"एशियाटिक सोसाइटी कोलकाता" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
('*पश्चिम बंगाल के शहर कोलकाता का यह एक [[कोलकाता पर्...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
छो (Text replacement - "शृंखला" to "श्रृंखला")
 
(6 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 17 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*[[पश्चिम बंगाल]] के शहर [[कोलकाता]] का यह एक [[कोलकाता पर्यटन|पर्यटन स्थल]] है।
+
{{सूचना बक्सा पर्यटन
*इसमें एशिया का प्रथम आधुनिक संग्रहालय था।  
+
|चित्र=Asiatic-Society-Kolkata.jpg
*इसकी स्‍थापना 1814 ई. में हुई थी।
+
|चित्र का नाम=एशियाटिक सोसाइटी, कोलकाता
*लेकिन इसके संग्रह की अधिकांश वस्‍तुएं अब इंडियन म्‍युजियम में रख दी गई हैं।
+
|विवरण=यह संस्था [[भारत]] में सभी साहित्यिक तथा वैज्ञानिक गतिविधियों के लिए एक स्रोत तथा संसार में सभी एशियाई सोसायटियों के लिए अभिभावक सिद्ध हुई।
*यहाँ अब देखने योग्‍य वस्‍तुओं का छोटा संग्रह ही है।
+
|राज्य=[[पश्चिम बंगाल]]
*इन्‍हीं वस्‍तुओं में तिब्‍बतियन थंगस तथा [[अशोक]] का प्रसिद्ध शिलास्‍तंभ है।
+
|केन्द्र शासित प्रदेश=
 +
|ज़िला=
 +
|निर्माता=[[विलियम जोंस]]
 +
|स्वामित्व=
 +
|प्रबंधक=
 +
|निर्माण काल=1747-1794
 +
|स्थापना=[[15 जनवरी]], 1784
 +
|भौगोलिक स्थिति=
 +
|मार्ग स्थिति=एशियाटिक सोसाइटी हावड़ा जंक्शन से लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित है।
 +
|मौसम=
 +
|तापमान=
 +
|प्रसिद्धि=एशियाटिक सोसायटी अपने प्रकाशनों के लिए प्रसिद्ध है।
 +
|कब जाएँ=
 +
|कैसे पहुँचें=हवाई जहाज़, रेल, बस आदि
 +
|हवाई अड्डा=[[नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा]]
 +
|रेलवे स्टेशन=हावड़ा जंक्शन, सियालदह जंक्शन
 +
|बस अड्डा=
 +
|यातायात=साइकिल-रिक्शा, ऑटो-रिक्शा, मीटर-टैक्सी, सिटी बस, ट्राम और मेट्रो रेल
 +
|क्या देखें=
 +
|कहाँ ठहरें=होटल, अतिथि ग्रह, धर्मशाला
 +
|क्या खायें=
 +
|क्या ख़रीदें=
 +
|एस.टी.डी. कोड=033
 +
|ए.टी.एम=लगभग सभी
 +
|सावधानी=
 +
|मानचित्र लिंक=[http://maps.google.com/maps?saddr=Howrah+Station+Jetty,+Howrah,+West+Bengal,+India&daddr=Asiatic+Society%2FFax,+Jawaharlal+Nehru+Rd,+Kolkata,+West+Bengal,+India&hl=en&ll=22.56472,88.352566&spn=0.071968,0.169086&sll=22.563769,88.353767&sspn=0.071969,0.169086&geocode=Fe2UWAEdCgVEBSmltWcavncCOjHOw4eBTwHrmQ%3BFTwCWAEd8VJEBSHryyjuQNbeCw&mra=ls&t=m&z=13 गूगल मानचित्र]
 +
|संबंधित लेख=[[जेनरल पोस्‍ट ऑफिस कोलकाता|जेनरल पोस्‍ट ऑफिस]], [[राजभवन कोलकाता|राजभवन]], [[शहीद मीनार कोलकाता|शहीद मीनार]], [[ईडेन गार्डन]], [[विक्‍टोरिया मेमोरियल]], [[नेशनल लाइब्रेरी कोलकाता|नेशनल लाइब्रेरी]]
 +
|शीर्षक 1=
 +
|पाठ 1=
 +
|शीर्षक 2=
 +
|पाठ 2=
 +
|अन्य जानकारी=एशियाटिक सोसायटी में लगभग 1 लाख 75 हज़ार पुस्तकों का संग्रह है जिनमें तमाम पुस्तकें तथा वस्तुएं अन्यंत दुर्लभ हैं। इसमें [[एशिया]] का प्रथम आधुनिक संग्रहालय भी था।
 +
|बाहरी कड़ियाँ=[http://www.asiaticsocietycal.com/ एशियाटिक सोसायटी]
 +
|अद्यतन={{अद्यतन|18:08, 10 मार्च 2012 (IST)}}
 +
}}
 +
'''एशियाटिक सोसायटी''' अपने प्रकाशनों के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें सम्पादन तथा [[पत्रिका|पत्रिकाएं]], बिबलोथिका इण्डिका, मोनोग्राफ तथा अदालती कार्यवाहियों की विभिन्न श्रृंखलाएं और जीवनवृत्त तथा भाषण शामिल है। यह [[पश्चिम बंगाल|पश्चिम बंगाल राज्य]] के [[कोलकाता]] शहर में स्थित है।
  
[[Category:पश्चिम_बंगाल]][[Category:पश्चिम बंगाल के पर्यटन स्थल]] [[Category:कोलकाता के पर्यटन स्थल]] [[Category:पर्यटन कोश]]__INDEX__
+
*सुप्रसिद्ध अंग्रेज़ भारतविद् [[विलियम जोंस]] (1747-94) ने [[एशिया]] के सामाजिक तथा सांस्कृतिक इतिहास, पुरावशेष, कला विज्ञान तथा [[साहित्य]] की खोज के उद्देश्य से 1784 में एशियाटिक सोसायटी, [[कोलकाता]] की नींव रखी थी। दो सौ [[वर्ष]] पुरानी यह संस्था [[भारत]] में सभी साहित्यिक तथा वैज्ञानिक गतिविधियों के लिए एक स्रोत तथा संसार में सभी एशियाई सोसायटियों के लिए अभिभावक सिद्ध हुई।
 +
*यह संस्थान [[भारत]] में सभी साहित्यिक व वैज्ञानिक गतिविधियों का पुरोधा और विश्व की सभी एशियाटिक सोसाइटीज़ का संरक्षक है। इस सोसाइटी के पास दुर्लभ पुस्तकों, [[पांडुलिपि|पांडुलिपियों]], सिक्कों, पुराने चित्रों और अभिलेख सामग्री का समृद्ध संग्रह है।
 +
*एशियाटिक सोसायटी में लगभग 1 लाख 75 हज़ार पुस्तकों का संग्रह है जिनमें तमाम पुस्तकें तथा वस्तुएं अन्यंत दुर्लभ हैं।
 +
*[[मार्च]] [[1984]] में [[संसद]] के एक अधिनियम के द्वारा इस सोसायटी को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया  गया है।
 +
*इसमें [[एशिया]] का प्रथम आधुनिक संग्रहालय भी था।
 +
*इसके संग्रहालय की स्‍थापना 1814 ई. में हुई थी।
 +
*लेकिन इसके संग्रह की अधिकांश वस्‍तुएं अब 'इंडियन म्‍युज़ियम' में रख दी गई हैं।
 +
*यहाँ अब देखने योग्‍य वस्‍तुओं का छोटा संग्रह ही है।
 +
*इन्‍हीं वस्‍तुओं में तिब्‍बतियन थंगस तथा [[अशोक]] का प्रसिद्ध शिलास्‍तंभ भी है।
 +
==संस्थापना दिवस==
 +
संस्थापना दिवस के उपलक्ष्य में जोन्स ने अपने प्रसिद्ध अभिभाषणों की श्रृंखला का पहला भाषण दिया।
 +
 
 +
इस सभा को तत्कालीन [[पश्चिम बंगाल|बंगाल]] के प्रथम [[गवर्नर-जनरल]] (1772-95) वॉरेन हेस्टिग्ज़ का सहयोग और प्रोत्साहन मिला। जोन्स की मृत्यु (1794) तक यह सभा [[हिंदू]] संस्कृति तथा ज्ञान के महत्त्व व आर्य भाषाओं में [[संस्कृत]] की अहम भूमिका जैसे उनके विचारों की संवाहक थी।
 +
 
 +
{{लेख प्रगति |आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध=}}
 +
==संबंधित लेख==
 +
{{भारत के संस्थान}}{{पश्चिम बंगाल के पर्यटन स्थल}}
 +
[[Category:भारत सरकार के संस्थान]][[Category:पश्चिम_बंगाल]][[Category:पश्चिम बंगाल के पर्यटन स्थल]] [[Category:कोलकाता]] [[Category:कोलकाता के पर्यटन स्थल]] [[Category:पर्यटन कोश]]
 +
__INDEX__

11:18, 9 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

एशियाटिक सोसाइटी कोलकाता
एशियाटिक सोसाइटी, कोलकाता
विवरण यह संस्था भारत में सभी साहित्यिक तथा वैज्ञानिक गतिविधियों के लिए एक स्रोत तथा संसार में सभी एशियाई सोसायटियों के लिए अभिभावक सिद्ध हुई।
राज्य पश्चिम बंगाल
निर्माता विलियम जोंस
निर्माण काल 1747-1794
स्थापना 15 जनवरी, 1784
मार्ग स्थिति एशियाटिक सोसाइटी हावड़ा जंक्शन से लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित है।
प्रसिद्धि एशियाटिक सोसायटी अपने प्रकाशनों के लिए प्रसिद्ध है।
कैसे पहुँचें हवाई जहाज़, रेल, बस आदि
हवाई अड्डा नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन हावड़ा जंक्शन, सियालदह जंक्शन
यातायात साइकिल-रिक्शा, ऑटो-रिक्शा, मीटर-टैक्सी, सिटी बस, ट्राम और मेट्रो रेल
कहाँ ठहरें होटल, अतिथि ग्रह, धर्मशाला
एस.टी.डी. कोड 033
ए.टी.एम लगभग सभी
Map-icon.gif गूगल मानचित्र
संबंधित लेख जेनरल पोस्‍ट ऑफिस, राजभवन, शहीद मीनार, ईडेन गार्डन, विक्‍टोरिया मेमोरियल, नेशनल लाइब्रेरी


अन्य जानकारी एशियाटिक सोसायटी में लगभग 1 लाख 75 हज़ार पुस्तकों का संग्रह है जिनमें तमाम पुस्तकें तथा वस्तुएं अन्यंत दुर्लभ हैं। इसमें एशिया का प्रथम आधुनिक संग्रहालय भी था।
बाहरी कड़ियाँ एशियाटिक सोसायटी
अद्यतन‎

एशियाटिक सोसायटी अपने प्रकाशनों के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें सम्पादन तथा पत्रिकाएं, बिबलोथिका इण्डिका, मोनोग्राफ तथा अदालती कार्यवाहियों की विभिन्न श्रृंखलाएं और जीवनवृत्त तथा भाषण शामिल है। यह पश्चिम बंगाल राज्य के कोलकाता शहर में स्थित है।

  • सुप्रसिद्ध अंग्रेज़ भारतविद् विलियम जोंस (1747-94) ने एशिया के सामाजिक तथा सांस्कृतिक इतिहास, पुरावशेष, कला विज्ञान तथा साहित्य की खोज के उद्देश्य से 1784 में एशियाटिक सोसायटी, कोलकाता की नींव रखी थी। दो सौ वर्ष पुरानी यह संस्था भारत में सभी साहित्यिक तथा वैज्ञानिक गतिविधियों के लिए एक स्रोत तथा संसार में सभी एशियाई सोसायटियों के लिए अभिभावक सिद्ध हुई।
  • यह संस्थान भारत में सभी साहित्यिक व वैज्ञानिक गतिविधियों का पुरोधा और विश्व की सभी एशियाटिक सोसाइटीज़ का संरक्षक है। इस सोसाइटी के पास दुर्लभ पुस्तकों, पांडुलिपियों, सिक्कों, पुराने चित्रों और अभिलेख सामग्री का समृद्ध संग्रह है।
  • एशियाटिक सोसायटी में लगभग 1 लाख 75 हज़ार पुस्तकों का संग्रह है जिनमें तमाम पुस्तकें तथा वस्तुएं अन्यंत दुर्लभ हैं।
  • मार्च 1984 में संसद के एक अधिनियम के द्वारा इस सोसायटी को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया है।
  • इसमें एशिया का प्रथम आधुनिक संग्रहालय भी था।
  • इसके संग्रहालय की स्‍थापना 1814 ई. में हुई थी।
  • लेकिन इसके संग्रह की अधिकांश वस्‍तुएं अब 'इंडियन म्‍युज़ियम' में रख दी गई हैं।
  • यहाँ अब देखने योग्‍य वस्‍तुओं का छोटा संग्रह ही है।
  • इन्‍हीं वस्‍तुओं में तिब्‍बतियन थंगस तथा अशोक का प्रसिद्ध शिलास्‍तंभ भी है।

संस्थापना दिवस

संस्थापना दिवस के उपलक्ष्य में जोन्स ने अपने प्रसिद्ध अभिभाषणों की श्रृंखला का पहला भाषण दिया।

इस सभा को तत्कालीन बंगाल के प्रथम गवर्नर-जनरल (1772-95) वॉरेन हेस्टिग्ज़ का सहयोग और प्रोत्साहन मिला। जोन्स की मृत्यु (1794) तक यह सभा हिंदू संस्कृति तथा ज्ञान के महत्त्व व आर्य भाषाओं में संस्कृत की अहम भूमिका जैसे उनके विचारों की संवाहक थी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख