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<h4>[[कौऔं का वायरस -आदित्य चौधरी|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</h4>
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<center>[[कौऔं का वायरस -आदित्य चौधरी|कौऔं का वायरस]]</center>
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[[भारतकोश सम्पादकीय 1 जुलाई 2012|कहता है जुगाड़ सारा ज़माना]]
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        यह एक तरह की ध्यानावस्था ही है। यह एक ऐसा ध्यान है जो किया नहीं जाता या धारण नहीं करना होता बल्कि स्वत: ही धारित हो जाता है... बस लग जाता है। मनोविश्लेषण की पुरानी अवधारणा के अनुसार कहें तो अवचेतन मस्तिष्क (सब कॉन्शस) में कहीं स्थापित हो जाता है। दिमाग़ में बादाम जितने आकार के दो हिस्से, जिन्हें ऍमिग्डाला (Amygdala) कहते हैं, कुछ ऐसा ही व्यवहार करते हैं। ये दोनों कभी-कभी दिमाग़ को अनदेखा कर शरीर के किसी भी हिस्से को सक्रिय कर देते हैं। असल में इनकी मुख्य भूमिका संवेदनात्मक आपातकालिक संदेश देने की होती है। इस तरह की ही कोई प्रणाली संभवत: अवचेतन के संदेशों के निगमन को संचालित करती है। ऍमिग्डाला की प्रक्रिया को 'डेनियल गोलमॅन' ने अपनी किताब इमोशनल इंटेलीजेन्स में बहुत अच्छी तरह समझाया है। [[कौऔं का वायरस -आदित्य चौधरी|...पूरा पढ़ें]]
          "अरे यार ! सब जानते हैं कि इंडिया में जुगाड़ टेक्नीक यूज़ होती है, लेकिन ये टेक्नीक है क्या ? और हम कैसे इसे सीख सकते हैं ? ये पता नहीं चल पा रहा है... इस 'जुगाड़' की वजह से ही हम परेशान हैं। भारत ये जुगाड़ टेक्नोलॉजी, वर्ल्ड में किसी को नहीं देता। जबकि उन्होंने कोई पेटेन्ट भी नहीं करा रखा है और उनका सारा विकास इसी टेक्नोलॉजी पर आधारित होता है। जब भी हम कोई नई टेक्नोलॉजी लाते हैं, वो हमारी टेक्नोलॉजी को इस जुगाड़ से फ़ेल कर देते हैं।" [[भारतकोश सम्पादकीय 1 जुलाई 2012|पूरा पढ़ें]]
 
 
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| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले लेख]] →
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| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले सभी लेख]] →
| [[भारतकोश सम्पादकीय 25 जून 2012|विज्ञापन लोक]] ·
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| [[सफलता का शॉर्ट-कट -आदित्य चौधरी]]
| [[भारतकोश सम्पादकीय 17 जून 2012|चमचारथी]]  
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| [[शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र -आदित्य चौधरी|शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र]]
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| [[शर्मदार की मौत -आदित्य चौधरी|शर्मदार की मौत]]
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|}<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]]</noinclude>
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* [http://adityachaudhary.org अधिक जानकारी के लिए देखें- adityachaudhary.org]
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<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]][[Category:सम्पादकीय (अद्यतन)]]</noinclude>
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13:56, 6 अप्रैल 2020 के समय का अवतरण

भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी

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कौऔं का वायरस

         यह एक तरह की ध्यानावस्था ही है। यह एक ऐसा ध्यान है जो किया नहीं जाता या धारण नहीं करना होता बल्कि स्वत: ही धारित हो जाता है... बस लग जाता है। मनोविश्लेषण की पुरानी अवधारणा के अनुसार कहें तो अवचेतन मस्तिष्क (सब कॉन्शस) में कहीं स्थापित हो जाता है। दिमाग़ में बादाम जितने आकार के दो हिस्से, जिन्हें ऍमिग्डाला (Amygdala) कहते हैं, कुछ ऐसा ही व्यवहार करते हैं। ये दोनों कभी-कभी दिमाग़ को अनदेखा कर शरीर के किसी भी हिस्से को सक्रिय कर देते हैं। असल में इनकी मुख्य भूमिका संवेदनात्मक आपातकालिक संदेश देने की होती है। इस तरह की ही कोई प्रणाली संभवत: अवचेतन के संदेशों के निगमन को संचालित करती है। ऍमिग्डाला की प्रक्रिया को 'डेनियल गोलमॅन' ने अपनी किताब इमोशनल इंटेलीजेन्स में बहुत अच्छी तरह समझाया है। ...पूरा पढ़ें

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