"प्रयोग:कविता सा.-2" के अवतरणों में अंतर
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कविता भाटिया (चर्चा | योगदान) |
कविता भाटिया (चर्चा | योगदान) |
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<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
− | {' | + | {[[बाबर]] को किस 'पद्य शैली' का जन्मदाता माना है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-192,प्रश्न-61 |
|type="()"} | |type="()"} | ||
− | - | + | -शायरी |
− | - | + | +मुबइयान |
− | + | -दीनपनाह | |
− | - | + | -इनमें से कोई नहीं |
− | || | + | ||[[बाबर]] को 'मुनइयान' पद्य शैली का जन्मदाता माना जाता है। तुजुक-ए-बाबरी' बाबर की प्रसिद्ध कृति है। अमीर अली शीर के अलावा तुर्की कविता की रचना करने वाला बाबर दूसरा व्यक्ति था। उसने शुद्ध और सबसे चमकदार तुर्की भाषा में एक दिवान (काव्य संग्रह) लिखा था। उसने तुर्की छंदशास्त्र की एक अलग प्रणाली विकसित की थी। तुर्की इतिहास को एक संस्मरण के रूप में भी बाबर ने लिखा है। |
− | {[[ | + | {[[जहांगीर]] कालीन मुगल चित्र शैली का सर्वाधिक प्रसिद्ध चित्रकार था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-61,प्रश्न-39 |
|type="()"} | |type="()"} | ||
− | - | + | -अब्दुस्समद |
− | - | + | +मंसूर |
− | - | + | -बसावन |
− | + | -फर्रुख कुलमान | |
− | |||
− | {[[ | + | {[[जहांगीर]] काल की चित्रकला में विशेष चित्रण हुआ है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-61,प्रश्न-40 |
|type="()"} | |type="()"} | ||
− | - | + | -बाबरनामा का |
− | - | + | +पशु-पक्षी का |
− | + | -रामायण का | |
− | - | + | -अनवर-ए-सुहेली का |
− | |||
− | { | + | {[[रबींद्रनाथ टैगोर]] के चित्र किस शैली के हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-85,प्रश्न-65 |
|type="()"} | |type="()"} | ||
− | - | + | -मुगल शैली |
− | - | + | -कंपनी शैली |
− | + | + | +आधुनिक शैली |
− | - | + | -बंगाल शैली |
− | |||
− | { | + | {सबसे प्रसिद्ध पॉप कलाकार कौन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-147,प्रश्न-66 |
|type="()"} | |type="()"} | ||
− | - | + | -जैक्सन पोलॉक |
− | - | + | -वासरली |
− | + | +एंडी वरहोल | |
− | + | + | -पॉल क्ली |
− | |||
− | { | + | {'रस मीमांसा' ग्रंथ की रचना की है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-156,प्रश्न-20 |
|type="()"} | |type="()"} | ||
− | - | + | -अभिनव गुप्त ने |
− | -[[ | + | -[[रामचंद्र शुक्ल|प्रो. रामचंद्र शुक्ल]] ने |
− | -[[ | + | -[[शंकराचार्य]] ने |
− | + | + | +आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने |
− | || | + | ||'रस मीमांसा' ग्रंथ की रचना आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने की है। |
− | { | + | {किस कलाकार ने अपना कैंरियर सिनेमा पोस्टर और कट आउट पेंटर के रूप में आरंभ किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-100,प्रश्न-21 |
|type="()"} | |type="()"} | ||
− | +[[ | + | -[[सतीश गुजराल]] |
− | -[[ | + | -एन.एफ. बेंद्रे |
+ | +[[एम.एफ. हुसैन]] | ||
+ | -एफ.एन. सूजा | ||
+ | ||[[एम.एफ. हुसैन]] ने अपने केंरियर की शुरुआत सिनेमा पोस्टर और कट आउट पेंटर के रूप में की। | ||
+ | |||
+ | {'बूंदी शैली' के चित्रों में किस प्रसार का रंग अधिक प्रयोग किया गया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-53,प्रश्न-7 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -खनिज रंग | ||
+ | -जलरंग | ||
+ | -रासायनिक रंग | ||
+ | +सोना-चांदी रंग | ||
+ | |||
+ | {[[अवनीन्द्रनाथ टैगोर|अबनीन्द्रनाथ टैगोर]] का जन्म हुआ था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-80,प्रश्न-20 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | +जोरासांको में | ||
-[[दिल्ली]] में | -[[दिल्ली]] में | ||
− | -[[ | + | -[[बंबई]] में |
− | ||[[ | + | -[[कलकत्ता]] में |
+ | ||[[अवनीन्द्रनाथ टैगोर]] का जन्म [[7 अगस्त]], [[1871]] को [[कलकत्ता]] (अब कोलकत्ता) के जोरासांको में तथा मृत्यु [[5 दिसंबर]], [[1951]] को हुई थी। | ||
+ | |||
+ | {यूरोपीय शैली से प्रभावित परंतु भारतीय विषयों को चित्रधार मान कर कार्य किया- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-91,प्रश्न-18 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -[[रबीन्द्रनाथ टैगोर]] ने | ||
+ | -[[जामिनी राय]] ने | ||
+ | -[[एम.एफ. हुसैन]] ने | ||
+ | +[[राजा रवि वर्मा|रवि वर्मा]] ने | ||
+ | |||
+ | {उस चित्रकार का नाम बताइए जो एक प्रसिद्ध [[मूर्तिकार]] भी थे- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-107,प्रश्न-27 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -राफेल सैंजियो | ||
+ | -कैरेजियो | ||
+ | -एंड्रिया डेल सालो | ||
+ | +माइकेल एंजिलो | ||
+ | ||माइकेल एंजिलो ने 'आदम की उत्पत्ति' नामक चित्र बनाया था। | ||
+ | |||
+ | {कला में कुलीन व्यक्तित्व, मौलिकता का अंकन तथा आध्यात्मिक जीवन में धर्म के क्षीण प्रभाव के कारण कला में व्यक्तिवादिता किस काल में देखने को मिलती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-111,प्रश्न-61 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -मध्य काल में | ||
+ | -प्राचीन काल में | ||
+ | -गोथिक काल में | ||
+ | +पुनरुत्थान काल में | ||
+ | ||पुनरुत्थान काल में कला में कुलीन व्यक्तित्व, मौलिकता का अंकन तथा आध्यात्मिक जीवन में धर्म के क्षीण प्रभाव के कारण कला में व्यक्तिवादिता देखने को मिलती है। | ||
− | { | + | {'द मार्निंग बाथ' का चित्रकार था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-119,प्रश्न-30 |
|type="()"} | |type="()"} | ||
− | - | + | -सुजूकी |
− | - | + | +डेगा |
− | - | + | -रेनुआ |
− | + | + | -पॉल सेजां |
− | || | + | ||'द मार्निंग बाथ' चित्र एडगर डेगा द्वारा 1883 में बनाया गया। यह पेंटिंग पेस्टल रंग तकनीकि से चित्रित है। |
+ | |||
+ | {किस राजवंश के उत्थान काल में अजंता की गुफा में फ्रेस्को चित्र को चित्रित किया गया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-32,प्रश्न-25 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | +गुप्त | ||
+ | -मौर्य | ||
+ | -ब्रिटिश | ||
+ | -शुंग | ||
+ | ||गुप्त राजवंश के उत्थान काल में अजंता की गुफा में फ्रेस्को चित्र (भित्तिचित्र) को चित्रित किया गया। भारतीय चित्रकला का गुप्तकाल से विशेष संबंध है, गुप्तकालीन चित्रकला का उदाहरण अजंता एवं बाघ की गुफाओं में मिलता है। | ||
+ | |||
+ | {किस कलाकार ने पेस्टल रंगों तथा गतिशील फोटोग्राफिक आकृतियों के द्वारा चित्र निर्माण कार्य किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-120,प्रश्न-37 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -मोने | ||
+ | -वान गॉग | ||
+ | -पिकासो | ||
+ | +एडगर डेगा | ||
+ | ||एडगर डेगा ने पेस्टल रंगों तथा गतिशील फोटोग्राफिक आकृतियों के द्वारा चित्र निर्माण का कार्य किया। डेगा एक प्रभाववादी चित्रकार थे। उनकी चित्रित मानव आकृति व्यक्तित्व से ओत-प्रोत है। उनके चित्रों से सामाजिक अंतर स्पष्ट दिखाई पड़ते हैं। इनके चित्र अत्यंत जीवंत प्रतीत होते हैं। | ||
+ | |||
+ | {आदिमानव चित्र बनाने के लिए किन रंगों का प्रयोग करते थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-165,प्रश्न-60 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | +जानवरों की चर्बी में रंग मिलाकर | ||
+ | -खड़िया मिट्टी | ||
+ | -गेरू के रंग | ||
+ | -काला रंग | ||
+ | ||आदिमानव गुफाओं के अंदर रंगों से सनी तूलिका तथा नुकीले कठोर पत्थरों से चित्र उकेरते थे। रंगों को वह जानवरों की चर्बी द्वारा बनाते थे तथा प्रकाश के लिए चर्बी को जलाते भी थे। इसके अलावा आदिमानव चित्रांकन के लिए कई तरह के रंगों का उपयोग करते थे। अधिकतर रंग गेरू से बनाए जाते थे, जिनकी अलग-अलग रंगतें होती थीं। खड़िया मिट्टी और की तरह की रंगीन मिट्टी का उपयोग वे चित्र बनाने के लिए करते थे। आग जलाना सीखने के बाद वे हड्डी को जलाकर काला रंग भी बना लेते थे। लकड़ी के कोयले का प्रयोग भी कभी-कभी करते थे। | ||
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</quiz> | </quiz> | ||
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12:35, 6 जनवरी 2018 का अवतरण
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