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[[भाद्रपद]] [[मास]] के [[कृष्ण पक्ष]] के पंद्रह दिन पितृ पक्ष (पितृ अथवा पिता) के नाम से विख्यात है। इन पंद्रह दिनों में लोग अपने पितरों (पूर्वजों) को [[जल]] देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर पार्वण [[श्राद्ध]] करते हैं।
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[[भाद्रपद]] [[मास]] के [[कृष्ण पक्ष]] के पंद्रह दिन पितृ पक्ष (पितृ अथवा पिता) के नाम से जाने जाते है। इन पंद्रह दिनों में लोग अपने पितरों (पूर्वजों) को [[जल]] देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर [[श्राद्ध]] करते हैं।
 
* पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध दो तिथियों पर किए जाते हैं। प्रथम मृत्यु या क्षय तिथि पर और दूसरा पितृ पक्ष में। जिस मास और तिथि को पितृ की मृत्यु हुई है अथवा जिस [[तिथि]] को उनका दाह संस्कार हुआ है, वर्ष में उस तिथि को एकोदिष्ट श्राद्ध किया जाता है।  
 
* पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध दो तिथियों पर किए जाते हैं। प्रथम मृत्यु या क्षय तिथि पर और दूसरा पितृ पक्ष में। जिस मास और तिथि को पितृ की मृत्यु हुई है अथवा जिस [[तिथि]] को उनका दाह संस्कार हुआ है, वर्ष में उस तिथि को एकोदिष्ट श्राद्ध किया जाता है।  
 
* [[पिता]]-[[माता]] आदि पारिवारिक मनुष्यों की मृत्यु के पश्चात्‌ उनकी तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक किए जाने वाले कर्म को पितृ श्राद्ध कहते हैं।
 
* [[पिता]]-[[माता]] आदि पारिवारिक मनुष्यों की मृत्यु के पश्चात्‌ उनकी तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक किए जाने वाले कर्म को पितृ श्राद्ध कहते हैं।

13:09, 4 अक्टूबर 2011 का अवतरण

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष के पंद्रह दिन पितृ पक्ष (पितृ अथवा पिता) के नाम से जाने जाते है। इन पंद्रह दिनों में लोग अपने पितरों (पूर्वजों) को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर श्राद्ध करते हैं।

  • पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध दो तिथियों पर किए जाते हैं। प्रथम मृत्यु या क्षय तिथि पर और दूसरा पितृ पक्ष में। जिस मास और तिथि को पितृ की मृत्यु हुई है अथवा जिस तिथि को उनका दाह संस्कार हुआ है, वर्ष में उस तिथि को एकोदिष्ट श्राद्ध किया जाता है।
  • पिता-माता आदि पारिवारिक मनुष्यों की मृत्यु के पश्चात्‌ उनकी तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक किए जाने वाले कर्म को पितृ श्राद्ध कहते हैं।



टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

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