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-[[विश्वनाथ प्रताप सिंह]]
 
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||[[चित्र:Chandrashekhar-Azad.jpg|100px|right|border|चन्द्रशेखर]]'चन्द्रशेखर' [[भारत]] के आठवें [[प्रधानमंत्री]] थे। उन्हें 'युवा तुर्क' का सम्बोधन उनकी निष्पक्षता के कारण प्राप्त हुआ था। ऐसे बहुत ही कम लोग होते हैं, जिन्हें विधाता कई योग्यता देकर [[पृथ्वी]] पर भेजता है और [[चन्द्रशेखर]] का शुमार उन्हीं व्यक्तियों में करना चाहिए। [[जून]], [[1975]] में [[आपातकाल]] की घोषणा के बाद जिन नेताओं को [[इंदिरा गांधी]] ने जेल भेजा, उनमें चन्द्रशेखर भी थे। लिखित वैचारिक अभिव्यक्ति पर पहरा लग चुका था, इस कारण 'यंग इंडिया' का प्रकाशन बंद हो गया था, लेकिन लेखक हृदय के मालिक चन्द्रशेखर को जेल में रहते हुए भी लेखन कर्म से नहीं रोका जा सका। जेल प्रवास के दौरान चन्द्रशेखर ने अपना लेखन जारी रखा और बाद में '''मेरी जेल डायरी''' के नाम से उनकी पुस्तक प्रकाशित होकर पाठकों के समक्ष आई। इसमें उनके जेल के अनुभवों का लेखा-जोखा है। उन्होंने लिखा है कि- "राजनीतिक बंदी होते हुए भी उस समय सभी को आवश्यक सुविधाओं से वंचित रखा गया था।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चन्द्रशेखर]]
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||[[चित्र:Chandra-Shekhar-Singh-2.jpg|100px|right|border|चन्द्रशेखर]]'चन्द्रशेखर' [[भारत]] के आठवें [[प्रधानमंत्री]] थे। उन्हें 'युवा तुर्क' का सम्बोधन उनकी निष्पक्षता के कारण प्राप्त हुआ था। ऐसे बहुत ही कम लोग होते हैं, जिन्हें विधाता कई योग्यता देकर [[पृथ्वी]] पर भेजता है और [[चन्द्रशेखर]] का शुमार उन्हीं व्यक्तियों में करना चाहिए। [[जून]], [[1975]] में [[आपातकाल]] की घोषणा के बाद जिन नेताओं को [[इंदिरा गांधी]] ने जेल भेजा, उनमें चन्द्रशेखर भी थे। लिखित वैचारिक अभिव्यक्ति पर पहरा लग चुका था, इस कारण 'यंग इंडिया' का प्रकाशन बंद हो गया था, लेकिन लेखक हृदय के मालिक चन्द्रशेखर को जेल में रहते हुए भी लेखन कर्म से नहीं रोका जा सका। जेल प्रवास के दौरान चन्द्रशेखर ने अपना लेखन जारी रखा और बाद में '''मेरी जेल डायरी''' के नाम से उनकी पुस्तक प्रकाशित होकर पाठकों के समक्ष आई। इसमें उनके जेल के अनुभवों का लेखा-जोखा है। उन्होंने लिखा है कि- "राजनीतिक बंदी होते हुए भी उस समय सभी को आवश्यक सुविधाओं से वंचित रखा गया था।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चन्द्रशेखर]]
 
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11:02, 9 जुलाई 2017 के समय का अवतरण