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*[[बम्बई]] के निकट, [[भारत]] का पश्चिमी तटवर्ती एक बन्दरगाह है।  
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*बसई, [[बम्बई]] के निकट, [[भारत]] का पश्चिमी तटवर्ती एक बन्दरगाह है।  
 
*इस पर 16वीं शताब्दी के आरम्भ में [[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] ने अधिकार कर लिया था।  
 
*इस पर 16वीं शताब्दी के आरम्भ में [[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] ने अधिकार कर लिया था।  
 
*[[मराठा|मराठों]] ने लगभग 1770 ई. में इसे पुन: प्राप्त कर लिया।  
 
*[[मराठा|मराठों]] ने लगभग 1770 ई. में इसे पुन: प्राप्त कर लिया।  
*[[ईस्ट इंडिया कम्पनी]] इसकों अपने क़ब्ज़े में करना चाहती थी।  
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*[[ईस्ट इंडिया कम्पनी]] इसको अपने क़ब्ज़े में करना चाहती थी।  
 
*इस उद्देश्य से बम्बई की सरकार ने 1772 ई. में [[पेशवा]] [[नारायण राव]] की मृत्यु के उपरान्त मराठों की घरेलू राजनीति में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया।  
 
*इस उद्देश्य से बम्बई की सरकार ने 1772 ई. में [[पेशवा]] [[नारायण राव]] की मृत्यु के उपरान्त मराठों की घरेलू राजनीति में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया।  
 
*इस कारण से अन्त में आंग्ल-मराठा युद्ध (1775-82 ई.) आरम्भ हुआ, जिसके बाद भी बसई पर मराठों का ही अधिकार रहा।
 
*इस कारण से अन्त में आंग्ल-मराठा युद्ध (1775-82 ई.) आरम्भ हुआ, जिसके बाद भी बसई पर मराठों का ही अधिकार रहा।

05:22, 4 मार्च 2011 का अवतरण

  • बसई, बम्बई के निकट, भारत का पश्चिमी तटवर्ती एक बन्दरगाह है।
  • इस पर 16वीं शताब्दी के आरम्भ में पुर्तग़ालियों ने अधिकार कर लिया था।
  • मराठों ने लगभग 1770 ई. में इसे पुन: प्राप्त कर लिया।
  • ईस्ट इंडिया कम्पनी इसको अपने क़ब्ज़े में करना चाहती थी।
  • इस उद्देश्य से बम्बई की सरकार ने 1772 ई. में पेशवा नारायण राव की मृत्यु के उपरान्त मराठों की घरेलू राजनीति में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया।
  • इस कारण से अन्त में आंग्ल-मराठा युद्ध (1775-82 ई.) आरम्भ हुआ, जिसके बाद भी बसई पर मराठों का ही अधिकार रहा।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ