, महिष, गैंडा, हाथी, बारहसिंगा, घोड़ा, खरगोश, सुअर जैसे पशुओं का स्वाभाविकता के साथ अंकन किया है। यह पशु उसने अपने आखेट में देखे थे तथा उसने पन पशुओं की गति और शक्ति पर विजय प्राप्त की थी, इस कारण उसके प्रमुख चित्रण विषय के रूप में पशु जीवन का स्वभाविक था। | ||
+ | |||
+ | {उत्तरी स्पेन में प्रागैतिहासिक गुफ़ा स्थित है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-17,प्रश्न-10 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | +अल्टामीरा में | ||
+ | -लास्का में | ||
+ | -नियाऊ में | ||
+ | -फोंट-डी-गॉम में | ||
+ | ||उत्तरी स्पेन में कैंटेब्रिया से पिरेन तक तथा पेरिगार्ड एवं वेजन नदी की घाटियों में लगभग 100 चित्र गुफ़ाओं की शृंखला मिली है। उनमें अल्टामीरा, बसांडो, कुवा कास्टिलो, ला पेसीगा, हॉरनॉस डेला पेना, पिंडाल एवं पेना द काउडेमॉ नामक गुफ़ाएं शैलचित्रों के लिए विशेष उल्लेखनीय हैं। | ||
+ | |||
+ | {इटैलियन 'फ्रेस्को पेंटिंग' की तकनीक किसके समान है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-37,प्रश्न-5 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -अजंता भित्ति चित्र | ||
+ | -बाघ फ्रेस्को | ||
+ | -पहाड़ी चित्र | ||
+ | +जयपुरी फ्रेस्को | ||
+ | ||यूरोपीय फ्रेस्को चित्रों में दो तकनीक प्रयोग की जाती थी-1. फ्रेस्को बूनो, 2.फ्रेस्को सेक्को। फ्रेस्को बूनो इटली में प्रयोग की जाती थी। इटैलियन फ्रेस्को पेटिंग की तकनीक जयपुरी फ्रेस्को के समान है क्योंकि दोनों ही तकनीक में चित्र गीली सतह पर प्लास्टर करके बनाए जाते थे। जिसे 'फ्रेस्को बूनो' कहते हैं। | ||
+ | </quiz> | ||
+ | |} | ||
+ | |} |
10:18, 9 अप्रैल 2017 का अवतरण
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