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1. अंखुआ। गाभ। अँगुसा।
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1. अंखुआ, गाभ, अँगुसा।
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;उदाहरण - "पाइ कपट जल अंकुर जामा।"<ref>[[रामचरितमानस]] 2।23</ref>
"पाइ कपट जल अंकुर जामा।"<ref>[[रामचरितमानस]] 2।23</ref>
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2. डाभ, कल्ला, कनखा, कोंपल, [[आँख]]।<br />
2. डाभ। कल्ला। कनखा। कोपल। आँख।
 
 
 
 
3. यव का नया नया अँखुआ, जो मांगलिक होता है।
 
3. यव का नया नया अँखुआ, जो मांगलिक होता है।
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;उदाहरण - "अच्छत अंकुर रोचन लाजा। मंजुल मंजरि तुलसि बिराजा।"<ref>[[रामचरितमानस]] 1।346</ref><br />
"अच्छत अंकुर रोचन लाजा। मंजुल मंजरि तुलसि बिराजा।"<ref>[[रामचरितमानस]] 1।346</ref>
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'''क्रिया प्रयोग''' - आना, उगना, जमना, निकलना, फूटना, फोड़ना, फेंकना, लेना।
 
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'''क्रिया प्रयोग''' - आना। उगना। जमना। निकलना। फूटना। फोड़ना। फेंकना। लेना।
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4. कली।<br />
4. कली।
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5. संतति, संतान।  
 
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(क) 'हमारे नष्ट कुल में ये एक अंकुर बचा है, इससे हमारा वंश चलेगा।'<ref>श्रीनिवास ग्रंथावली, पृ146</ref><br /><br />
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(क) 'हमारे नष्ट कुल में ये एक अंकुर बचा है, इससे हमारा वंश चलेगा।'<ref>श्रीनिवास ग्रंथावली, पृ146</ref><br />
 
 
(ख) 'थे अंकुर हितकर कलश पयोधर पावन।'<ref>साकेत, पृ. 203</ref>
 
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9. रोम। रोआँ।
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अंकुर - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत अङ्कुर) (विशेषण अङ्कुरित, क्रिया अङ्कुरना)[1]

1. अंखुआ, गाभ, अँगुसा।

उदाहरण - "पाइ कपट जल अंकुर जामा।"[2]


2. डाभ, कल्ला, कनखा, कोंपल, आँख
3. यव का नया नया अँखुआ, जो मांगलिक होता है।

उदाहरण - "अच्छत अंकुर रोचन लाजा। मंजुल मंजरि तुलसि बिराजा।"[3]

क्रिया प्रयोग - आना, उगना, जमना, निकलना, फूटना, फोड़ना, फेंकना, लेना।

4. कली।
5. संतति, संतान।

उदाहरण -

(क) 'हमारे नष्ट कुल में ये एक अंकुर बचा है, इससे हमारा वंश चलेगा।'[4]

(ख) 'थे अंकुर हितकर कलश पयोधर पावन।'[5]

6. नोंक
7. जल, पानी।
8. रुधिर, रक्त, खून।
9. रोम, रोआँ।

अंकुर - संज्ञा पुल्लिंग (फ़ारसी अंगूर)
मांस के बहुत छोटे लाल-लाल दाने, जो घाव भरते समय उत्पन्न होते हैं। भराव। अंगूर।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, प्रथम भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 03 |
  2. रामचरितमानस 2।23
  3. रामचरितमानस 1।346
  4. श्रीनिवास ग्रंथावली, पृ146
  5. साकेत, पृ. 203

बाहरी कड़ियाँ

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