"प्रयोग:कविता सा.-2" के अवतरणों में अंतर
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||[[प्रागैतिहासिक काल]] के चित्र चट्टानों की दीवारों, गुफ़ाओं के फर्शों, गिट्टियों या छतों में बनाए गए हैं। अनेक चित्र प्रस्तर शिलाओं पर भी अंकित किए गए हैं। | ||[[प्रागैतिहासिक काल]] के चित्र चट्टानों की दीवारों, गुफ़ाओं के फर्शों, गिट्टियों या छतों में बनाए गए हैं। अनेक चित्र प्रस्तर शिलाओं पर भी अंकित किए गए हैं। | ||
− | { | + | {अल्तामिरा का गुफ़ा चित्र कहां स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-17,प्रश्न-6 |
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-[[इटली]] | -[[इटली]] | ||
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− | ||प्रागैतिहासिक मानव द्वारा अंकित सर्वप्रथम चित्र उत्तरी [[स्पेन]] में | + | ||प्रागैतिहासिक मानव द्वारा अंकित सर्वप्रथम चित्र उत्तरी [[स्पेन]] में अल्तामिरा गुफ़ा की गीली दीवारों पर हाथ की अंगुलियों द्वारा बनाई गई फीते के समान टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं हैं। यह गुफ़ा सेंतेंदर से 31 किमी. दूर उत्तरी स्पेन में स्थित है। यहाँ की गुफ़ाएँ सर्वोत्कृष्ट शिल्प का उदाहरण हैं। गुफ़ा की छत कहीं-कहीं 6-7 फीट ऊँची है, अत: छत पर अंकित चित्रों को देखने हेतु भूमि पर लेटना ठीक रहता है। यही कारण है कि इन्हें सर्वप्रथम 'मारिया सातुओला' नामक एक पांच वर्षीय बालिका ने देखी थी। |
− | { | + | {[[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी शैली]] के भित्ति-चित्र किस पर बनाए जाते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-37,प्रश्न-1 |
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-संगमरमर | -संगमरमर | ||
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-सूखी सतह | -सूखी सतह | ||
-ईंट की सतह | -ईंट की सतह | ||
− | ||राजस्थानी | + | ||[[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी शैली]] को 'आराश' या 'राजस्थानी ([[जयपुर]]) फ्रेस्को बूनो' कहा जाता है। इस शैली में दीवार के गीले प्लास्टर पर ही पतले-पतले रंग लगाए जाते हैं जो प्लास्टर सूखने के साथ ही पक्के हो जाते हैं, इसे 'आर्द्रभित्ति-चित्रण' भी कहते हैं। |
{[[इटली]] के गोथिक काल के [[चित्रकार|चित्रकारों]] में प्रमुख कलाकार कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-39,प्रश्न-10 | {[[इटली]] के गोथिक काल के [[चित्रकार|चित्रकारों]] में प्रमुख कलाकार कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-39,प्रश्न-10 | ||
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||'आइने अकबरी' [[अकबर]] के दरबारी [[अबुल फ़ज़ल]] द्वारा रचित (चित्रित) '[[अकबरनामा]]' का ही एक भाग है। अकबरनामा तीन भागों में है जिसमें से तीसरे भाग को '[[आइना-ए-अकबरी]]' कहते हैं। आइने अकबरी के भी अपने आप में पांच भाग हैं। [[मुग़ल साम्राज्य]] का भौगोलिक सर्वेक्षण तथा सभी प्रांतों विशेष तौर पर [[बंगाल]] के बारे में आंकड़ों पर आधारित विवरण प्रदान करता है। इस पुस्तक में शासन प्रणाली के नियमों का वर्णन किया गया है तथा इसमें [[अकबर]] द्वारा सभी सरकारी विभागों पर नियंत्रण के बारे में जानकरी मिलती है। | ||'आइने अकबरी' [[अकबर]] के दरबारी [[अबुल फ़ज़ल]] द्वारा रचित (चित्रित) '[[अकबरनामा]]' का ही एक भाग है। अकबरनामा तीन भागों में है जिसमें से तीसरे भाग को '[[आइना-ए-अकबरी]]' कहते हैं। आइने अकबरी के भी अपने आप में पांच भाग हैं। [[मुग़ल साम्राज्य]] का भौगोलिक सर्वेक्षण तथा सभी प्रांतों विशेष तौर पर [[बंगाल]] के बारे में आंकड़ों पर आधारित विवरण प्रदान करता है। इस पुस्तक में शासन प्रणाली के नियमों का वर्णन किया गया है तथा इसमें [[अकबर]] द्वारा सभी सरकारी विभागों पर नियंत्रण के बारे में जानकरी मिलती है। | ||
− | {पहाड़ी | + | {[[पहाड़ी चित्रकला]] किस समय विकसित थीं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-71,प्रश्न-6 |
|type="()"} | |type="()"} | ||
− | -बिलम्बित 17 से प्रारम्भिक | + | -बिलम्बित 17 से प्रारम्भिक 18वीं शताब्दी |
− | -प्रारम्भिक 15 से विलम्बित | + | -प्रारम्भिक 15 से विलम्बित 17वीं शताब्दी |
− | -विलम्बित 18 और प्रारम्भिक | + | -विलम्बित 18 और प्रारम्भिक 19वीं शताब्दी |
− | +प्रारम्भिक 18 से विलम्बित | + | +प्रारम्भिक 18 से विलम्बित 19वीं शताब्दी |
− | ||पहाड़ी चित्रों का निर्माण | + | ||पहाड़ी चित्रों का निर्माण 18वीं शताब्दी से (1700 ई. से 1900 ई. तक) प्रारंभ हुआ। आर्चर महोदय के अनुसार, 17वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक पश्चिमी-हिमालय के क्षेत्र प्रकार की कला विकसित नहीं हुई थी। |
{[[राजा रवि वर्मा]] की मृत्यु किस वर्ष हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-90,प्रश्न-6 | {[[राजा रवि वर्मा]] की मृत्यु किस वर्ष हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-90,प्रश्न-6 | ||
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-[[1941]] | -[[1941]] | ||
-[[1921]] | -[[1921]] | ||
− | ||[[राजा रवि वर्मा]] का जन्म [[29 अप्रैल]], | + | ||[[राजा रवि वर्मा]] का जन्म [[29 अप्रैल]], 1848 को [[केरल]] के एक छोटे कस्बे किलिमनूर ([[त्रावणकोर]]) में हुआ था। वे अपने विस्मय पेंटिंग के लिए जाने जाते हैं जो मुख्यत: [[रामायण]] एवं [[महाभारत]] महाकाव्यों के इर्द-गिर्द घूमता है। इनकी मृत्यु [[2 अक्टूबर]], [[1906]] को हुई थी। |
{प्रथम चरण की बाइजेन्टाइन-कला कहाँ पाई जाती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-102,प्रश्न-7 | {प्रथम चरण की बाइजेन्टाइन-कला कहाँ पाई जाती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-102,प्रश्न-7 | ||
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-मास्को | -मास्को | ||
-रैवेन्ना | -रैवेन्ना | ||
− | - | + | -इस्तांबुल |
||प्रथम चरण की बाइजेन्टाइन-कला कान्स्टेन्टीनेपल में पाई जाती है। बाइजेंटिम नामक नगर को ही सम्राट कांस्टेन्टाइन ने जीतकर इसका नाम कान्स्टेन्टीनोपल ([[कुस्तुंतुनिया]]) रख दिया। प्रथम चरण की बाइजेन्टाइन कला में [[रोम]], रैवेन्न तथा सैलोनिका प्रमुख थे। | ||प्रथम चरण की बाइजेन्टाइन-कला कान्स्टेन्टीनेपल में पाई जाती है। बाइजेंटिम नामक नगर को ही सम्राट कांस्टेन्टाइन ने जीतकर इसका नाम कान्स्टेन्टीनोपल ([[कुस्तुंतुनिया]]) रख दिया। प्रथम चरण की बाइजेन्टाइन कला में [[रोम]], रैवेन्न तथा सैलोनिका प्रमुख थे। | ||
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12:13, 20 जनवरी 2018 का अवतरण
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