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'''बाणावर''' [[मैसूर]] के [[ऐतिहासिक स्थान|ऐतिहासिक स्थानों]] में से एक है। यह [[बंगलौर]]-[[पूना]] रेलमार्ग पर स्थित है। यहाँ का [[होयसल वंश|होयसल]] कालीन 'होयसलेश्वर मंदिर' स्थापत्य की दृष्टि से [[हैलविड]] की शैली मे बना हुआ है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=620|url=}}</ref>
 
'''बाणावर''' [[मैसूर]] के [[ऐतिहासिक स्थान|ऐतिहासिक स्थानों]] में से एक है। यह [[बंगलौर]]-[[पूना]] रेलमार्ग पर स्थित है। यहाँ का [[होयसल वंश|होयसल]] कालीन 'होयसलेश्वर मंदिर' स्थापत्य की दृष्टि से [[हैलविड]] की शैली मे बना हुआ है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=620|url=}}</ref>
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*बंगलौर-पुणे रेलमार्ग पर अरसीकेरे से 10 मील दूर बाणावर स्टेशन है। यहां भी प्राचीन होयसलेश्वर मंदिर एक घेरे में है। मंदिर में विशाल [[शिवलिंग]] तथा [[पार्वती]] की मूर्ति है।
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*पास में ही केदारेश्वर मंदिर है। यह दोनों मंदिर हैलविड के हौसलेश्वर मंदिर की [[शैली]] पर ही बने हैं। इनकी कला भी उत्कृष्ट है।<ref>कल्याण विशेषांक तीर्थ अंक, पृष्ठ संख्या 314</ref>
  
 
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11:34, 7 जुलाई 2018 के समय का अवतरण

बाणावर मैसूर के ऐतिहासिक स्थानों में से एक है। यह बंगलौर-पूना रेलमार्ग पर स्थित है। यहाँ का होयसल कालीन 'होयसलेश्वर मंदिर' स्थापत्य की दृष्टि से हैलविड की शैली मे बना हुआ है।[1]

  • बंगलौर-पुणे रेलमार्ग पर अरसीकेरे से 10 मील दूर बाणावर स्टेशन है। यहां भी प्राचीन होयसलेश्वर मंदिर एक घेरे में है। मंदिर में विशाल शिवलिंग तथा पार्वती की मूर्ति है।
  • पास में ही केदारेश्वर मंदिर है। यह दोनों मंदिर हैलविड के हौसलेश्वर मंदिर की शैली पर ही बने हैं। इनकी कला भी उत्कृष्ट है।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 620 |
  2. कल्याण विशेषांक तीर्थ अंक, पृष्ठ संख्या 314

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