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{'तैल चित्रण विधि' से चित्र बनाने वाले विख्यात भारतीय [[चित्रकार]] कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-90,प्रश्न-8
 
|type="()"}
 
-[[नंदलाल बोस]]
 
+[[राजा रवि वर्मा]]
 
-[[अमृता शेरगिल]]
 
-[[अवनीन्द्रनाथ टैगोर]]
 
||[[राजा रवि वर्मा]] तैल रंग की पेंटिंग के लिए जाने जाते थे। इन्होंने भारतीय जीवन और परंपरा को इस नई [[कला]] के द्वारा प्रतिष्ठा दिलाई। इस प्रकार तैल रंगों का आधुनिक [[चित्रकला]] में प्रयोग करने का श्रेय सर्वप्रथम राजा रवि वर्मा को जाता है।
 
 
{बाइजेंटाइन-कला की श्रेष्ठ दूसरी बड़ी इमारत कौन-सी है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-102,प्रश्न-9
 
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-डेन का गिरजाघर
 
-[[रोम]] का सेंट मारिया मेजिओरी गिरजाघर
 
-पूर्व [[यूरोप]] के केटाकौम्ब
 
+हेगिया सोफिया गिरजाघर
 
||बाइजेन्टाइन-कला की अन्य प्रसिद्ध इमारतें निम्न हैं- गेला प्लेसीडिया सान विताले, सान्तासोफिया, सेंटमार्क, टोरसेल्लो तथा चर्च ऑफ़ द होली एपोसिल्स आदि। जस्टीनियन ने बहुत सारी इमारतों का निर्माण किया, लेकिन हेगिया सोफिया गिरजाघर का कार्य उसके महानतम् कार्यों (कलाओं) में से एक है। इस चर्च में मणीकुट्टम शैली से निर्माण कार्य किया गया है। बाइजेन्टाइन कला की पहली श्रेष्ठ इमारत रैवेन्ना का सान विताले नामक चर्च है।
 
 
{उच्च पुनर्जागरण काल के [[चित्रकार]] का नाम क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-105,प्रश्न-8
 
|type="()"}
 
-जिओत्तो
 
-फ्रा एंजेलिको
 
-बोत्तिचेल्ली
 
+राफेल
 
 
{प्रागैतिहासिक काल के चित्रों में सबसे अधिक चित्र किस प्रकार के मिले हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-6,प्रश्न-9
 
|type="()"}
 
-पशु
 
+आखेट
 
-मनुष्य
 
-औजार
 
||प्रागैतिहासिक काल के चित्रों में सबसे अधिक आखेट के चित्र मिले हैं। आदिम मनुष्य ने सांभर, महिष, गैंडा, [[हाथी]], [[बारहसिंगा]], [[घोड़ा]], खरगोश, [[सूअर]] जैसे पशुओं का स्वाभाविकता के साथ अंकन किया है। यह पशु उसने अपने आखेट में देखे थे तथा उसने उन पशुओं की गति और शक्ति पर विजय प्राप्त की थी, इस कारण उसके प्रमुख चित्रण विषय के रूप में पशु जीवन का आना स्वभाविक था।
 
 
{उत्तरी [[स्पेन]] में स्थित प्रागैतिहासिक क्षेत्र कौन-सा है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-17,प्रश्न-9
 
|type="()"}
 
-सारागोसा
 
+अल्तामिरा
 
-ओविएडो
 
-सेबास्टियन
 
||उत्तरी स्पेन में कैंटेब्रिया से पिरेन तक तथा पेरिगार्ड एवं वेजन नदी की घाटियों में लगभग 100 चित्र गुफ़ाओं की शृंखला मिली है। उनमें अल्तामिरा, बसांडो, कुवा कास्टिलो, ला पेसीगा, हॉरनॉस डेला पेना, पिंडाल एवं पेना द काउडेमॉ नामक गुफ़ाएं शैलचित्रों के लिए विशेष उल्लेखनीय हैं।
 
 
{यूरोपीय फ्रेस्को चित्रों की तकनीक का प्रभाव [[भारत]] की किस शैली पर पड़ा है?  (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-37,प्रश्न-4
 
|type="()"}
 
-बंगाल शैली
 
+जयपुर फ्रेस्को शैली
 
-[[मुग़ल चित्रकला|मुग़ल शैली]]
 
-[[पाल चित्रकला|पाल शैली]]
 
||यूरोपीय फ्रेस्को चित्रों में दो तकनीक प्रयोग की जाती थी-1. फ्रेस्को बूनो, 2.फ्रेस्को सेक्को। फ्रेस्को बूनो [[इटली]] में प्रयोग की जाती थी। इटैलियन फ्रेस्को पेटिंग की तकनीक जयपुरी फ्रेस्को के समान है क्योंकि दोनों ही तकनीक में चित्र गीली सतह पर प्लास्टर करके बनाए जाते थे। जिसे 'फ्रेस्को बूनो' कहते हैं।
 
 
{नुकीले मेहराव वाले भवनों का निर्माण किस युग में हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-39,प्रश्न-14
 
|type="()"}
 
+गोथिक
 
-रोमनस्क
 
-[[रोमन साम्राज्य|रोमन]]
 
-यूनान
 
||गोथिक काल में आंतरिक एवं बाह्य सज्जा एक साथ करने का विचार किया गया। इस काल के भवन प्राय: लंबे-पतले खंभों और नुकीले मेहराबों से बने होते थे। खंभों पर मूर्तियाँ उत्कीर्ण हैं।
 
 
{[[राजस्थान]] की कोटा शैली के विषयों में निम्न में से सर्वोत्कृष्ट क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-48,प्रश्न-9
 
|type="()"}
 
+पशु
 
-प्रतिकृति
 
-रागमाला
 
-नायिका
 
||[[राजस्थान]] की कोटा शैली के विषयों में सर्वोत्कृष्ट 'शिकार के दृश्य' हैं जिसमें कलाकारों ने दुर्गम वनों के अद्भुत दृश्यों को चित्रित किया है, साथ ही पशुओं के चित्रण को प्रमुखता दी गई है। इन पशुओं में [[शेर]], चीता, [[सूअर]] तथा अन्य जानवर प्रमुख हैं। '[[हाथी|हाथियों]] की लड़ाई' का चित्र कोटा शैली का एक महत्त्वपूर्ण चित्र है। कोटा शैली में हल्के [[हरा रंग|हरे]], [[पीला रंग|पीले]] और [[नीला रंग|नीले रंग]] का बहुतायत प्रयोग हुआ है।
 
 
{[[बुलंद दरवाज़ा|बुलंद दरवाज़े]] की ऊँचाई कितनी है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-57,प्रश्न-9
 
|type="()"}
 
-150 फ़ीट
 
-234 फ़ीट
 
+134 फ़ीट
 
-124 फ़ीट
 
||[[अकबर]] ने गुजरात विजय (1572-1573 ई.) के उपरांत 1601 ई. में [[फ़तेहपुर सीकरी]] में '[[बुलंद दरवाज़ा]]' बनवाया था। इसकी ऊँचाई 134 फ़ीट है। यह 42 फ़ीट ऊँचे चबूतरे पर स्थित है। यह [[फ़तेहपुर सीकरी]] की [[जामा मस्जिद आगरा|जामा मस्जिद]] की दक्षिण दीवार में निर्मित है तथा [[भारत]] का सबसे ऊँचा और वैभवशाली प्रवेश द्वार भी है।
 
  
  

12:33, 7 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण