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#REDIRECT [[ए.ओ. ह्यूम]]
|चित्र=A_O_Hume.jpg
 
|चित्र का नाम=ए.ओ. ह्यूम
 
|पूरा नाम=एलेन ऑक्टेवियन ह्यूम
 
|अन्य नाम=
 
|जन्म=[[6 जून]], 1829
 
|जन्म भूमि=
 
|मृत्यु=[[31 जुलाई]], [[1912]]
 
|मृत्यु स्थान=
 
|अभिभावक=
 
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|कर्म भूमि=[[भारत]]
 
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|खोज=
 
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|पुरस्कार-उपाधि=
 
|प्रसिद्धि=अंग्रेज़ राजनीतिज्ञ
 
|विशेष योगदान=[[1859]] ई. में ए. ओ. ह्यूम ने 'लोकमित्र' नाम के एक समाचार-पत्र के प्रकाशन में सहयोग दिया।
 
|नागरिकता=
 
|संबंधित लेख=
 
|शीर्षक 1=स्थापना
 
|पाठ 1=[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]
 
|शीर्षक 2=
 
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|पाठ 5=
 
|अन्य जानकारी= [[लाला लाजपत राय]] ने ह्यूम के बारे में लिखा है कि "ह्यूम स्वतन्त्रता के पुजारी थे और उनका [[हृदय]] [[भारत]] की निर्धनता तथा दुर्दशा पर रोता था।" यहाँ पर यह मानने में कोई भ्रम नहीं रहा कि ह्यूम निष्पक्ष एवं न्यायप्रिय व्यक्ति थे। उन्होंने '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' के प्रति अपनी बहुमूल्य तथा महान सेवायें अर्पित की हैं।
 
|बाहरी कड़ियाँ=
 
|अद्यतन=
 
}}
 
'''एलेन ऑक्टेवियन ह्यूम''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Allan Octavian Hume'', जन्म- [[6 जून]], 1829; मृत्यु- [[31 जुलाई]], [[1912]]) एक अवकाश प्राप्त [[अंग्रेज़]] अधिकारी थे। ह्यूम [[भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन|भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] के [[इतिहास]] में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले अंग्रेज़ राजनीतिज्ञ थे। यह भी उल्लेखनीय है कि भारत के सबसे बड़े राजनीतिक दल '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' की स्थापना भी ह्यूम ने ही [[28 दिसम्बर]], [[1885]] ई. में की थी। [[1912]] ई. में उनकी मृत्यु हो जाने पर कांग्रेस ने ह्यूम को अपना 'जन्मदाता और संस्थापक' घोषित किया था।
 
==कांग्रेस की स्थापना==
 
[[गोपाल कृष्ण गोखले]] के अनुसार [[1885]] ई. में ह्यूम के सिवा और कोई व्यक्ति कांग्रेस की स्थापना नहीं कर सकता था। कांग्रेस के संस्थापक एलेन आक्टेवियन ह्यूम स्कॉटलैण्ड के निवासी थे। 'इण्डियन सिविल सर्विस' ([[भारतीय प्रशासनिक सेवा]]) में ह्यूम ने काफ़ी वर्षों तक कई महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया था। वे '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' के महामंत्री पद पर नियुक्त हुए थे, जिस पर उन्होंने [[1906]] ई. तक कार्य किया। उन्हें 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पिता' के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना से पूर्व [[कलकत्ता विश्वविद्यालय]] के स्नातकों को एक मर्मस्पर्शी पत्र भी लिखा था, जिसका कुछ अंश इस प्रकार है-
 
 
 
"बिखरे हुए व्यक्ति कितने ही बुद्धिमान तथा अच्छे आशय वाले क्यों न हों, अकेले तो शक्तिहीन ही होते हैं। आवश्यकता है संघ की, संगठन की और कार्यवाही के लिए एक निश्चित और स्पष्ट प्रणाली की। आपके कन्धों पर रखा हुआ जुआ, तब तक विद्यमान रहेगा, जब तक आप इस ध्रुव सत्य को समझ कर इसके अनुसार कार्य करने को उद्यत न होंगें कि आत्म बलिदान और निःस्वार्थ कर्म ही स्थायी सुख और स्वतन्त्रता का अचूक मार्गदर्शन है।"
 
==विभिन्न पदों पर कार्य==
 
[[1859]] ई. में ए.ओ. ह्यूम ने 'लोकमित्र' नाम के एक समाचार-पत्र के प्रकाशन में सहयोग दिया। [[1870]] से [[1879]] ई. तक इन्होने लेफ्टिनेंट गर्वनर के पद को इसलिए अस्वीकार कर दिया, क्योंकि इस पद पर रहकर वे भारतीयों की सच्चे मन से सेवा नहीं कर सकते थे। [[1885]] ई. के बाद लगभग 22 वर्षों तक उन्होंने कांग्रेस में सक्रिय सदस्य की भूमिका निभायी। [[लाला लाजपत राय]] ने ह्यूम के बारे में लिखा है कि "ह्यूम स्वतन्त्रता के पुजारी थे और उनका [[हृदय]] [[भारत]] की निर्धनता तथा दुर्दशा पर रोता था।" यहाँ पर यह मानने में कोई भ्रम नहीं रहा कि ह्यूम निष्पक्ष एवं न्यायप्रिय व्यक्ति थे। उन्होंने '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' के प्रति अपनी बहुमूल्य तथा महान सेवायें अर्पित की हैं।
 
 
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
==संबंधित लेख==
 
{{औपनिवेशिक काल}}
 
[[Category:औपनिवेशिक_काल]][[Category:इतिहास_कोश]][[Category:भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस]][[Category:अंग्रेज़ी शासन]]
 
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08:39, 15 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

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