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'''शिशुनाग''' (लगभग 412 ई.पू.) को '[[शिशुनाग वंश]]' का संस्थापक माना जाता है। [[बौद्ध]] ग्रंथ '[[महावंश]]' के अनुसार शिशुनाग का जन्म [[लिच्छवी वंश|लिच्छवी]] राजा की वेश्या पत्नी के गर्भ से हुआ था। [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार वह [[क्षत्रिय]] था।<ref name="ab">{{cite web |url=http://www.brandbihar.com/hindi/literature/history/shishunag_vansh.html|title=शिशुनाग वंश|accessmonthday=11 अप्रैल|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> शिशुनाग का शासन काल अपने पूर्ववर्ती शासकों की तरह [[मगध साम्राज्य]] के तीव्र विस्तार के इतिहास में एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है।
 
'''शिशुनाग''' (लगभग 412 ई.पू.) को '[[शिशुनाग वंश]]' का संस्थापक माना जाता है। [[बौद्ध]] ग्रंथ '[[महावंश]]' के अनुसार शिशुनाग का जन्म [[लिच्छवी वंश|लिच्छवी]] राजा की वेश्या पत्नी के गर्भ से हुआ था। [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार वह [[क्षत्रिय]] था।<ref name="ab">{{cite web |url=http://www.brandbihar.com/hindi/literature/history/shishunag_vansh.html|title=शिशुनाग वंश|accessmonthday=11 अप्रैल|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> शिशुनाग का शासन काल अपने पूर्ववर्ती शासकों की तरह [[मगध साम्राज्य]] के तीव्र विस्तार के इतिहास में एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है।
  
*सिंहासन पर बैठने के पश्चात शिशुनाग ने सर्वप्रथम [[मगध]] के प्रबल प्रतिद्वन्दी [[अवन्ति]] के [[नन्दिवर्धन]] को हराया और अवन्ति को मगध में मिला लिया।
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*सिंहासन पर बैठने के पश्चात् शिशुनाग ने सर्वप्रथम [[मगध]] के प्रबल प्रतिद्वन्दी [[अवन्ति]] के [[नन्दिवर्धन]] को हराया और अवन्ति को मगध में मिला लिया।
 
*शिशुनाग ने मगध की सीमा पश्चिमम में [[मालवा]] तक विस्तृत की और [[वत्स जनपद]] को मगध में मिला दिया।
 
*शिशुनाग ने मगध की सीमा पश्चिमम में [[मालवा]] तक विस्तृत की और [[वत्स जनपद]] को मगध में मिला दिया।
 
*वत्स और अवन्ति के मगध में विलय से पाटलिपुत्र का पश्चिमी देशों से व्यापारिक मार्ग के लिए रास्ता खुल गया।
 
*वत्स और अवन्ति के मगध में विलय से पाटलिपुत्र का पश्चिमी देशों से व्यापारिक मार्ग के लिए रास्ता खुल गया।

07:39, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

शिशुनाग (लगभग 412 ई.पू.) को 'शिशुनाग वंश' का संस्थापक माना जाता है। बौद्ध ग्रंथ 'महावंश' के अनुसार शिशुनाग का जन्म लिच्छवी राजा की वेश्या पत्नी के गर्भ से हुआ था। पुराणों के अनुसार वह क्षत्रिय था।[1] शिशुनाग का शासन काल अपने पूर्ववर्ती शासकों की तरह मगध साम्राज्य के तीव्र विस्तार के इतिहास में एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है।

  • सिंहासन पर बैठने के पश्चात् शिशुनाग ने सर्वप्रथम मगध के प्रबल प्रतिद्वन्दी अवन्ति के नन्दिवर्धन को हराया और अवन्ति को मगध में मिला लिया।
  • शिशुनाग ने मगध की सीमा पश्चिमम में मालवा तक विस्तृत की और वत्स जनपद को मगध में मिला दिया।
  • वत्स और अवन्ति के मगध में विलय से पाटलिपुत्र का पश्चिमी देशों से व्यापारिक मार्ग के लिए रास्ता खुल गया।
  • शिशुनाग ने मगध से बंगाल की सीमा से मालवा तक विशाल भू-भाग पर अधिकार कर लिया था।
  • एक शक्तिशाली शासक के रूप में शिशुनाग प्रसिद्ध था, जिसने गिरिव्रज के अलावा वैशाली नगर को भी अपनी राजधानी बनाया।
  • 394 ई.पू. में शिशुनाग की की मृत्यु हो गई।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 शिशुनाग वंश (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 11 अप्रैल, 2013।

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