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'''डॉ. विजय पाण्डुरंग भटकर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Vijay Pandurang Bhatkar'', जन्म- [[11 अक्टूबर]], [[1946]]) भारतीय वैज्ञानिक एवं आई.टी. प्रध्यापक हैं। भारतीय सुपर कम्प्यूटरों के विकास में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान है। वे भारतीय सुपरकम्प्युटिंग के जनक कहे जाते हैं। उनकी पहचान देश के पहले सुपरकंप्यूटर परम के निर्माता और देश में सुपरकंप्यूटिंग की शुरुआत से जुड़े सी-डेक के संस्थापक कार्यकारी निदेशक के रूप में है। वर्तमान में वे [[नालंदा विश्वविद्यालय]] के कुलाधिपति हैं।  
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'''डॉ. विजय पाण्डुरंग भटकर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Vijay Pandurang Bhatkar'', जन्म- [[11 अक्टूबर]], [[1946]], [[महाराष्ट्र]]) भारतीय वैज्ञानिक एवं आई. टी. प्रध्यापक हैं। भारतीय सुपर कम्प्यूटरों के विकास में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान है। वे भारतीय सुपरकम्प्यूटिंग के जनक कहे जाते हैं। उनकी पहचान देश के पहले सुपरकम्प्यूटर परम के निर्माता और देश में सुपरकम्प्यूटिंग की शुरुआत से जुड़े सी-डेक के संस्थापक कार्यकारी निदेशक के रूप में है। वर्तमान में वे [[नालंदा विश्वविद्यालय]] के कुलाधिपति हैं।  
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==परिचय==
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[[भारत]] के पहले सुपर कम्प्यूटर परम के निर्माता डॉ. विजय भटकर का जन्म 11 अक्टूबर, 1946 को महाराष्ट्र में हुआ था। वह आई. टी. लिडर के नाम से प्रसिद्ध हैं। डॉ. भटकर ने [[1965]] में बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग और [[1968]] में मास्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग की डिग्री आई. आई. टी दिल्ली, सर विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, नागपुर और एम. एस. यूनिवर्सिटी, [[वड़ोदरा]] से ग्रहण की थी।
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==कार्यक्षेत्र==
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वह [[दिल्ली]] स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई. आई. टी.) के बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स के अध्यक्ष हैं। इसके अलावा वे [[राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ]] (आरएसएस) के संगठन विज्ञान भारती के प्रमुख भी हैं, जो स्वदेशी विज्ञान को बढ़ावा देने से जुड़ा है। भाटकर केंद्रीय मंत्रिमंडल की वैज्ञानिक सलाहकार समिति एवं वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के संचालक मंडल के सदस्य रह चुके हैं।
 
==कुलपति पद पर नियुक्ति==
 
==कुलपति पद पर नियुक्ति==
भारतीय सुपरकम्प्युटिंग के जनक माने जाने वाले पुणे के तकनीकी विशेषज्ञ विजय पांडुरंग भाटकर को बिहार के राजगीर स्थित नालंदा विश्वविद्यालय का कुलपति (वाइस चांसलर) नियुक्त किया गया है. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 25 जनवरी 2017 से भाटकर की इस पद पर नियुक्ति की मंजूरी दे दी है. नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम, के अनुच्छेद 11 (3) के मुताबिक, वह अपनी नियुक्ति के तिथि से अगले तीन वर्षों तक इस पद पर बने रहेंगे.
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[[भारत]] में सुपर कम्प्यूटर के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले कम्प्यूटर वैज्ञानिक डॉ. विजय भटकर को [[नालंदा विश्वविद्यालय]] का नया कुलपति बनाया गया है। वे इस विश्वविद्यालय के तीसरे कुलपति हैं। पूर्व राष्ट्रपति [[प्रणब मुखर्जी]] द्वारा डॉ. भटकर की नियुक्ति को मंजूरी दी गयी। उनका कार्यकाल [[25 जनवरी]], [[2017]] से तीन वर्ष तक का है।
==सुपरकम्यूटर के निर्माण में भूमिका==
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==सुपरकम्प्यूटर के निर्माण में भूमिका==
भटकर (70) गोपा सभरवाल के स्थान पर नियुक्त हुए हैं। गोपा ने पिछले साल 24 नवंबर को इस पद से इस्तीफा दे दिया था। पुणे में 11 अक्टूबर, 1946 को जन्मे भाटकर ने आईआईटी दिल्ली, सर विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, नागपुर और एमएस यूनिवर्सिटी वडोदरा से शिक्षा ग्रहण की थी। वह 1988 में पुणे स्थित सेंटर ऑफ डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कम्प्यूटिंग (सी-डैक) में सुपरकम्पयूटर बनाने की परियोजना का नेतृत्व कर चुके हैं, जिसके तहत देश के पहले स्वदेशी सुपरकम्प्यूटर परम 8,000 और परम 10,000 का निर्माण किया गया था।
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डॉ भटकर [[1987]] में [[पुणे]] स्थित सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस्ड कम्प्यूटिंग (सी-डैक) में सुपर-कंप्यूटर बनाने की परियोजना का नेतृत्व कर चुके हैं। इसके तहत [[भारत]] के पहले सुपर कम्प्यूटर परम 8000 और परम 10000 बनाए गए थे। इसके साथ ही डॉ. भटकर ने अब तक 12 किताबों और 80 से अधिक शोध का संपादन एवं लेखन किया है। कम्प्यूटर विज्ञान के क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए वह कई सम्मान प्राप्त कर चुके हैं।
 
 
भाटकर केंद्रीय मंत्रिमंडल की वैज्ञानिक सलाहकार समिति और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के संचालक मंडल के सदस्य रह चुके हैं।  
 
 
==सम्मान एवं पुरस्कार==
 
==सम्मान एवं पुरस्कार==
विजय पाण्डुरंग भटकर पद्म श्री, पद्म भूषण, महाराष्ट्र भूषण अवार्ड, संत ज्ञानेश्वर विश्व शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
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विजय पाण्डुरंग भटकर को विज्ञान आदि के क्षेत्र में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए कई पुरस्कारों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें प्राप्त कुछ मुख्य पुरस्कार इस प्रकार हैं-
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#[[पद्म श्री]] - [[2000]]
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#[[पद्म भूषण]] - [[2015]]
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#महाराष्ट्र भूषण अवार्ड - [[1999]]-[[2000]]
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#संत ज्ञानेश्वर विश्व शांति पुरस्कार

12:43, 4 अक्टूबर 2017 का अवतरण

विजय भटकर

डॉ. विजय पाण्डुरंग भटकर (अंग्रेज़ी: Vijay Pandurang Bhatkar, जन्म- 11 अक्टूबर, 1946, महाराष्ट्र) भारतीय वैज्ञानिक एवं आई. टी. प्रध्यापक हैं। भारतीय सुपर कम्प्यूटरों के विकास में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान है। वे भारतीय सुपरकम्प्यूटिंग के जनक कहे जाते हैं। उनकी पहचान देश के पहले सुपरकम्प्यूटर परम के निर्माता और देश में सुपरकम्प्यूटिंग की शुरुआत से जुड़े सी-डेक के संस्थापक कार्यकारी निदेशक के रूप में है। वर्तमान में वे नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं।

परिचय

भारत के पहले सुपर कम्प्यूटर परम के निर्माता डॉ. विजय भटकर का जन्म 11 अक्टूबर, 1946 को महाराष्ट्र में हुआ था। वह आई. टी. लिडर के नाम से प्रसिद्ध हैं। डॉ. भटकर ने 1965 में बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग और 1968 में मास्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग की डिग्री आई. आई. टी दिल्ली, सर विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, नागपुर और एम. एस. यूनिवर्सिटी, वड़ोदरा से ग्रहण की थी।

कार्यक्षेत्र

वह दिल्ली स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई. आई. टी.) के बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स के अध्यक्ष हैं। इसके अलावा वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संगठन विज्ञान भारती के प्रमुख भी हैं, जो स्वदेशी विज्ञान को बढ़ावा देने से जुड़ा है। भाटकर केंद्रीय मंत्रिमंडल की वैज्ञानिक सलाहकार समिति एवं वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के संचालक मंडल के सदस्य रह चुके हैं।

कुलपति पद पर नियुक्ति

भारत में सुपर कम्प्यूटर के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले कम्प्यूटर वैज्ञानिक डॉ. विजय भटकर को नालंदा विश्वविद्यालय का नया कुलपति बनाया गया है। वे इस विश्वविद्यालय के तीसरे कुलपति हैं। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा डॉ. भटकर की नियुक्ति को मंजूरी दी गयी। उनका कार्यकाल 25 जनवरी, 2017 से तीन वर्ष तक का है।

सुपरकम्प्यूटर के निर्माण में भूमिका

डॉ भटकर 1987 में पुणे स्थित सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस्ड कम्प्यूटिंग (सी-डैक) में सुपर-कंप्यूटर बनाने की परियोजना का नेतृत्व कर चुके हैं। इसके तहत भारत के पहले सुपर कम्प्यूटर परम 8000 और परम 10000 बनाए गए थे। इसके साथ ही डॉ. भटकर ने अब तक 12 किताबों और 80 से अधिक शोध का संपादन एवं लेखन किया है। कम्प्यूटर विज्ञान के क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए वह कई सम्मान प्राप्त कर चुके हैं।

सम्मान एवं पुरस्कार

विजय पाण्डुरंग भटकर को विज्ञान आदि के क्षेत्र में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए कई पुरस्कारों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें प्राप्त कुछ मुख्य पुरस्कार इस प्रकार हैं-

  1. पद्म श्री - 2000
  2. पद्म भूषण - 2015
  3. महाराष्ट्र भूषण अवार्ड - 1999-2000
  4. संत ज्ञानेश्वर विश्व शांति पुरस्कार