"कणसव" के अवतरणों में अंतर

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कणसव [[राजस्थान]] राज्य के कोटा ज़िले में स्थित था। कणसव से 738 ई. का एक महत्वपूर्ण अभिलेख प्राप्त हुआ था जिसका संबंध [[मौर्यवंश|मौर्यवंशीय]] राजा धवल से है।<ref>(इंडियन एंटिक्वेरी, 13,163; बंबई गजेटियर, भाग 2, पृ. 284)</ref> अन्य मत में यह राजा धवलप्यदेव ही है जिसका उल्लेख दबोक ([[मेवाड़]]) के अभिलेख<ref>(लगभग 725 ई.)</ref> में हुआ है। कणसव अभिलेख से सिद्ध होता है कि [[मगध]] के प्रसिद्ध मौर्यवंश के कुछ छोटे-मोटे राजा, मौर्यवंश के पतन के पश्चात भी पश्चिमी [[भारत]] में कई स्थानों पर राज्य करते रहे थे।
 
  
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*कणसव [[राजस्थान]] राज्य के [[कोटा ज़िला|कोटा ज़िले]] में स्थित था।
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*कणसव से 738 ई. का एक महत्त्वपूर्ण [[अभिलेख]] प्राप्त हुआ था जिसका संबंध [[मौर्यवंश|मौर्यवंशीय]] '''राजा धवल''' से है।<ref>इंडियन एंटिक्वेरी, 13,163; बंबई गजेटियर, भाग 2, पृ. 284</ref>
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*ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 128-129| विजयेन्द्र कुमार माथुर |  वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
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07:15, 24 मई 2018 के समय का अवतरण

  • कणसव राजस्थान राज्य के कोटा ज़िले में स्थित था।
  • कणसव से 738 ई. का एक महत्त्वपूर्ण अभिलेख प्राप्त हुआ था जिसका संबंध मौर्यवंशीय राजा धवल से है।[1]
  • डॉ. दे.रा. भण्डारकर के मत में यह राजा धवलप्यदेव ही है जिसका उल्लेख दबोक (मेवाड़) के अभिलेख[2] में हुआ है।
  • कणसव अभिलेख से सिद्ध होता है कि मगध के प्रसिद्ध मौर्यवंश के कुछ छोटे-मोटे राजा, मौर्यवंश के पतन के पश्चात् भी पश्चिमी भारत में कई स्थानों पर राज्य करते रहे थे।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 128-129| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार


  1. इंडियन एंटिक्वेरी, 13,163; बंबई गजेटियर, भाग 2, पृ. 284
  2. लगभग 725 ई.

बाहरी कड़ियाँ

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