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शुंग वंश भारत का एक शासकीय वंश था जिसने मौर्य राजवंश के बाद उत्तर भारत में 187 ई.पू. से 75 ई.पू. तक 112 वर्षों तक शासन किया।  
 
शुंग वंश भारत का एक शासकीय वंश था जिसने मौर्य राजवंश के बाद उत्तर भारत में 187 ई.पू. से 75 ई.पू. तक 112 वर्षों तक शासन किया।  
 
==शुंग वंश के शासक==
 
==शुंग वंश के शासक==
[[मौर्य वंश]] का अंतिम शासक वृहद्रय था। वृहद्रय को उसके ब्राह्मण सेनापति [[पुष्यमित्र]] ने ई॰ पूर्व 185 में मार दिया और इस प्रकार मौर्य वंश का अंत हो गया। पुष्यमित्र ने [[अश्वमेध यज्ञ]] किया था। पुष्यमित्र ने सिंहासन पर बैठकर [[मगध]] पर शुंग वंश के शासन का आरम्भ किया। शुंग वंश का शासन सम्भवतः ई॰ पू0 185 ई॰ से पू0 100 तक दृढ़ बना रहा। पुष्यमित्र इस वंश का प्रथम शासक था, उसके पश्चात उसका पुत्र अग्निमित्र, उसका पुत्र वसुमित्र राजा बना। वसुमित्र के पश्चात जो शुंग सम्राट् हुए, उसमें कौत्सीपुत्र भागमद्र, भद्रघोष, भागवत और देवभूति के नाम उल्लेखनीय है। शुंग वंश का अंतिम सम्राट देवहूति था, उसके साथ ही शुंग साम्राज्य समाप्त हो गया था। शुग-वंश के शासक [[वैदिक धर्म]] के मानने वाले थे। इनके समय में [[भागवत धर्म]] की विशेष उन्नति हुई। शुंग वंश के शासकों की सूची इस प्रकार है -
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[[मौर्य वंश]] का अंतिम शासक वृहद्रय था। वृहद्रय को उसके ब्राह्मण सेनापति [[पुष्यमित्र]] ने ई. पूर्व 185 में मार दिया और इस प्रकार मौर्य वंश का अंत हो गया। पुष्यमित्र ने [[अश्वमेध यज्ञ]] किया था। पुष्यमित्र ने सिंहासन पर बैठकर [[मगध]] पर शुंग वंश के शासन का आरम्भ किया। शुंग वंश का शासन सम्भवतः ई. पू0 185 ई. से पू0 100 तक दृढ़ बना रहा। पुष्यमित्र इस वंश का प्रथम शासक था, उसके पश्चात उसका पुत्र अग्निमित्र, उसका पुत्र वसुमित्र राजा बना। वसुमित्र के पश्चात जो शुंग सम्राट् हुए, उसमें कौत्सीपुत्र भागमद्र, भद्रघोष, भागवत और देवभूति के नाम उल्लेखनीय है। शुंग वंश का अंतिम सम्राट देवहूति था, उसके साथ ही शुंग साम्राज्य समाप्त हो गया था। शुग-वंश के शासक [[वैदिक धर्म]] के मानने वाले थे। इनके समय में [[भागवत धर्म]] की विशेष उन्नति हुई। शुंग वंश के शासकों की सूची इस प्रकार है -
  
 
*[[पुष्यमित्र शुंग]] (185 - 149 BCE)
 
*[[पुष्यमित्र शुंग]] (185 - 149 BCE)

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शुंग कालीन मृण्मूर्ति
Shunga Terracottas

शुंग वंश भारत का एक शासकीय वंश था जिसने मौर्य राजवंश के बाद उत्तर भारत में 187 ई.पू. से 75 ई.पू. तक 112 वर्षों तक शासन किया।

शुंग वंश के शासक

मौर्य वंश का अंतिम शासक वृहद्रय था। वृहद्रय को उसके ब्राह्मण सेनापति पुष्यमित्र ने ई. पूर्व 185 में मार दिया और इस प्रकार मौर्य वंश का अंत हो गया। पुष्यमित्र ने अश्वमेध यज्ञ किया था। पुष्यमित्र ने सिंहासन पर बैठकर मगध पर शुंग वंश के शासन का आरम्भ किया। शुंग वंश का शासन सम्भवतः ई. पू0 185 ई. से पू0 100 तक दृढ़ बना रहा। पुष्यमित्र इस वंश का प्रथम शासक था, उसके पश्चात उसका पुत्र अग्निमित्र, उसका पुत्र वसुमित्र राजा बना। वसुमित्र के पश्चात जो शुंग सम्राट् हुए, उसमें कौत्सीपुत्र भागमद्र, भद्रघोष, भागवत और देवभूति के नाम उल्लेखनीय है। शुंग वंश का अंतिम सम्राट देवहूति था, उसके साथ ही शुंग साम्राज्य समाप्त हो गया था। शुग-वंश के शासक वैदिक धर्म के मानने वाले थे। इनके समय में भागवत धर्म की विशेष उन्नति हुई। शुंग वंश के शासकों की सूची इस प्रकार है -

  • पुष्यमित्र शुंग (185 - 149 BCE)
  • अग्निमित्र (149 - 141 BCE)
  • वसुज्येष्ठ (141 - 131 BCE)
  • वसुमित्र (131 - 124 BCE)
  • अन्ध्रक (124 - 122 BCE)
  • पुलिन्दक (122 - 119 BCE)
  • घोष शुङ्ग
  • वज्रमित्र
  • भगभद्र
  • देवभूति (83 - 73 BCE)

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