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05:55, 30 नवम्बर 2010 का अवतरण
अल्जाइमर रोग (Alzheimer's Disease) अथवा विस्मृति रोग (भूलने का रोग) वृद्धावस्था का एक असाध्य रोग माना गया है। सन 1906 में जर्मन के डॉ. ओलोए अल्जीमीर ने एक महीला के दिमाग के परीक्षण में पाया कि उसमें कुछ गांठे पड़ गई हैं, जिन्हें चिकित्सक ‘प्लेट’ कहते हैं। यही रोग उस डॉ. के नाम पर अल्जाइमर रोग कहलाया जाने लगा।
लक्षण
अल्जाइमर व्यक्ति के मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली बीमारी होती है। इस बीमारी से ग्रसित होने के कई वर्ष बाद इसका लक्षण दिखाई देता है। इस बीमारी के लक्षणों में याददाश्त की कमी होना, जिसमें रोगी धीरे -धीरे सब कुछ भूलने लग जाता है। यहाँ तक कि वह स्वयं को भी भूल जाता है। शुरू -शुरू में वह चीजों के रखने का स्थान, किसी व्यक्ति का नाम, टेलीफोन नम्बर आदि भूलने लगता है। उसे अपना चश्मा ढूंढ़ने में समय लग सकता है, या उसे याद नहीं रहता कि उसने चाबी कहाँ रखी है, किसी परिचित के मिलने पर उसका नाम याद नहीं आता, निर्णय न ले पाना, बोलने में दिक्कत आना तथा फिर इसकी वजह से सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं की गंभीर स्थिति आदि शामिल हैं।
अवस्था
इस रोग की तीन अवस्थाएं होती हैं। मन्द, मध्यम और गंभीर। पहली मंद अवस्था में नाम अथवा संख्या भूलना और मानसिक संतुलन में गड़बड़ी होना हो सकता है। मध्यम अवस्था में घबराहट, उलझन, अस्त-व्यस्तता तथा रोगी के व्यक्तित्व में शोचनीय परिर्वतन नजर आता है, उसके मानसिक संतुलन में भी अत्यधिक गड़बड़ी दृष्टिगत होती है। तीसरी और अन्तिम अवस्था गम्भीर होती है और रोगी को कपड़े पहनने तथा मूत्र और शौच त्याग आदि का भी ध्यान नहीं रहता। भोजन से लेकर सोने तक वह सब कुछ भूल जाता है।
नसों पर प्रभाव
अल्जाइमर एक प्रकार का ऐसा मानसिक रोग है जो धीरे धीरे कोशिकाओ को नष्ट कर देता है जिससे किसी की भी याददाश्त, सोच और व्यवहार पर गहरा प्रभाव प़डता है। पीड़ित की कार्य प्रणाली, शौक, सामाजिक जिंदगी सब तहस नहस हो जाता है। दरअसल हमारा दिमाग एक मास्टर फैक्टरी की तरह होता है जिसमें छोटे छोटे सब स्टेशन होते हैं, जो नसों से ज़ुडे होते हैं। इन सबसे एक बहुत ही बढ़िया नेटवर्क बनता है। प्रत्येक नस अलग अलग कार्य करती है जैसे कि कुछ नसें सोचने के लिए मदद करती हैं तो कई नसें समझने और सुचारू याददाश्त रखने में भागीदारी निभाती हैं। कुछ नसों का काम होता है हमारी देखने, सूंघने और सुनने की प्रक्रिया को दुरुस्त रखना, बाकी नसें मांसपेशियों की कार्यप्रणाली का निरीक्षण करती हैं, तो पूरी प्रक्रिया को सही रखने के लिए इन सब नसों के बीच सुचारू संपर्क बेहद आवश्यक होता है, लेकिन अल्जाइमर की स्थिति में नसों की सुचारू कार्य प्रणाली रुक जाती है जिससे कि उनके कार्य में बाधाएं उत्पन्न होने लगती हैं और धीरे धीरे नसें मर जाती हैं।
कारण
अगर परिवार में कोई भी इस बीमारी से पीड़ित हो, तो खतरे की संभावना ब़ढ जाती है। आनुवांशिक होने से भी खतरा ब़ढ जाता है। रक्तचाप, मधुमेह, आधुनिक जीवनशैली और सिर में कई बार चोट लग जाने से इस बीमारी के होने की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए अपने सिर को हमेशा बचाकर रखना चाहिए।
उम्र
65 वर्ष पार करते करते अक्सर लोगों को इस बीमारी का शिकार होना पड़ता है। बहुत ही कम केसों में 30 या 40 की उम्र में लोगों को ये बीमारी होती है। पुरुषों में जहाँ आम तौर पर 60 वर्ष की अवस्था में अल्जाइमर की शिकायत शुरू होती है वहीं महिलाओं में इसके लक्षण 45 वर्ष की अवस्था में दिखते है।
उपचार
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक आकलन के मुताबिक दुनिया भर में लगभग एक करोड़ 80 लाख लोग अल्जाइमर से पीड़ित हैं। इस बीमारी से ग्रस्त मरीज पर सतत ध्यान देने की जरूरत है। यद्यपि, इस बीमारी के लक्षण का पता चल जाने बाद कई दवाइयां उपलब्ध हैं जिससे व्यक्ति की मानसिक स्थिति में सुधार किया जा सकता है। हालांकि इस बीमारी का उपचार अब तक उपलब्ध नहीं है। लेकिन बीमारी के शुरूआती दौर में नियमित जांच और इलाज से इस पर काबू पाया जा सकता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ