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*कुछ पुस्तकों में वर्णित है कि [[तोमर]] [[राजपूत|राजपूतों]] के सरदार अनंगपाल ने 737 ई. में 'दिल्ली का गाँव' में 'लालकोट' नामक नगर बसाकर राजधानी स्थापित की थी। | *कुछ पुस्तकों में वर्णित है कि [[तोमर]] [[राजपूत|राजपूतों]] के सरदार अनंगपाल ने 737 ई. में 'दिल्ली का गाँव' में 'लालकोट' नामक नगर बसाकर राजधानी स्थापित की थी। | ||
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*अनंगपाल की दो कन्याएँ थीं- सुंदरी और कमला। | *अनंगपाल की दो कन्याएँ थीं- सुंदरी और कमला। | ||
*सुंदरी का विवाह [[कन्नौज]] के राजा विजयपाल के साथ हुआ और इस संयोग से राठौर राजा [[जयचंद]] की उत्पत्ति हुई। | *सुंदरी का विवाह [[कन्नौज]] के राजा विजयपाल के साथ हुआ और इस संयोग से राठौर राजा [[जयचंद]] की उत्पत्ति हुई। |
07:40, 23 जून 2017 के समय का अवतरण
अनंगपाल तोमर (शुद्ध: अनङ्पाल) राजवंश का राजा था, जो 11वीं शताब्दी ई. के मध्य हुआ। उसने दिल्ली में उस स्थान पर क़िले का निर्माण करवाया, जहाँ इस समय क़ुतुबमीनार स्थित है। राजा अनंगपाल ने ही दिल्ली नगर को राजधानी के रूप में स्थायित्व प्रदान किया था। राजा जयचंद, जिसकी पुत्री राजकुमारी संयोगिता के साथ पृथ्वीराज चौहान ने विवाह किया, अनंगपाल का पुत्र था।
- प्रसिद्ध 'लौह स्तम्भ', जिस पर चन्द्र नामक अपरिचित राजा की प्रशस्ति अंकित है, 1052 ई. में अनंगपाल द्वारा हटाकर वर्तमान स्थान पर लाया गया था।
- अनंगपाल द्वारा यह लोह स्तम्भ बाद में मन्दिरों के बीच में खड़ा कर दिया गया।
- दिल्ली नगर की स्थापना के सन्दर्भ में कई कथाएँ प्रचलित हैं।
- कुछ लोगों का मानना है कि तोमर वंश के अनंगपाल ने ही 11वीं शताब्दी में इसकी स्थापना की थी।
- कुछ पुस्तकों में वर्णित है कि तोमर राजपूतों के सरदार अनंगपाल ने 737 ई. में 'दिल्ली का गाँव' में 'लालकोट' नामक नगर बसाकर राजधानी स्थापित की थी।
- बाद के समय में लालकोट पृथ्वीराज चौहान के पश्चात् 'क़िला राय पिथोरा' कहलाया।
- अनंगपाल की दो कन्याएँ थीं- सुंदरी और कमला।
- सुंदरी का विवाह कन्नौज के राजा विजयपाल के साथ हुआ और इस संयोग से राठौर राजा जयचंद की उत्पत्ति हुई।
- दूसरी कन्या कमला का विवाह अजमेर के चौहान राजा सोमेश्वर के साथ हुआ, जिनके पुत्र पृथ्वीराज हुए।
- अनंगपाल ने अपने नाती पृथ्वीराज को गोद ले लिया, जिससे अजमेर और दिल्ली का राज एक हो गया था।
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