"रवि शंकर" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - "॰" to ".")
छो (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==")
पंक्ति 79: पंक्ति 79:
 
*[http://allmusic.com/cg/amg.dll?p=amg&sql=11:hifexqw5ld0e Ravi Shankar Allmusic]
 
*[http://allmusic.com/cg/amg.dll?p=amg&sql=11:hifexqw5ld0e Ravi Shankar Allmusic]
 
*[http://www.imdb.com/name/nm0788170/ Ravi Shankar]
 
*[http://www.imdb.com/name/nm0788170/ Ravi Shankar]
==सम्बंधित लिंक==
+
==संबंधित लेख==
 
{{भारत रत्‍न}}
 
{{भारत रत्‍न}}
 
[[Category:भारत_रत्न_सम्मान]][[Category:शास्त्रीय_गायक_कलाकार]][[Category:संगीत_कोश]][[Category:वादन]]__INDEX__
 
[[Category:भारत_रत्न_सम्मान]][[Category:शास्त्रीय_गायक_कलाकार]][[Category:संगीत_कोश]][[Category:वादन]]__INDEX__
 
__NOTOC__
 
__NOTOC__

18:07, 14 सितम्बर 2010 का अवतरण

रवि शंकर
Pandit-Ravi-Shankar.jpg
पूरा नाम पंडित रवि शंकर
जन्म 7 अप्रॅल 1920
जन्म भूमि बनारस
पति/पत्नी अन्नपूर्णा देवी और सुकन्या रंजन
संतान शुभेन्द्र शंकर, नोराह जोन्स और अनुष्का शंकर
कर्म भूमि अंतर्राष्ट्रीय
कर्म-क्षेत्र संगीत कला
विषय सितार वादक और शास्त्रीय संगीत
फ़िल्में में संगीत अपू त्रिलोगी, अनुराधा, गांधी
अन्य जानकारी फ़िल्म गांधी के लिये आपको अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका है।


साँचा:Head जन्म-1920

रविशंकर विश्व में भारतीय शास्त्रीय संगीत की उत्कृष्टता के सबसे बड़े उदघोषक हैं। एक सितार वादक के रूप में उन्होंने ख्याति अर्जित की है। रवि शंकर और सितार मानों एक-दूसरे के लिए ही बने हैं। वह इस सदी के सबसे महान संगीतज्ञों में गिने जाते हैं। रविशंकर को विदेशों में बहुत अधिक प्रसिद्धि प्राप्त हुई है। विदेशों में वे अत्यन्त लोकप्रिय एवं सफल रहे हैं। रविशंकर के संगीत में उन्हें एक प्रकार की आध्यात्मिक शान्ति प्राप्त होती है।

परम्परागत भारतीय शैली

रविशंकर संगीत की परम्परागत भारतीय शैली के अनुयायी हैं। उनकी अंगुलियाँ जब भी सितार पर गतिशील होती हैं, सारा वातावरण झंकृत हो उठता है। अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर भारतीय संगीत को ससम्मान प्रतिष्ठित करने में उनका उल्लेखनीय योगदान है। उन्होंने कई नई-पुरानी संगीत रचनाओं को भी अपनी विशिष्ट शैली से सशक्त अभिव्यक्ति पदान की है।

जीवन परिचय

पं रवि शंकर का जन्म संस्कृति-संपन्न काशी में 7 अप्रॅल, सन 1920 को हुआ था। आपका जन्म आधुनिक बांग्लादेश के एक छोटे से ग्राम में हुआ था, जब आप छोटे ही थे तभी आपका पूरा परिवार काशी में आ कर बस गया था। आपका आरंभिक जीवन काशी के पुनीत घाटों के पर ही बीता। पंडित रविशंकर का बचपन बहुत ही सुखद रहा है। उनके पिता प्रतिष्ठित बैरिस्टर थे और राजघराने में उच्च पद पर कार्यरत थे। रविशंकर जब केवल दस वर्ष के थे तभी संगीत के प्रति उनका लगाव शुरू हुआ। पंडित रविशंकर ने बचपन में कला जगत में प्रवेश किया एक नर्तक के रुप में. उन्होंने अपने बड़े भाई उदय शंकर के साथ कई नृत्य कार्यक्रम किये। उन दिनों को याद करते हुए वह कहते हैं-

मैं बनारस में रहता था। संगीत से मेरा कोई सीधा संबंध नहीं था, लेकिन मेरे दूसरे भाइयों की इसमें पूरी रुचि थी। कोई बांसुरी बजाता था तो कोई सितार। मेरे बडे भाई पंडित उदय शंकर जी नृत्य करते थे। वह मुझे अपने साथ पेरिस ले गए। उनके दल में अच्छे-अच्छे संगीतज्ञ और कलाकार थे। वहीं से मुझमें संगीत का शौक पैदा हुआ। पहले तो मैंने नृत्य सीखना शुरू किया, पर अधिक दिनों तक इस क्षेत्र में नहीं रहा। वजह यह थी कि मेरी रुचि संगीत में बढने लगी थी।- रवि शंकर

शिक्षा

आपकी आरंभिक संगीत शिक्षा घर पर ही हुई। उस समय के प्रसिद्ध संगीतकार और गुरु उस्ताद अलाउद्दीनख़ां को आपने अपना गुरू बनाया। यहीं से आपकी संगीत यात्रा विधिवत आरंभ हुई। अलाउद्दीन ख़ां जैसे अनुभवी गुरु की आँखों ने आप के भीतर छिपे संगीत प्रेम को पहहान लिया था। उन्होंने आपको विधिवत अपना शिष्य बनाया। वह लंबे समय तक तबला उस्ताद अल्ला रक्खा खां किशन महाराज और सरोद वादक उस्ताद अली अकबर खान के साथ जु.डे रहे। अठारह वर्ष की उम्र में उन्होंने नृत्य छोड़कर सितार सीखना शुरू किया.

प्रथम प्रस्तुति

  • पंडित रविशंकर ने पहला कार्यक्रम 10 साल की उम्र में दिया था।
  • भारत में पंडित रविशंकर ने पहला कार्यक्रम 1939 में दिया था।
  • देश के बाहर पहला कार्यक्रम उन्होने 1954 में तत्कालीन सोवियत संघ में दिया था और यूरोप में पहला कार्यक्रम 1956 में दिया था।
  • 1944 में औपचारिक शिक्षा समाप्त करने के बाद वह मुंबई चले गए और उन्होने फिल्मों के लिए संगीत दिया।
  • 1960 के दशक के मध्य में उन्होंने तीन यादगार प्रस्तुतियां-
  1. मॉनटेरी पॉप फेस्टिवल,
  2. कंसर्ट फॉर बांग्लादेश और
  3. वुडस्टॉक फेस्टिवल दीं।

संगीत निर्देशन

रवि शंकर ने भारत, कनाडा, यूरोप तथा अमेरिका में बैले तथा फिल्मों के लिए भी संगीत कम्पोज किया। इन फिल्मों में 'चार्ली', 'गांधी' और 'अपू त्रिलोगी' भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त आपने अनेक फ़िल्मों में भी अपने संगीत का जादू जगाया है।

  • सत्यजीत रे की बंगाली फ़िल्म 'अपू त्रिलोगी' एक बहुचर्चित फ़िल्म थी।
  • हिंदी फ़िल्म अनुराधा में भी आपने ही संगीत दिया है।
  • पंडित रविशंकर ने अपने लंबे संगीत जीवन में कई फ़िल्मों के लिए भी संगीत निर्देशन किया जिसमें प्रख्यात फ़िल्मकार सत्यजीत रे की फ़िल्में और गुलज़ार द्वारा निर्देशित "मीरा" भी शामिल है.
  • रिचर्ड एटिनबरा की फ़िल्म 'गांधी' में भी आपका ही सुरीला संगीत था।
  • आपने कई पाश्चात्य फ़िल्मों में भी संगीत दिया है।
  • फ़िल्म गांधी के लिये आपको अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका है।

सह्रदय रवि शंकर

रवि शंकर ने वर्ष 1971 में 'बांग्लादेश मुक्ति संग्राम' के समय वहां से भारत आ गए लाखों शरणार्थियों की मदद के लिए कार्यक्रम करके धन एकत्र किया था।

पुरस्कार

  • उन्हें विभिन्न विश्वविद्यालयों से डाक्टरेट की 14 मानद उपाधियां मिल चुकी हैं।
  • आप संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतर्गत संगीतज्ञों की एक संस्था के सदस्य हैं।
  • अब तक रवि शंकर को तीन ग्रेमी पुरस्कार मिल चुके हैं।
  • पद्मविभूषण तथा भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्‍न भी आपको मिल चुका है।
  • रवि शंकर को भारतीय संगीत खासकर सितार वादन को पश्चिमी दुनिया के देशों तक पहुंचाने का श्रेय भी दिया जाता है।
  • 1968 में उनकी 'यहूदी मेनुहिन' के साथ उनकी एल्बम 'ईस्ट मीट्स वेस्ट' को पहला ग्रैमी पुरस्कार मिला था। फिर 1972 में 'जॉर्ज हैरिसन' के साथ उनके 'कॉनसर्ट फॉर बांग्लादेश' को ग्रैमी दिया गया। संगीत जगत का ऑस्कर माने जाने वाले ग्रैमी पुरस्कार की विश्व संगीत श्रेणी में पंडित रविशंकर के साथ स्पर्धा में ब्रिटेन के प्रख्यात संगीतकार जॉन मेक्लॉलिन और ब्राज़ील के गिलबर्टो गिल और मिल्टन नेसिमेल्टो भी शामिल थे।

राज्यसभा का मानद सदस्य

1986 में राज्यसभा के मानद सदस्य चुनकर भी उन्हें सम्मानित किया गया है।

सितार वादक पंडित रविशंकर भारत के उन गिने चुने संगीतज्ञों में से हैं जो पश्चिम में भी लोकप्रिय रहे हैं। रवि शंकर अनेक दशकों से अपनी प्रतिभा दर्शाते आ रहे हैं। 1982 के दिल्ली एशियाड (एशियाई खेल समारोह) के 'स्वागत गीत' को उन्होंने कई स्वर प्रदान किये थे। उनको देश-विदेश में कई बार सम्मानित किया जा चुका है। 90 वर्ष की आयु में अब भी वह संगीत साधना में लगे रहते हैं। इसमें संदेह नहीं कि रविशंकर और उनका सितार-वादन श्रोताओं को लम्बे समय तक विलक्षण कला की अनुभूति देते रहेंगे।


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख