"राजीव गाँधी" के अवतरणों में अंतर

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जब तक उनके भाई जीवित थे, राजीव राजनीति से बाहर ही रहे, लेकिन एक शक्तिशाली राजनीति व्यक्तित्व के धनी संजय की [[23 जून]], 1980 को एक वायुयान दुर्घटना में मृत्यु हो जाने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी राजीव को राजनीतिक जीवन में ले आईं। जून [[1981]] में वह [[लोकसभा]] उपचुनाव में निर्वाचित हुए और इसी महीने युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बन गए।
 
 
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राजीव को सौम्य व्यक्ति माना जाता था। जो पार्टी के अन्य नेताओं से विचार-विमर्श करते थे और जल्दबाज़ी में निर्णय नहीं लेते थे। जब [[31 अक्टूबर]] 1984 को उनकी माँ की हत्या हुई, तो राजीव को उसी दिन प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई और उन्हें कुछ दिन बाद कांग्रेस (इं) पार्टी का नेता चुन लिया गया।  
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दिसम्बर 1984 के आम चुनाव में उन्होंने पार्टी की ज़बरदस्त जीत का नेतृत्व किया और उनके प्रशासन ने सरकारी नौकरशाही में सुधार लाने तथा देश की अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के लिए ज़ोरदार क़दम उठाए। लेकिन [[पंजाब]] और [[कश्मीर]] में अलगाववादी आन्दोलन को हतोत्साहित करने की राजीव की कोशिश का उल्टा असर हुआ तथा कई वित्तीय साज़िशों में उनकी सरकार के उलझने के बाद उनका नेतृत्व लगातार अप्रभावी होता गया। 1989 में उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया, लेकिन वह कांग्रेस (इं) पार्टी के नेता पद पर बने रहे। आगामी संसदीय चुनाव के लिए [[तमिलनाडु]] में चुनाव प्रचार के दौरान एक आत्मघाती महिला के बम विस्फोट में उनकी मृत्यु हो गई। कहा जाता है कि यह महिला तमिल अलगाववादियों से संबद्ध थी।  
 
दिसम्बर 1984 के आम चुनाव में उन्होंने पार्टी की ज़बरदस्त जीत का नेतृत्व किया और उनके प्रशासन ने सरकारी नौकरशाही में सुधार लाने तथा देश की अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के लिए ज़ोरदार क़दम उठाए। लेकिन [[पंजाब]] और [[कश्मीर]] में अलगाववादी आन्दोलन को हतोत्साहित करने की राजीव की कोशिश का उल्टा असर हुआ तथा कई वित्तीय साज़िशों में उनकी सरकार के उलझने के बाद उनका नेतृत्व लगातार अप्रभावी होता गया। 1989 में उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया, लेकिन वह कांग्रेस (इं) पार्टी के नेता पद पर बने रहे। आगामी संसदीय चुनाव के लिए [[तमिलनाडु]] में चुनाव प्रचार के दौरान एक आत्मघाती महिला के बम विस्फोट में उनकी मृत्यु हो गई। कहा जाता है कि यह महिला तमिल अलगाववादियों से संबद्ध थी।  
 
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21 मई 1991 श्रीपेरुंबुदूर, तमिलनाडु में उनकी भी हत्या कर दी गई।  
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*[http://www.congress.org.in/new/hindi/rajiv-bio.php राजीव गांधी का जीवन परिचय]
 
*[http://www.congress.org.in/new/hindi/rajiv-bio.php राजीव गांधी का जीवन परिचय]

12:32, 8 नवम्बर 2010 का अवतरण

राजीव गाँधी
Rajiv-Gandhi.jpg
पूरा नाम राजीव रत्न गाँधी
जन्म 20 अगस्त, 1944
जन्म भूमि मुंबई, महाराष्ट्र
मृत्यु 21 मई 1991
मृत्यु स्थान श्रीपेरुंबुदूर, तमिलनाडु
मृत्यु कारण हत्या
पति/पत्नी सोनिया गाँधी
संतान राहुल गाँधी, प्रियंका गाँधी
पार्टी काँग्रेस-इं
पद भारत के नौवें प्रधानमंत्री
कार्य काल 31 अक्टूबर 19842 दिसम्बर 1989
शिक्षा इंजीनियरिंग
विद्यालय दून स्कूल देहरादून, इंपीरियल कालेज लंदन
भाषा हिन्दी, अंग्रेज़ी
पुरस्कार-उपाधि भारत रत्न सम्मान
विशेष योगदान जवाहर रोजगार योजना

शिक्षा

राजीव तथा उनके छोटे भाई संजय गाँधी (1946-1980) की शिक्षा-दीक्षा देहरादून के प्रतिष्ठित दून स्कूल में हुई थी। इसके बाद राजीव गांधी ने लंदन के इंपीरियल कॉलेज में दाख़िला लिया तथा केंब्रिज विश्वविद्यालय (1965) से इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम पूरा किया, भारत लौटने पर उन्होंने व्यावसायिक पायलट का लाइसेंस प्राप्त किया और 1968 से इंडियन एयरलाइन्स में काम करने लगे।

सोनिया गाँधी एवं राजीव गाँधी
Rajiv Gandhi And Sonia Gandhi

कार्यकारिणी सदस्य

जब तक उनके भाई जीवित थे, राजीव राजनीति से बाहर ही रहे, लेकिन एक शक्तिशाली राजनीति व्यक्तित्व के धनी संजय की 23 जून, 1980 को एक वायुयान दुर्घटना में मृत्यु हो जाने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी राजीव को राजनीतिक जीवन में ले आईं। जून 1981 में वह लोकसभा उपचुनाव में निर्वाचित हुए और इसी महीने युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बन गए।

प्रधानमंत्री के रूप में

राजीव को सौम्य व्यक्ति माना जाता था। जो पार्टी के अन्य नेताओं से विचार-विमर्श करते थे और जल्दबाज़ी में निर्णय नहीं लेते थे। जब 31 अक्टूबर 1984 को उनकी माँ की हत्या हुई, तो राजीव को उसी दिन प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई और उन्हें कुछ दिन बाद कांग्रेस (इं) पार्टी का नेता चुन लिया गया।

पद

दिनांक / वर्ष पद
1981 लोकसभा (सातवीं) के लिए निर्वाचित
1984 लोकसभा (आठवीं) के लिए पुन: निर्वाचित
19 अक्टूबर, 1984 से 2 दिसम्बर, 1984 तक प्रधानमंत्री एवं अन्य सभी मंत्रालय विभाग जो कि अन्य किसी मंत्री को आंवटित किए गए।
31 दिसम्बर, 1984 से 14 जनवरी, 1985 वाणिज्य और आपूर्ति, विदेश, उद्योग व कम्पनी मामले, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, इलैक्ट्रानिक्स, महासागर,

विकास, कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार, युवा मामले एवं खेल, संस्कृति, पर्यटन एवं नागर विमानन मंत्रालय का भी पदभार सम्भाला।

31 दिसम्बर, 1984 से 20 अक्टूबर, 1986 पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के भी प्रभारी।
25 दिसम्बर, 1985 से 24 जनवरी, 1987 रक्षा मंत्रालय के भी प्रभारी।
4 जून, 1986 से 24 जून, 1986 परिवहन मंत्रालय के भी प्रभारी।
24 जनवरी, 1987 से 25 जुलाई, 1987 वित्त मंत्रालय के भी प्रभारी।
4 मई, 1987 से 25 जुलाई, 1987 कार्याक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के भी प्रभारी।
15 जुलाई, 1987 से 28 जुलाई, 1987 पर्यटन मंत्रालय के भी प्रभारी।
25 जुलाई, 1987 से 26 जून, 1988 विदेश मंत्रालय का भी कार्यभार सम्भाला।
22 अगस्त, 1987 से 10 नवम्बर, 1987 जल संसाधन मंत्रालय का कार्यभार भी सम्भाला।
मई, 1989 से जुलाई, 1989 संचार मंत्रालय का भी कार्यभार सम्भाला।
1989 लोक सभा (नौवीं) के लिए तीसरी बार निर्वाचित।
18 दिसम्बर, 1989 से 24 दिसम्बर, 1990 लोक सभा (नौवीं) में विपक्ष के नेता।
24 जनवरी, 1990 सदस्य, सामान्य प्रयोजन समिति।
1991 लोक सभा (दसवीं) के लिए चौथी बार निर्वाचित। आमोद-प्रमोद एवं मनोरंजन – उड्डयन एवं फ़ाटोग्राफ़ी।

अलगाववादी आन्दोलन

दिसम्बर 1984 के आम चुनाव में उन्होंने पार्टी की ज़बरदस्त जीत का नेतृत्व किया और उनके प्रशासन ने सरकारी नौकरशाही में सुधार लाने तथा देश की अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के लिए ज़ोरदार क़दम उठाए। लेकिन पंजाब और कश्मीर में अलगाववादी आन्दोलन को हतोत्साहित करने की राजीव की कोशिश का उल्टा असर हुआ तथा कई वित्तीय साज़िशों में उनकी सरकार के उलझने के बाद उनका नेतृत्व लगातार अप्रभावी होता गया। 1989 में उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया, लेकिन वह कांग्रेस (इं) पार्टी के नेता पद पर बने रहे। आगामी संसदीय चुनाव के लिए तमिलनाडु में चुनाव प्रचार के दौरान एक आत्मघाती महिला के बम विस्फोट में उनकी मृत्यु हो गई। कहा जाता है कि यह महिला तमिल अलगाववादियों से संबद्ध थी।

निधन

21 मई, 1991 श्रीपेरुंबुदूर, तमिलनाडु में इनकी हत्या कर दी गई।


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