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<h4>[[कौऔं का वायरस -आदित्य चौधरी|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</h4>
|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 17 मार्च 2016|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
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[[चित्र:4-crow-meeting.jpg|100px|border|right|link=भारतकोश सम्पादकीय 3 मार्च 2012]]
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<center>[[कौऔं का वायरस -आदित्य चौधरी|कौऔं का वायरस]]</center>
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<center>[[भारतकोश सम्पादकीय 17 मार्च 2016|हिन्दी के ई-संसार का संचार]]</center>
 
[[चित्र:Vishwa-Hindi-Patrika-2015.jpg|right|100px|border|link=भारतकोश सम्पादकीय 17 मार्च 2016]]
 
 
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        इंटरनेट आज के समाज का पाँचवा स्तम्भ है। गुज़रे ज़माने में समाज पर असर डालने वाले माध्यमों में समाचार पत्रों, पुस्तकों और फ़िल्मों को ज़िम्मेदार समझा जाता रहा है लेकिन आज के समाज को प्रभावित करने में इंटरनेट की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण हो गई है। मोबाइल ‘नेटवर्क’ के लिए गली-मुहल्ले-देहात की भाषा में ‘नटवर’ शब्द लोकप्रिय है। हमारे घर में खाना बनाने वाली के पास दो स्मार्टफ़ोन हैं लेकिन उसका स्मार्टफ़ोन उसके नौकरी में उसका सहायक नहीं है। जिसका कारण है कि स्मार्टफ़ोन को मनोरंजन को वरीयता देकर बनाया गया है। होना यह चाहिए कि कंप्यूटर और स्मार्टफ़ोन प्रयोक्ता की ज़रूरत के हिसाब से बनाया जाए जिसमें कि वरीयता उसकी नौकरी या कामकाज हो… [[भारतकोश सम्पादकीय 17 मार्च 2016|पूरा पढ़ें]]
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        यह एक तरह की ध्यानावस्था ही है। यह एक ऐसा ध्यान है जो किया नहीं जाता या धारण नहीं करना होता बल्कि स्वत: ही धारित हो जाता है... बस लग जाता है। मनोविश्लेषण की पुरानी अवधारणा के अनुसार कहें तो अवचेतन मस्तिष्क (सब कॉन्शस) में कहीं स्थापित हो जाता है। दिमाग़ में बादाम जितने आकार के दो हिस्से, जिन्हें ऍमिग्डाला (Amygdala) कहते हैं, कुछ ऐसा ही व्यवहार करते हैं। ये दोनों कभी-कभी दिमाग़ को अनदेखा कर शरीर के किसी भी हिस्से को सक्रिय कर देते हैं। असल में इनकी मुख्य भूमिका संवेदनात्मक आपातकालिक संदेश देने की होती है। इस तरह की ही कोई प्रणाली संभवत: अवचेतन के संदेशों के निगमन को संचालित करती है। ऍमिग्डाला की प्रक्रिया को 'डेनियल गोलमॅन' ने अपनी किताब इमोशनल इंटेलीजेन्स में बहुत अच्छी तरह समझाया है। [[कौऔं का वायरस -आदित्य चौधरी|...पूरा पढ़ें]]
 
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| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले सभी लेख]] →
 
| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले सभी लेख]] →
| [[भारतकोश सम्पादकीय 5 अक्टूबर 2015|ये तेरा घर ये मेरा घर]]   ·
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| [[सफलता का शॉर्ट-कट -आदित्य चौधरी]]
| [[भारतकोश सम्पादकीय 8 जुलाई 2015|अभिभावक]]  
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| [[शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र -आदित्य चौधरी|शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र]]
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| [[शर्मदार की मौत -आदित्य चौधरी|शर्मदार की मौत]]
 
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* [http://adityachaudhary.org अधिक जानकारी के लिए देखें- adityachaudhary.org]
[[चित्र:Aditya-Chaudhary-Wishva-Hindi-Sammelan-2.jpg |border|right|120px|भारतकोश संस्थापक श्री [[आदित्य चौधरी]] जी को माननीय गृहमंत्री श्री [[राजनाथ सिंह]] 'विश्व हिन्दी सम्मान' से सम्मानित करते हुए|link=विश्व हिन्दी सम्मेलन 2015]]
 
====[[विश्व हिन्दी सम्मेलन 2015#समाचार|भारतकोश संस्थापक श्री आदित्य चौधरी जी को 'विश्व हिन्दी सम्मान']]====
 
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        [[आदित्य चौधरी|भारतकोश संस्थापक श्री आदित्य चौधरी जी]] को [[विश्व हिन्दी सम्मेलन 2015|दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन]] में भारतकोश का ऑनलाइन प्रकाशन एवं छात्रों को नि:शुल्क कम्प्यूटर शिक्षा देने के लिए [[भारत सरकार]] के विदेश मंत्रालय द्वारा निमंत्रण मिला। भारत के माननीय गृहमंत्री श्री [[राजनाथ सिंह]] ने 12 सितम्बर, 2015 को श्री आदित्य चौधरी जी को 'विश्व हिन्दी सम्मान' से सम्मानित किया। [[विश्व हिन्दी सम्मेलन 2015|...और पढ़ें]]
 
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<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]][[Category:सम्पादकीय (अद्यतन)]]</noinclude>
[[आदित्य चौधरी|आदित्य चौधरी के सभी सम्पादकीय एवं कविताएँ पढ़ने के लिए क्लिक कीजिए]]
 
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13:56, 6 अप्रैल 2020 के समय का अवतरण

भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी

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कौऔं का वायरस

         यह एक तरह की ध्यानावस्था ही है। यह एक ऐसा ध्यान है जो किया नहीं जाता या धारण नहीं करना होता बल्कि स्वत: ही धारित हो जाता है... बस लग जाता है। मनोविश्लेषण की पुरानी अवधारणा के अनुसार कहें तो अवचेतन मस्तिष्क (सब कॉन्शस) में कहीं स्थापित हो जाता है। दिमाग़ में बादाम जितने आकार के दो हिस्से, जिन्हें ऍमिग्डाला (Amygdala) कहते हैं, कुछ ऐसा ही व्यवहार करते हैं। ये दोनों कभी-कभी दिमाग़ को अनदेखा कर शरीर के किसी भी हिस्से को सक्रिय कर देते हैं। असल में इनकी मुख्य भूमिका संवेदनात्मक आपातकालिक संदेश देने की होती है। इस तरह की ही कोई प्रणाली संभवत: अवचेतन के संदेशों के निगमन को संचालित करती है। ऍमिग्डाला की प्रक्रिया को 'डेनियल गोलमॅन' ने अपनी किताब इमोशनल इंटेलीजेन्स में बहुत अच्छी तरह समझाया है। ...पूरा पढ़ें

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