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{{सूचना बक्सा राजनीतिज्ञ
 
|चित्र=Armindar-Singh.jpg
 
|चित्र का नाम=कैप्टन अमरिंदर सिंह
 
|पूरा नाम=कैप्टन अमरिंदर सिंह
 
|अन्य नाम=
 
|जन्म=[[11 मार्च]], [[1942]]
 
|जन्म भूमि=[[पटियाला]], [[पंजाब]]
 
|मृत्यु=
 
|मृत्यु स्थान=
 
|मृत्यु कारण=
 
|अभिभावक=महाराजा यादविंदर सिंह
 
|पति/पत्नी=परनीत कौर
 
|संतान=पुत्र- रनिंदर सिंह और पुत्री- जय इंदर कौर
 
|स्मारक=
 
|क़ब्र=
 
|नागरिकता=भारतीय
 
|प्रसिद्धि=
 
|पार्टी=[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|भारतीय कांग्रेस पार्टी]]
 
|पद=वर्तमान में [[पंजाब]] के [[मुख्यमंत्री]]
 
|कार्य काल=
 
|शिक्षा=स्नातक
 
|भाषा=
 
|विद्यालय=राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड़कवासला
 
|जेल यात्रा=
 
|पुरस्कार-उपाधि=
 
|विशेष योगदान=
 
|संबंधित लेख=
 
|शीर्षक 1=विशेष:
 
|पाठ 1=कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कई किताबें लिखी हैं जिनमें [[भारत-पाकिस्तान युद्ध (1965)|1965 भारत-पाकिस्तान]] युद्ध से जुड़े इनके संस्मरण भी शामिल हैं।
 
|शीर्षक 2=
 
|पाठ 2=
 
|अन्य जानकारी=कैप्टन अमरिंदर ने [[अमृतसर]] से [[2014]] में लोकसभा चुनाव जीता और [[भाजपा]] नेता [[अरुण जेटली]] को एक लाख से अधिक मतों के अंतर से शिकस्त दी थी।
 
|बाहरी कड़ियाँ=
 
|अद्यतन=
 
}}
 
'''कैप्टन अमरिंदर सिंह''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Captain Amrinder Singh'' जन्म: [[11 मार्च]], [[1942]] [[पटियाला]], [[पंजाब]]) वर्तमान में पंजाब के 26वें [[मुख्यमंत्री]] हैं। मोदी लहर के बीच [[कांग्रेस]] के लिए जीत का परचम लहराने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह दूसरी बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने है। ये उन बहुत कम नेताओं में शामिल हैं, जो [[भारत]] और [[पाकिस्तान]] के बीच हुए युद्ध के दौरान लड़े थे। व्यापक रुप से लोकप्रिय एवं सम्मानित नेता अमरिंदर ने 117 सदस्यीय विधानसभा में पार्टी को 77 सीटों पर शानदार जीत दिलाने का मार्ग प्रशस्त किया और दूसरी बार मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला। इससे पहले ये [[2002]] से [[2007]] तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे।<ref name="a">{{cite web |url=http://hindi.sakshi.com/politics/2017/03/16/detailed-introduction-of-punjab-chief-minister-captain-amrinder-singh |title=पंजाब की कमान थामने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह का पूरा परिचय जानिए |accessmonthday=25 मार्च |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hindi.sakshi.com |language=हिंदी }}</ref>
 
==जन्म एवं शिक्षा==
 
कैप्टन अमरिंदर सिंह का जन्म 11 मार्च 1942 को तत्कालीन पटियाला रियासत के शाही परिवार में हुआ था। यह महाराजा यादविंदर सिंह के पुत्र हैं। लॉरेंस स्कूल सनावर और [[देहरादून]] स्थित दून स्कूल में प्रारंभिक पढ़ाई करने के बाद इन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड़कवासला में [[जुलाई]] [[1959]] में दाखिला लिया और [[दिसंबर]] [[1963]] में वहां से स्नातक की डिग्री प्राप्त की।<ref>{{cite web |url=http://www.univarta.com/news/states/story/812486.html |title=पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ली 26वें सीएम के रूप में शपथ, सिद्धू बने कैबिनेट मंत्री |accessmonthday=25 मार्च |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.univarta.com |language=हिंदी }}</ref> इनकी पत्नी प्रिनीत कौर है, जो राजनीति में सक्रिय हैं तथा [[मनमोहन सिंह]] की सरकार में ये [[भारत]] की विदेश राज्य मंत्री रह चुकी हैं। इनके [[परिवार]] में पुत्र रनिंदर सिंह और पुत्री जय इंदर कौर हैं। इनकी पत्नी परनीत कौर वर्ष [[2009]] से [[2014]] तक केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री रही हैं।<ref name="a"/>
 
  
==भारत सेना में शामिल==
 
कैप्टन अमरिंदर सिंह राजनीति में आने से पहले [[1963]] में भारतीय सेना में शामिल हुए और इन्हें दूसरी बटालियन सिख रेजीमेंट में तैनात किया गया। इसी रेजीमेंट में इनके पिता एवं दादा ने सेवाएं दी थी। अमरिंदर ने फील्ड एरिया-भारत तिब्बत सीमा पर दो साल तक सेवाएं दी और इन्हें पश्चिमी कमान के जीओसी इन सी लेफ्टिनेंट जनरल हरबक्श सिंह का ऐड डि कैम्प नियुक्त किया गया था। सेना में इनका करियर छोटा रहा। इनके पिता को [[इटली]] का राजदूत नियुक्त किए जाने के बाद इन्होंने [[1965]] की शुरुआत में इस्तीफा दे दिया था क्योंकि घर पर उनकी आवश्यकता थी लेकिन यह [[पाकिस्तान]] के साथ युद्ध छिड़ने के तत्काल बाद सेना में शामिल हो गए और इन्होंने युद्ध अभियानों में हिस्सा लिया। इन्होंने युद्ध समाप्त होने के बाद [[1966]] की शुरुआत में फिर से इस्तीफा दे दिया।
 
==राजनीतिक सफर==
 
कैप्टन अमरिंदर सिंह का राजनीतिक करियर [[जनवरी]] [[1980]] में शुरु हुआ जब इन्हें सांसद नियुक्त किया गया लेकिन इन्होंने वर्ष 1984 में ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार' के दौरान [[स्वर्ण मंदिर]] में सेना के घुसने के विरोध में [[कांग्रेस]] और [[लोकसभा]] से इस्तीफा दे दिया। अमरिंदर [[अगस्त]] [[1985]] में अकाली दल में शामिल हुए। इसके बाद इन्हें [[1995]] के चुनावों में अकाली दल लोंगोवाल की टिकट से पंजाब विधानसभा में चुना गया। यह सुरजीत सिंह बरनाला की सरकार में कृषि मंत्री रहे। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने [[5 मई]], [[1986]] में स्वर्ण मंदिर में अर्द्धसैन्य बलों के प्रवेश के खिलाफ कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद इन्होंने पंथिक अकाली दल का गठन किया जिसका बाद में [[1997]] में [[कांग्रेस]] में विलय हो गया। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने [[1998]] में [[पटियाला]] से कांग्रेस के टिकट पर संसदीय चुनाव लड़ा लेकिन इन्हें सफलता नहीं मिली।
 
==मुख्यमंत्री पद==
 
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस की पंजाब इकाई में प्रमुख रुप से [[1999]] से [[2002]] के बीच सेवाएं दीं। इसके बाद यह 2002 में पंजाब के [[मुख्यमंत्री]] बने और इन्होंने [[2007]] तक इस पद पर सेवाएं दी। भूमि हस्तांतरण मामले में अनियमितताओं के आरोपों को लेकर एक राज्य विधानसभा समिति ने [[सितंबर]] [[2008]] में इन्हें बर्खास्त कर दिया था। उच्चतम न्यायालय ने [[2010]] में इन्हें राहत देते हुए इनके निष्कासन को असंवैधानिक करार दिया। यह [[2013]] तक फिर से कांग्रेस के राज्य प्रमुख रहे। वर्ष 2013 तक कांग्रेस कार्यकारी समिति में स्थायी रुप से आमंत्रित किए जाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने [[अमृतसर]] से [[2014]] में लोकसभा चुनाव जीता और [[भाजपा]] नेता [[अरुण जेटली]] को एक लाख से अधिक मतों के अंतर से शिकस्त दी। इन्होंने उच्चतम न्यायालय द्वारा सतलुज यमुना लिंक नहर समझौता रद्द करने के [[पंजाब]] के [[2004]] के क़ानून को असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद [[नवंबर]] में सांसद के तौर पर इस्तीफा दे दिया। इन्हें कुछ दिनों बाद पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। अमरिंदर ने कई किताबें लिखी हैं जिनमें 1965 [[भारत]]-[[पाकिस्तान]] युद्ध से जुडे उनके संस्मरण भी शामिल हैं।
 

11:57, 19 जनवरी 2018 के समय का अवतरण