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'''उरगपुर''' [[चोल साम्राज्य]] की तीन राजधानियों में से पहली थी। [[महाकवि कालिदास]] ने 'उरग' का अपने [[महाकाव्य]] '[[रघुवंश महाकाव्य|रघुवंश]]'<ref>रघुवंश 6,59</ref> में उल्लेख किया है। उरगपुर का वर्तमान प्रतिनिध [[त्रिचनापल्ली]] के पास 'उरय्युर' है।
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'''उरगपुर''' [[चोल साम्राज्य]] की तीन राजधानियों में से पहली थी। [[महाकवि कालिदास]] ने 'उरग' का अपने [[महाकाव्य]] '[[रघुवंश महाकाव्य|रघुवंश]]'<ref>रघुवंश 6,59</ref> में उल्लेख किया है। उरगपुर का वर्तमान प्रतिनिधि [[त्रिचनापल्ली]] के पास 'उरय्युर' है।
  
*एक समय 'उरगपुर' [[पल्लव|पल्लवों]] के अधिकार में था। जब उनकी [[चालुक्य|चालुक्यों]] से शत्रुता चल रही थी, तब जैसा कि [[चालुक्य साम्राज्य|चालुक्य]] [[अभिलेख]]<ref>एपिग्रैफ़िया इंडिका, खंड 10, पृ. 100-106)</ref> से प्रकट है कि चालुक्य राज [[विक्रमादित्य प्रथम]] ने [[कांची]] पर तो अधिकार कर ही लिया, 'महामल्ल' के कुल का नाश करता हुआ वह उरगपुर तक जा पहुँचा था।
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*एक समय 'उरगपुर' [[पल्लव|पल्लवों]] के अधिकार में था। जब उनकी [[चालुक्य|चालुक्यों]] से शत्रुता चल रही थी, तब जैसा कि [[चालुक्य साम्राज्य|चालुक्य]] [[अभिलेख]]<ref>एपिग्राफ़िका इंडिका, खंड 10, पृ. 100-106)</ref> से प्रकट है कि चालुक्य राज [[विक्रमादित्य प्रथम]] ने [[कांची]] पर तो अधिकार कर ही लिया, 'महामल्ल' के कुल का नाश करता हुआ वह उरगपुर तक जा पहुँचा था।
*कालिदास ने [[रघुवंश]] में इस प्रकार उरग का उल्लेख किया है-
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*कालिदास ने [[रघुवंश]] में इस प्रकार '''उरग''' का उल्लेख किया है-
  
 
:'अथोरगाख्यपुरस्य नाथं दौवारिकी देवसरूपमेत्य, इतश्चकोराक्षि विलोकयेति पूर्वानुशिष्टां निजगाद भोज्याम्'।  
 
:'अथोरगाख्यपुरस्य नाथं दौवारिकी देवसरूपमेत्य, इतश्चकोराक्षि विलोकयेति पूर्वानुशिष्टां निजगाद भोज्याम्'।  
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:'उरगाख्यस्त पुरस्यपंड्यदेशे कान्यकुब्जतीरवर्ति नागपुरस्य'।
 
:'उरगाख्यस्त पुरस्यपंड्यदेशे कान्यकुब्जतीरवर्ति नागपुरस्य'।
  
*इससे ज्ञात होता है कि 'उरगपुर' कान्यकुब्ज नदी के तट पर बसा हुआ था।
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*इससे ज्ञात होता है कि 'उरगपुर' '''कान्यकुब्ज नदी''' के तट पर बसा हुआ था।
 
*एपिग्राफ़िका इंडिका 10,103 में उरगपुर को [[अशोक]] कालीन चोल देश की राजधानी बताया है, जिसे 'उरयियूर' भी कहते थे। यह 'त्रिशिरापल्ली' और '[[त्रिचनापल्ली]]' का ही प्राचीन नाम था।
 
*एपिग्राफ़िका इंडिका 10,103 में उरगपुर को [[अशोक]] कालीन चोल देश की राजधानी बताया है, जिसे 'उरयियूर' भी कहते थे। यह 'त्रिशिरापल्ली' और '[[त्रिचनापल्ली]]' का ही प्राचीन नाम था।
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*इसी नगर के निकट से चोलों की शक्ति का उत्कर्ष 850 ई. से पहले [[विजयालय]] ने किया।
 
*इसी नगर के निकट से चोलों की शक्ति का उत्कर्ष 850 ई. से पहले [[विजयालय]] ने किया।
 
*मल्लिनाथ का [[नागपुर]] वर्तमान 'नेगापटम'<ref>ज़िला राजमहेन्द्री- मद्रास</ref>है।  
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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*ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 100| विजयेन्द्र कुमार माथुर |  वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
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==संबंधित लेख==
 
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13:27, 16 मई 2018 के समय का अवतरण

उरगपुर चोल साम्राज्य की तीन राजधानियों में से पहली थी। महाकवि कालिदास ने 'उरग' का अपने महाकाव्य 'रघुवंश'[1] में उल्लेख किया है। उरगपुर का वर्तमान प्रतिनिधि त्रिचनापल्ली के पास 'उरय्युर' है।

'अथोरगाख्यपुरस्य नाथं दौवारिकी देवसरूपमेत्य, इतश्चकोराक्षि विलोकयेति पूर्वानुशिष्टां निजगाद भोज्याम्'।
'उरगाख्यस्त पुरस्यपंड्यदेशे कान्यकुब्जतीरवर्ति नागपुरस्य'।
  • इससे ज्ञात होता है कि 'उरगपुर' कान्यकुब्ज नदी के तट पर बसा हुआ था।
  • एपिग्राफ़िका इंडिका 10,103 में उरगपुर को अशोक कालीन चोल देश की राजधानी बताया है, जिसे 'उरयियूर' भी कहते थे। यह 'त्रिशिरापल्ली' और 'त्रिचनापल्ली' का ही प्राचीन नाम था।
  • करिकाल चोल ने पांड्यों का आधिपत्य हटाकर उरगपुर को वीरान कर दिया था।[3]
  • इसी नगर के निकट से चोलों की शक्ति का उत्कर्ष 850 ई. से पहले विजयालय ने किया।
  • मल्लिनाथ का नागपुर वर्तमान 'नेगापटम'[4]है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 100| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार


  1. रघुवंश 6,59
  2. एपिग्राफ़िका इंडिका, खंड 10, पृ. 100-106)
  3. उरगपुर (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 04 फ़रवरी, 2014।
  4. ज़िला राजमहेन्द्री- मद्रास

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